वैश्वीकरण (Globalisation) के बाद हम पिज्जा, बर्गर, मोमोज जैसे खाद्य पदार्थों से रूबरू तो हुए और इन्हें अपना स्टेटस सिंबल समझकर खाया भी खूब, लेकिन इस तरह के खाद्य पदार्थ शरीर को किस कदर नुकसान पहुंचाते रहे और पहुंचा रहे हैं इस पर हमने ध्यान नहीं दिया। इस तरह के मैदा और तैलीय खाद्य पदार्थों की वजह मोटापा जैसी महामारी देश में तेजी से बढ़ी। दूसरी तरफ भागमभाग भरी जिंदगी में सही खाना खाने का समय तक नहीं मिलता। ऐसे में लोग बाहर से कुछ भी खरीद कर खा लेते हैं। लेकिन अपने बढ़ते वजन को कम करने के लिए तमाम तरह के डाइट प्लान्स को फॉलो करते हैं। उन्हीं में से एक डाइट कीटो डाइट (Keto diet) है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कीटो डाइट का हृदय रोगियों (Heart patient) के लिए कितना नुकसान है। कीटो दिल के मरीजों पर किस तरह नकारात्मक असर डालती है, इसके बारे में हमने बात की राजकीय हृदय रोग संस्थान, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में कार्यरत वरिष्ठ प्रोफेसर ऑफ कार्डियोलॉजी डॉ. अवधेश शर्मा से।
क्या है कीटो डाइट (What is Keto diet)
डॉ. अवधेश शर्मा के मुताबिक कीटो डाइट में आमतौर पर जिस भोजन में वसा (फैट) की अधिक होता है, वह भोजन इस्तेमाल में लाया जाता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि इस भोजन में प्रोटीन की सामान्य मात्रा व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा न हो। यह देखा गया है कि सिर्फ़ ज़्यादा वसायुक्त भोजन करने से व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भोजन में न होने की वजह से शरीर में स्टारवेशन (starvation) की स्थिति पैदा हो जाती है और शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज के स्थान पर वसा के विघटन से उत्पन्न कीटोन को ऊर्जा (Energy) के स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करने लगती हैं। यही वजह है कि शरीर का जमा फ़ैट (वसा) धीरे-धीरे ख़त्म होने लगता है और वजन तेजी से घटने लगता है।ऐसी स्थिति सामान्यतः तब होती है जब हम लम्बे समय तक भूखे रहते हैं। साधारण दिनों में शरीर अपने लिए ऊर्जा मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट से ग्लूकोज की फ़ॉर्म में लेता है,जबकि कीटो डाइट में यह ऊर्जा वसा से मिलती है।कीटो डाइट में 80 फ़ीसदी तक वसायुक्त भोजन होते हैं और 15 प्रतिशत प्रोटीनयुक्त व 5 प्रतिशत से कम कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ होते हैं।
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हृदय रोगियों के लिए कीटो डाइट के नुकसान (Side effects of keto diet for heart patient)
डॉ. अवधेश का कहना है कि मोटापा आज के समय में आधी से ज़्यादा आबादी को अपनी गिरफ़्त में ले चुका है। आज के समय की भागम-भाग वाली ज़िन्दगी और तैलीय भोजन की अधिकता ने लगभग हर दूसरे व्यक्ति को मोटापे से ग्रस्त कर दिया है। हर मोटा व्यक्ति अपना वजन कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाता है।पतला होने की जल्दबाजी में वह कभी-कभी ऐसे तरीक़े भी अपना लेता है जो कि शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसीलिये यह सलाह दी जाती है कि आप अपना वजन किसी प्रशिक्षित डाइटिशियन के दिशानिर्देश में ही कम करें। आजकल फटाफट वजन कम करने के लिए कीटो डाइट को भी फोलो किया जाता है। इस डाइट का हृदय रोगियों को बहुत नुकसान होता है। डॉ. अवधेश के मुताबिक ये हैं हृदय रोगियों के लिए कीटो डाइट के नुकसान-
