डायबिटीज नेफरोपैथी मधुमेह का ही एक प्रकार है। इस बीमारी का असर रोग से ग्रसित व्यक्ति की किडनी को प्रभावित करता है। इस रोग के शिकार होने वाले व्यक्ति की किडनी अपशिष्ट पदार्थों को सही प्रकार अलग नहीं कर पाती ।
जिन लोगों को 15 वर्ष या उससे अधिक समय से डायबिटीज है, उन्हें यह बीमारी होने की आशंका अधिक होती है। यानी आमतौर पर पचास से सत्तर वर्ष की उम्र के लोगों में यह बीमारी होने की आशंका होती है। यह बीमारी लगातार बढ़ती रहती है। इसे काबू करना कई बार काफी मुश्किल हो जाता है।
लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि केवल एक प्रकार के डायबिटीज मरीजों को यह बीमारी अपना शिकार बनाती है। मरीज चाहे टाइप वन डायबिटीज से पीडि़त हो अथवा टाइप टू डायबिटीज से, कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अनियंत्रित होने पर यह बीमारी घातक रूप ले सकती है। खतरनाक होने पर यह जानलेवा भी हो सकती है।
इतना ही नहीं इस बीमारी के ग्रसित लोगों के लिए अपना रक्तचाप नियंत्रित रखना भी बेहद जरूरी होता है। अगर किसी वजह से मरीज अपना रक्तचाप काबू में नहीं रख पाता है, तो फिर उसे इस बीमारी के घातक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हाई कोलेस्ट्रॉल के शिकार लोगों को भी डायबिटिक नेफरोपैथी से बचकर रहना चाहिए।
दरअसल, हमारे गुर्दों में बहुत सूक्ष्म रक्त वाहिकायें होती हैं। इन वाहिकाआं का काम रक्त साफ करना भी होता है। लेकिन मधुमेह के कारण कारण अधिक रक्त में शुगर की अधिक मात्रा इन रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। जिसका असर व्यक्ति के गुर्दों पर पड़ता है और वे काम करना बंद कर देते हैं।
डायबिटिक नेफरोपैथी के लक्षण
आमतौर पर किडनी को नुकसान पहुंचने के कोई लक्षण नजर नहीं आते। यह नुकसान धीरे से शुरू होता है और परिस्थितियां धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं। वास्तविकता यह है कि इस बीमारी के लक्षण नजर आने के पांच से दस साल पहले से ही किडनी को क्षति पहुंचनी शुरू हो जाती है।
वे लोग जिन्हें गंभीर व लंबे समय से किडनी की बीमारी है, उन्हें इस प्रकार के लक्षण नजर आते हैं -
अधिकतर समय थकान महसूस होना
इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को अधिकतर समय थकान का अहसास होता रहता है। उसका किसी काम में जी नहीं लगता और न ही किसी काम करने की ऊर्जा ही उसमें रहती है।
हर समय बीमारी का अहसास होना
डायबिटीज नेफरोपैथी के मरीज को यह लगता है कि वह बीमार है। उसे भीतर से अपनी तबीयत हमेशा नासाज ही नजर आती है। अपनी सेहत को लेकर वह पूरी तरह कभी आशांवित और सकारात्मक नहीं होता।
सिरदर्द की शिकायत रहना
सिरदर्द की शिकायत डायबिटिक नेफरोपैथी के मरीज को होने वाली एक और आम शिकायत है। अगर आपको डायबिटीज है और आपके सिर में लगातार दर्द रहता है तो आपको डायबिटीज नेफरोपैथी की जांच अवश्य करवानी चाहिए।
मतली और उल्टी की शिकायत
इस बीमारी के मरीजों को मतली और उल्टी की शिकायत भी परेशान करती है। क्योंकि इस बीमारी में गुर्दे सही प्रकार से काम नहीं करते, इसलिए मतली या उल्टी की शिकायत हो सकती है।
खराब हाजमा होना
खराब हाजमा भी डायबिटिक का एक लक्षण है। यूं तो हाजमा कई कारणों से खराब हो सकता है, लेकिन डायबिटीज के मरीज की पाचन क्रिया अगर सही प्रकार से काम नहीं कर रही हो, और ऐसी समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो आपको बिना देर किए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
टांगों में सूजन
इस बीमारी में अपशिष्ट पदार्थ साफ करने की गुर्दों की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे में शरीर में विभिन्न हिस्सों, विशेषकर टांगों में सूजन आना आम बात है। डायबिटीज के मरीजों को चाहिए कि अगर उन्हें लंबे समय से यह बीमारी है और साथ ही अगर उन्हें अपनी टांगों में सूजन की शिकायत है, तो उन्हें डायबिटिक नेफरोपैथी की जांच करवा लेनी चाहिए।
पारिवारिक इतिहास
कुछ मामलों में, आपका पारिवारिक इतिहास भी मायने रखता है। डायबिटीज से पीडि़त हर व्यक्ति को किडनी संबंधी शिकायत भी नहीं होती। लेकिन, किसी के परिवार में अगर इस बीमारी का इतिहास रहा है, तो व्यक्ति को इस बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका अधिक होती है।
धूम्रपान से होता है खतरा
डायबिटीज से ग्रस्त वे मरीज जो धूम्रपान करते हैं और वे लोग जिन्हें 20 वर्ष की आयु से पहले टाइप वन डायबिटीज हो गई थी, को किडनी की समस्याएं होने का खतरा अधिक रहता है।
अफ्रीकन-अमेरिकन, हिस्पेनिक और अमेरिकन इंडियन क्षेत्र के लोगों को भी किडनी के नुकसान होने का खतरा अधिक होता है।क
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