
गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी सा हो गया है, इसके पीछे कई मान्य कारण भी हैं। भ्रूण और गर्भवती दोनों के बारे में अल्ट्रासाउंड से कई अहम जानकारियां हांसिल की जाती हैं। लेकिन गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के कई अतिरिक्त प्रभाव होने की बात भी सामने आती रही हैं। आइये जानते हैं कि गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के अतिरिक्त प्रभाव क्या हैं।
गर्भावस्था के दौरान कई तरह की जांच की जाती हैं। इनमें एक्सरे, खून जांच, पेशाब जांच इत्यादि के साथ ही अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए आप शरीर के भीतर होने वाली हलचल या किसी भी गड़बड़ी को पारदर्शिता से देख सकते हैं यानी अल्ट्रांसाउंड फोटो कॉपी की तरह होता है। गर्भावस्था में भी अल्ट्रासाउंड समय-समय पर करवाया जाता है, जिससे होने वाले बच्चे के विकास और अन्य चीजों की देख-रेख की जा सकें। लेकिन क्या आप जानते हैं गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के अतिरिक्त प्रभाव हो सकते हैं। हालांकि एक-दो बार अल्ट्रासाउंड का इतना अधिक प्रभाव नहीं पड़ता जितना लगातार करवाने वाले अल्ट्रासाउंड का पड़ता है। चलिए गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड के अतिरिक्त प्रभावों के बारे में जानने से पहले गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड की भूमिका के बारे में थोड़ा और जान लेते हैं।
गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड-
अल्ट्रासाउंड एक ऐसी जांच है जिसमे आपके बच्चे, गर्भाशय तथा नाल (Placenta) की स्थिति जानने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। अल्ट्रासाउंड में बच्चे की दिल की धड़कन सुनी जा सकती हैं तथा मोनीटर स्क्रीन पर बच्चे की तस्वीरें भी देखी जा सकती हैं।
अल्ट्रासाउंड का प्रयोग बच्चे की नियत तिथि की जांच, बच्चे के विकास तथा बच्चे के वजन की जांच, बच्चे में जन्मगत दोष जानने आदि के लिए भी किया जाता है। यदि जन्मगत दोष पाया जाता है तो अन्य परीक्षण किये जाते हैं। इसके आलावा रक्त स्राव तथा अन्य गर्भावस्था संबंधित समस्याओं के कारण जानने के लिए भी अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है। गर्भावस्था में बाद के महीनों में बच्चे की स्थिति जानने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
साथ ही गर्भावस्था के दौरान करवाएं जाने वाले अल्ट्रासाउंड के जरिए भ्रूण के विकास का अंदाजा लगाया जाता है, इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि गर्भ में फीटल किक शुरू हो गई है या नहीं, हफ्ते दर हफ्ते भ्रूण का विकास सही हो रहा है या नहीं, क्या गर्भ में भ्रूण की स्थिति सही है, इत्यादि बातों का अल्ट्रासाउंड के जरिए ही पता लगाया जाता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान आने वाली जटिलताओं को दूर करने के लिए भी डॉक्टर्स समय-समय पर अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं। लिहाजा, इस बाबत कई शोध किए गए हैं कि गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर करवाएं जाने वाले अल्ट्रासाउंड्स से मां और बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है। इन शोधों का आज के समय में बहुत महत्व है क्योंकि आजकल लोगों का रूझान अजन्मे बच्चे के लिंग को पता करने में बहुत अधिक है।
गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड के अतिरिक्त प्रभाव
- शोधों में साबित हुआ है कि अल्ट्रासाउंड से निकलने वाली रेडियोएक्टिव तरंगों से होने वाले बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है और बच्चे के मानसिक विकास में बाधा आती है।
- लगातार या नियमित रूप से गर्भवती यदि अल्ट्रासाउंड करवाती हैं कि होने वाले बच्चे में कोशिकाओं के विकास और उसके विभाजन में बाधा उत्पन्न होने की संभावना बराबर बनी रहती है।
- शोधों में यह भी साबित हुआ है कि लगातार अल्ट्रासाउंड करवाने से डीएनए सेल्स को नुकसान पहुंचता है और इसके साथ ही शरीर में ट्यूमर सेल्स भी बनने लगते हैं जो कि मौत का जोखिम बढ़ा देते हैं। यह एक खतरनाक स्थिति है क्योंकि इससे आनुवांशिक कैंसर का खतरा लगातार बढ़ जाता है।
- शोधों में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान जो महिलाएं नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड करवाती हैं उनके होने वाले बच्चे का वजन कम होने की आशंका दुगुनी हो जाती है। इतना ही नहीं होने वाला बच्चा कमजोर हो सकता है या किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान बार-बार अल्ट्रासाउंड करवाने वाली महिलाओं के बच्चे अतिसंवेदनशील हो जाते हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, इससे उन्हें कोई भी बीमारी जल्दी अपनी चपेट में ले सकती हैं।
- बहरहाल, इस बात पर अभी भी मतभेद है कि गर्भावस्था के दौरान ध्वनि तरंगों का प्रयोग मां और होने वाले बच्चे के लिए सुरक्षित है। इतना ही नहीं कई शोधों के बावजूद अल्ट्रासाउंड से होने वाले साइड इफेक्ट्स भी पुख्ता नहीं हैं। फिर भी गर्भवती महिला को खुद का और अपने होने वाले बच्चे की सुरक्षा के लिए पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए और गर्भधारण टिप्स को ध्यान में रखना चाहिए।
अल्ट्रासाउंड के माध्यम से बच्चे के लिंग के बारे में पता लगाया जा सकता है। यह भी अल्ट्रासाउंज का एक नकारात्मक पक्ष है। लेकिन यह पूरी तरह से गैर कानूनी है। कोई भी हस्पताल ऐसा करने की इजाजत नहीं देता। यदि कोई ऐसा करता है तो उस पर सख्त कानूनी कार्यवाही होती है।
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