एकल अभिभावक होने के लाभ हैं या नुकसान, जानें एक्सपर्ट की राय

पिछले कुछ समय से संयुक्त परिवार के मुकाबले एकल परिवारों और एकल अभिभावक की संख्या तेजी से बढ़ी है। 
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एकल अभिभावक होने के लाभ हैं या नुकसान, जानें एक्सपर्ट की राय


पिछले कुछ समय से संयुक्त परिवार के मुकाबले एकल परिवारों और एकल अभिभावक की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई बार ट्रांसफर होने की वजह से भी एकल परिवार में रहना लोगों की मजबूरी बन जाती है। पैरेंट्स के बिजी होने के चलते बच्चे का भी सर्वागीण विकास नहीं हो पाता।  एकल अभिभावक अपने बच्चे को जरूरत से ज्यादा समय देते हैं। उनका ध्यान बच्चे पर फोकस करने के अलावा कहीं और नहीं भटकता, इतना ही नहीं बच्चे समय के अनुसार समझदार हो जाते हैं। आज हमारी एक्सपर्ट एकता तिवारी आपको एकल परिवार के लाभ और हानि के बारे में बता रहे हैं।

एकल अभिभावक के क्या लाभ हैं

  • एकल अभिभावक का अधिकतर समय अपने बच्चों और परिवार के साथ ही बीतता है।
  • बच्चे के तर्क-वितर्क करने की क्षमता बढ़ जाती है और एकल अभिभावक अधिक सतर्क व अधिक जिम्मेदार होते है क्योंकि उन्हें मां और पिता दोनों की ही भूमिका निभानी होती है।
  • सिंगल पेरेंटिंग के दौरान बच्चे जल्दी जिम्मेदार हो जाते हैं, जल्दी आत्मनिर्भर भी बनते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान भी अपने आप खोजने के लिए परिवपक्व हो जाते हैं।

  • बच्चा समय से पहले मैच्योर होने लगता है और उसके अनुभव अन्य बच्चों से कहीं ज्या‍दा अलग होते है और वह जिम्मेदारियों को सही तरह से निभाना सीख जाता है।
  • एकल अभिभावक अपने बच्चे से अपनी अधिक से अधिक बातें शेयर कर पाते हैं, लेकिन ऐसे में ध्या‍न रखें की बच्चे से हर प्रकार की बातें ना शेयर करें ।
  • एकल अभिभावक अपनी और अपने बच्चे की सभी ख्वाहिशों को आसानी से पूरा कर सकते हैं।
  • एकल पेरेंट्स पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी हो जाते हैं।
  • सिंगल पेरेंटिंग अपने आप में एक चैलेंज है लेकिन साथ ही यह बहुत कुछ सीखने का मौका देता है। ऐसा भी हो सकता है कि आपके साथ, मुश्किल की घडियां आये और ऐसे में इससे में हतोत्साहित बिलकुल ना हों।

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संयुक्त परिवार के फायदे

  • संयुक्त परिवार में बच्चा घुल-मिल जाता है और उसे पारिवारिक माहौल में रहने की आदत बन जाती है। इससे उसका व्यावहारिक ज्ञान भी बढ़ता है।
  • मां-पिता के न होने पर परिवार के दूसरे सदस्य बच्चे को संभाल लेते हैं, जिसके पति-पत्नी को ज्यादा कठिनाई नहीं होती।
  • संयुक्त परिवार में बुजुर्ग सेंसर का काम करते हैं। बच्चे की हर गतिविधि पर पारिवारिक सदस्यों की नजर रहती है। संयुक्त परिवार में बच्चे के बिगड़ने की बहुत कम आशंका होती है और समय रहते उसमें सुधार किया जा सकता है।

एकल परिवार से परेशानी

  • किसी कार्यक्रम में छोटे बच्चे को ले जाना मुश्किल हो जाता है और घर में किसी के न होने के कारण अकेला छोड़ नहीं सकते।
  • बच्चे को कंपनी नहीं मिल पाती।
  • बड़ों से संस्कार नहीं मिल पाता जो कि उसके विकास के लिए बाधा बनते हैं।
  • बच्चों को अपने रिश्तेदारों व अपनी विरासत के बारे में नहीं पता चल पाता सही ज्ञान।
  • घर में बच्चे की या पत्नी की तबीयत बिगड़ने पर संभालना मुश्किल हो जाता है।

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