देर रात तक जागकर पढ़ाई करने वाले बच्चों का दिमाग कमजोर हो जाता है और वे पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आयी है कि रात में देर से सोने से बच्चों का दिमाग कमजोर होता है। रात में देर से सोने वाले टीनएजर्स पढ़ने-लिखने में फिसड्डी होते हैं। इसके अलावा ऐसे बच्चों को भावनात्मक परेशानियों से भी जूझना पड़ता है। अध्ययन में यह बात भी सामने आयी है कि इनके मुकाबले जो बच्चे जल्दी सो जाते हैं, उनका शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर होता है।
हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट ने इस पर अध्ययन किया। इस रिसर्च टीम के हेड लॉरेन के मुताबिक, 'जो बच्चे रात में 11:30 के बाद के बाद बिस्तर पर जाते हैं, स्कूल में उनका ग्रेड प्वॉइंट बेहद खराब होता है। इन्हें इमोशनल दिक्कतों से भी दो-चार होना पड़ता है। हाई स्कूल, ग्रेजुएशन और कॉलेज जाने के दिनों में भी इन्हें काफी मुश्किलें हो सकती हैं।'
इस अध्ययन के लिए 13 से 18 साल के बीच के तकरीबन 2,700 टीनएजर्स के सोने के घंटों पर शोध हुआ। यह शोध अमेरिका के नैशनल लॉन्गिट्यूडिनल स्टडी ऑफ अडोलसेंट हेल्थ की ओर से 1995 और 1996 में की गई थी। इसके बाद 2001-02 में जब स्टडी में शामिल बच्चे और बड़े हो गए तो इनसे जुड़ी जानकारियां इकट्ठा की गईं।
इस शोध का मकसद यह पता करना था कि क्या बच्चों के सोने के वक्त का उनकी शैक्षिक प्रदर्शन पर कोई असर पड़ता है या नहीं। शोध के दौरान यह पता चला कि इनमें से 23 प्रतिशत बच्चे 11:15 बजे या फिर इसके बाद सोने जाते हैं। स्टडी के बीच वक्त का जो अंतराल था, उसमें सारे टीनएजर्स कॉलेज तक पहुंच चुके थे। उनके शैक्षिक रिकॉर्ड से पता चला कि ग्रेजुएशन में उनका ग्रेड काफी चिंताजनक था।
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