लड़कियों और महिलाओं को मेंहदी लगाना बहुत पंसद होता है। सावन का मौसम हो या शादी या फिर कोई त्यौहार हाथों में मेंहदी लगाना सभी महिलाओं की पहली पंसद होती है। पर क्या आपको मालूम है कि बाजारों मे मिलने वाली ये मेंहदी आपको नुकसान भी पंहुचा सकती है। आजकल बाजारों में मिलने वाली मेंहदी में कई खतरनाक रसायन मिले होते हैं। जो पहले तो आपके हाथों पर मेंहदी के रंग को गाढ़ा करते हैं लेकिन कुछ समय बाद ये त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं।
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मेंहदी मे होते है खतरनाक रसायन
त्योहारों के मौसम में बाजारों में लगाई जाने वाली मेहंदी में पैरा फैनिलिनडायमिन (पीपीडी) और डायमीन नामक रसायन होते हैं जो त्वचा संक्रमण का कारण हो सकते हैं। मेहंदी के रंग को गहरा करने के लिए इसमें ये खतरनाक रसायन मिलाए जाते हैं। इससे त्वचा में जलन, सूजन, खुजली और खरोंच के निशान बन जाने का खतरा होता है। इन खतरनाक रासायनों से तैयार मेहंदी सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों के सम्पर्क में आने पर कैंसर का कारण बन सकता है। वैसे इसमे सिर्फ पीपीडी ही नहीं बल्कि इनमें मौजूद अमोनिया, आक्सीडेटिन, पैराक्साइड, हाइड्रोजन तथा अन्य केमिकल भी मानवीय त्वचा के लिए अत्यंत खतरनाक है। इसमें मौजूद पीएच एसिड तो और भी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
नेचुरल पत्ते वाली मेंहदी का ही करे इस्तेमाल
मेंहदी की पहचान काफी मुश्किल हो गई है इसलिए नेचुरल पत्ते वाली मेंहदी का ही इस्तेमाल करे। जानकारी दी कि अगर मेंहदी लगाने के बाद शरीर पर छाले वगैरह पड़ जाएं तो उसे ठंडे पानी से धोयें और फिर उस पर काफूर तथा नारियल का लेप लगाएं। कभी भी लोकल एवं सस्ती मेंहदी के चक्कर में न पड़े। त्वचा रोग विशेषज्ञ कहते है कि मेंहदी तुरंत तो अपना असर नहीं दिखाती लेकिन लंबे समय तक इसका इस्तेमाल कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। हर मेंहदी का केमिकल स्ट्रक्चर और अनुपात भी समान नहीं होता। यहां तक कि हर्बल और नेचुरल मेंहदी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होती, हां सिंथेटिक मेंहदी से कुछ कम घातक होती है। काली मेंहदी, नेचुरल और हर्बल मेंहदी में भी पीपीडी तत्व होता है क्योंकि इसके बिना मेंहदी बनना संभव ही नहीं है।
अगर मेंहदी का रिएक्शन हो जाए तो ऐसी स्थिति में रसमाणिक, सल्फर, स्वर्णगैरिक को द्यृतकुमारी का रस तथा शहद के साथ लें। जरूरी हो तभी ब्रांडेड मेंहदी लगाएं।
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