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तंबाकू या एल्‍कोहल से बढ़ जाता है Oral Cancer का खतरा, डॉक्‍टर से जानें बचाव के 5 उपाय

तंबाकू और एल्कोहल से ओरल कैंसर का खतरा बढ़ता है। इस गंभीर बीमारी से बचने के ल‍िए समय पर जांच और लक्षणों की पहचान सबसे ज्‍यादा जरूरी है।
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तंबाकू या एल्‍कोहल से बढ़ जाता है Oral Cancer का खतरा, डॉक्‍टर से जानें बचाव के 5 उपाय

भारत में ओरल कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। हेल्थ रिसर्च संस्थानों के मुताबिक, तंबाकू यानी बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी और एल्कोहल का ज्‍यादा सेवन ओरल कैंसर के मुख्य कारणों में आता है। डब्‍ल्‍यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सभी कैंसर मामलों में से लगभग 30 प्रत‍िशत मामले केवल तंबाकू से जुड़े होते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या मुंह के कैंसर की होती है। एल्कोहल का सेवन तंबाकू के प्रभाव को और खतरनाक बना देता है क्योंकि दोनों मिलकर मुंह की कोशिकाओं में म्यूटेशन का खतरा बढ़ाते हैं। कैंसर के शुरुआती लक्षण जैसे- मुंह में जख्म जो ठीक नहीं होता, खून आना, चबाने या बोलने में कठिनाई आदि को नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम जागरूक रहें और समय पर सही उपाय अपनाएं। इस लेख में हम डॉक्टरों द्वारा बताए गए 5 उपाय साझा करने जा रहे हैं जो ओरल कैंसर से बचाव में आपकी मदद कर सकते हैं। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्‍प‍िटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।

1. हर 6 महीने में जांच कराएं- Go For Screening in Every 6 Months

डॉ. राजेश के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति तंबाकू या शराब का सेवन करता है, तो उसे हर 6 महीने में एक बार मुंह, जीभ, गले और होंठों की मेडिकल स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए। इससे शुरुआती अवस्था में ओरल कैंसर (Oral Cancer) या प्री-कैंसरस कोशिकाओं का पता चल सकता है।

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2. ओरल कैंसर के लक्षणों को नजरअंदाज न करें- Don’t Ignore Oral Cancer Signs

अगर मुंह में लगातार छाले, सफेद या लाल धब्बे, किसी हिस्से में गांठ या मुंह में सूजन हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। ये लक्षण प्री-कैंसरस हो सकते हैं, जिनका शुरुआती इलाज बहुत जरूरी होता है। एमआरआई, सीटी स्‍कैन या पीईटी स्‍कैन की मदद कैंसर को जल्‍दी पकड़ने में मदद म‍िलती है।

3. बायोप्सी में देर न करें- Go For Biopsy

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अगर डॉक्टर किसी जख्म या गांठ को संदिग्ध मानते हैं, तो बायोप्सी की जाती है। डॉ राजेश बताते हैं कि बायोप्सी से यह पता चलता है कि कोशिकाएं सामान्य हैं या कैंसरग्रस्त। इसे टालना बीमारी को बढ़ावा दे सकता है।

4. तनाव और नींद का रखें ख्याल- Manage Stress and Quality Sleep

डॉ राजेश के अनुसार, लगातार स्‍ट्रेस लेने और नींद की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों के लिए शरीर ज्‍यादा सेंस‍िट‍िव हो जाता है। ध्यान, योग और 7-8 घंटे की गहरी नींद न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि कोशिकाओं की मरम्मत के लिए भी जरूरी है।

5. इम्यूनि‍टी बढ़ाने वाला डाइट प्‍लान अपनाएं- Follow an Immune Boosting Diet Plan

डॉ राजेश बताते हैं कि विटामिन-सी, ई, सेलेनियम और फाइटोन्यूट्रिएंट्स जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर फल-सब्जियां जैसे आंवला, ब्रोकली, अनार, गाजर, पालक आद‍ि कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाते हैं। साथ ही प्रोबायोटिक्स जैसे दही और फाइबर युक्त आहार से मुंह और गले का स्‍वास्‍थ्‍य बेहतर होता है।

ओरल कैंसर की रोकथाम केवल आदतें सुधारने से ही नहीं होती, बल्कि डॉक्टरों की सलाह मानकर समय-समय पर जांच करवाने से होती है। जागरूक बनें, नियमित जांच कराएं और अगर कोई लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

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