Perimenopause Kya Hota Hai: पेरिमेनोपॉज, मेनोपॉज के आसपास का समय होता है। पेरिमेनोपॉज को महिला की प्रजनन समय के आखिरी समय कहा जा सकता है। हालांकि, कुछ महिलाओं में पेरिमेनोपॉज बहुत जल्दी शुरू हो जाता है, तो कुछ लोगों में बहुत समय लगता है। पेरिमेनोपॉज को मेनोपॉज ट्रांजिशन के नाम से भी जाता है। क्योंकि यह एक तरह ट्रांजिट फेज होता है। पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं में प्रजनन दर कम हो जाती है, जबकि मेनोपॉज के बाद हो पूरी तरह खत्म हो जाता है। कई बार महिलाओं को पेरिमेनोपॉज के फेज को समझने में मुश्किल होती है। असल में, हर महिला अपने जीवन काल में कभी न कभी और किसी न किसी वजह से मेंस्ट्रुअल प्रॉब्लम से गुजरती है। ऐसे में कभी पीरियड्स कम होते हैं, तो कभी ब्लड फ्लो हैवी हो जाता है। यही कारण है कि पेरिमेनोपॉज फेज आने महिलाएं इसे स्पष्ट रूप से समझ नहीं पाती हैं। इस लेख में हम आपको स्पष्ट कर रहे हैं कि आखिर पेरिमेनोपॉज में किस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
पेरिमेनोपॉज के लक्षण- Perimenopause Ke Lakshan
पेरिमेनोपॉज में होते हैं अनियमित पीरियड्स
पेरिमेनोपॉज के समय पीरियड्स में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। कभी पीरियड्स रेगुलर रहते हैं, तो कभी अनियमित हो जाते हैं। कभी ब्लीडिंग नॉर्मल रहती है, तो कभी हैवी फ्लो होता है। इस दौरान ओव्यूलेशन भी प्रभावित होता है। अगर आपको लगतार 60 दिनों तक पीरियड्स नहीं हो रहे हैं, तो यह पेरिमेनोपॉज का संकेत हो सकता है।
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पेरिमेनोपॉज में हो सकते हैं हॉट फ्लैशेज
पेरिमेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैशेज होना आम समस्या है। इसके अलावा, इस दौर में अक्सर महिलाओं को रात के समय नींद नहीं आती है। हालांकि, हर महिला में इस तरह की समस्या हो, यह जरूरी नहीं है। कुछ लोगों को ऐसा लेट पेरिमेनोपॉज के दौरान हो सकता है और कुछ महिलाओं को शुरुआती दिनों में इस तरह की समस्या देखने को मिलती है।
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पेरिमेनोपॉज में होते हैं मूड चेंजेस
पेरिमेनोपॉज में महिलाओं को काफी ज्यादा मूड चेंजेस का सामना करना पड़ता है। वास्तव में, इन दिनों महिलाओं में पीरियड्स बाधित होने लगते हैं। जिससे एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है। हार्मोन असंतुलन होने के कारण महिला के मेंटल हेल्थ पर भी इसका असर देखने को मिलता है। विशेषकर, बात-बात पर चिड़चिड़ा होना या बिना वजह परेशान हो जाना। असल में, जब महिला पेरिमेनोपॉज के कारण रात को सो नहीं पाती है, तो ऐसे में सुबह वह डल फील करती है। नतीजतन, मूड पर इसका निगेटिव असर नजर आने लगता है।
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पेरिमेनोपॉज में वजाइनल प्रॉब्लम होती है
पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में काफी तेजी से गिरावट आने लगती है। ऐसे में वजाइनल ड्राईनेस हो सकती क्योंकि योनि अपनी लुब्रिकेशन खो देती है। यही नहीं, एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आने की वजह से महिला के लिए सेक्स प्रक्रिया काफी कठिन हो जाती है। कई बार, महिला को पेरिमेनोपॉज के दौरान बार-बार यूरिन इंफेक्शन जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
पेरिमेनोपॉज में फर्टिलिटी पर असर पड़ना
चूंकि पेरिमेनोपॉज के दौरान ओव्यूलेशन पीरियड पूरी तरह बाधित हो जाते हैं। ऐसे में महिला के लिए कंसीव करना एक चैलेंजिंग टास्क बन जाता है। हालांकि, अगर किसी महिला को पीरियड्स हो रहे हैं, तो कंसीव करने की संभावना हमेशा बनी रहती है। फिर चाहे पीरियड्स रेगुलर हो या रेगुलर। अगर आप पेरिमेनोपॉज के दौरान प्रेग्नेंसी से बचना चाहती हैं, तो बेहतर है कि बर्थ कंट्रोल पिल या सेक्स के दौरान कंडोम इस्तेमाल करें।
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