हर इंसान सोने समय करवट जरूर बदलता होगा। एक करवट पूरी रात सोना लगभग नामुमकिन है। क्योंकि इससे उस साइड के कंधे पर दर्द देने लगता है। कई बार लोग औंधे मुंह भी सो जाते हैं। लेकिन सवाल तो वही है कि किस करवट सोना चाहिए? तो इसका जवाब छुपा है इस्लामी विद्वान शेख सुद्दूक (र-) की किताब ‘अय्यून अखबारुलरज़ा’ में इमाम हज़रत अली (अ.स.) के कौल में, ‘नींद चार तरह की होती है,
- अंबिया सीधे सोते हैं और वह सोते में भी वही इलाही के मुन्तजिर होते हैं।
- मोमिन क़िब्ला रू होकर दाईं करवट के बल सोता है।
- बादशाह और उन की औलाद बाईं करवट के बल सोते हैं ताकि उन की गिज़ा हज्म़ हो सके।
- इब्लीस और उसके भाई बन्द और दीवाने और आफत रसीदा अफराद मुंह के बल उल्टे सोया करते हैं।’

अब इस लेख में जानते हैं कि विज्ञान क्या कहते है। विज्ञान के अनुसार सोना लोगों के ऊपर निर्भर करता है और इस सोने की आदत से लोगों की प्रकृति का पता चलता है। जैसे कि पिछले दिनों हुई एक रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि जो लोग सीधे सोते हैं वे सरल स्वभाव के होते है और लोगों से तुरं त घुल-मिल जाते हैँ। लेकिन हम बात कर रहे थे कि किस करवट सोने से क्या फायदा होता है। बाई करवट सोने के फायदे तो आप पढ़ चुके हैं तो आज बात करते हैं दाईं करवट सोने के फायदों के बारे में।
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करता है हृदयाघात का खतरा कम
दाईं करवट सोने से दिल पर दबाव कम पड़ता है। हर किसी को मालुम है कि दिल बाईं साइड होता है और पूरे शरीर में खून यहीं से सप्लाई होता है। ऐसे में जब आप बाई करवट सोते हो तो हृदय पर दवाब बनता है जिससे खून व आक्सीज़न की सप्लाई पूरे शरीर में सुचारु तौर पर नहीं हो पाती। जबकि दाईं करवट सोने से सीने पर कम दबाव पड़ता है जिससे शरीर और दिमाग तक आसानी से खून व आक्सीज़न की सप्लाई होते रहती है।
माइग्रेन ठीक होता है
दाईं करवट सोने से सोचने की ताकत बढ़ती है। जो राइटी होते हैं उनके दिमाग को लेफ्ट साइड काम करता है। ऐसे में जब दाईं करवट सोते हैं तो हमारे दिमाग के बाएं साइड पर दबाव नहीं पड़ता और दिमागी ताकत बढ़ती है।
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