हार्ट अटैक का कारण है कीटो डाइट
वैसे तो कीटो डाइट पूरे शरीर पर ही अपना दुष्प्रभाव (Side effects) छोड़ती है लेकिन हृदय के लिए यह काफी नुक़सानदायक है।एक हृदय रोगी (heart patient) को कम वसायुक्त भोजन की सलाह दी जाती है क्योंकि ज़्यादा मात्रा में वसा का सेवन हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। एक हृदय रोगी को पूरे दिन में 10 फीसद से ज़्यादा सैचुरेटेड वसा अपने भोजन में नहीं लेना चाहिए। चूंकि कीटो डाइट का आधार ही वसायुक्त भोजन (Fatty Food) है इसलिए ज़्यादा वसा का सेवन करने से हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों (Blood vessels) में रुकावट आ जाती है जो कि हार्ट अटैक (Heart attack) का कारण बनती हैं और हार्ट अटैक की आशंका अचानक कई गुना बढ़ जाती है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि जो लोग पहले से ही हार्ट के रोगी हैं उनमें कीटो डाइट लेने से बार-बार हार्ट अटैक पड़ने लगता है जो कि बहुत ही ख़तरनाक स्थिति होती है और ज़्यादातर मामलों में जानलेवा साबित होता है। इसलिए हार्ट अटैक के मरीज़ों को कीटो डाइट से परहेज रखना चाहिए।
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ब्लड प्रशर पर पड़ता है असर
कार्डियोलोजी के प्रोफेसर डॉ. अवधेश शर्मा ने बताया कि कीटो डाइट (Keto Diet) लेने से शरीर में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसका कि ब्लड प्रेशर पर भी विपरीत (Opposite) असर पड़ता है।ज़्यादातर लोगों में जो कि कीटो डाइट लेते हैं ब्लड प्रेशर कम हो जाता है जिसकी वजह से कमजोरी और चक्कर की शिकायत होने लगती है। इन सबके अतिरिक्त कीटो डाइट लेने से क़ब्ज,पेशाब में संक्रमण,थकान व सांस फूलने की दिक्कत भी होती है।
शरीर में अन्य पोषक तत्त्वों की कमी
जब हम कीटो डाइट को फॉलो करते हैं शरीर में वसा के अलावा अन्य पोषक तत्त्व नहीं पहुंचते हैं। जिससे बाकी पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है। यह पोषक कमी हृदय रोगियों की परेशानी और बढ़ा देती है।
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हार्ट की गति का बढ़ना
कीटो डाइट से हार्ट की गति भी बढ़ जाती है।कीटो डाइटिंग शुरू करने के 1-2 हफ़्ते बाद दिल की गति प्रायः 100 प्रति मिनट से ज़्यादा हो जाती है जिस कारण व्यक्ति को धड़कन महसूस होती है।हार्ट की गति सामान्य से ज़्यादा होने के कारण हार्ट पर ज़्यादा दबाव पड़ता है जिसकी की परिणति भविष्य में हार्ट फेल और हार्ट अटैक के रूप में होती है।
ब्लड शुगर पर असर
कीटो डायट अपनाने से शुगर के मरीज़ों में प्रायः यह देखा गया है कि इस डाइट से उनका ब्लड शुगर अचानक काफ़ी कम हो जाता है जिस कारण उन्हें बेहोशी हो जाती है।शुगर के मरीज़ों में इस प्रक्रिया के बार-बार दुहराने से उनके हृदय पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि कीटो डाइट वजन तो ज़रूर तेजी से कम करती है लेकिन शरीर पर ख़ासतौर से हृदय पर काफ़ी नकारात्मक प्रभाव भी छोड़ती है।इसलिए यह सलाह है कि वजन कम करने के लिए कीटो डाइट को अपनाने के स्थान पर व्यायाम करें व प्रशिक्षित डायटीशियन की मदद से मोटापे पर नियंत्रण रखें।
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