आजकल फास्टफूड्स, जंकफूड्स और ज्यादा तेल- मसाले वाले खानों की वजह से पेट की समस्या आम हो गई है। कब्ज, ब्लोटिंग, एसिडिटी, गैस, अपच आदि सभी पेट की सामान्य बीमारियां हैं। कई बार ये रोग 2-4 दिन में आसानी से ठीक हो जाते हैं और कई बार सालों-साल इन बीमारियों से रोगी जूझता रहता है। यहां तक कि कुछ लोगों को कब्ज और गैस की समस्या जीवनभर बनी रहती है। पेट की इन सभी बीमारियों को खान-पान में थोड़े परहेज और कुछ योगासनों के द्वारा हमेशा के लिए आसानी से ठीक किया जा सकता है।
शुचि मुद्रा योग
शुचि मुद्रा योग पेट की सभी समस्याओं के लिए रामबाण उपाय है। इसे करना आसान है। इसके लिेए सबसे पहले किसी शांत और शीतल जगह का चुनाव करें। अब अपने दोनों हाथों की मुट्ठियां बंद कर लें और हाथों को अपनी छाती पर रख लें। अब गहरी सांस भरते हुए दाएं हाथ को सामने ती तरफ सीधा करते हुए तर्जनी को ऊपर की ओर करें। इस दौरान अपने बाएं हाथ को अपनी छाती पर ही रहने दें। अब दाएं हाथ को धीरे-धीरे पहले की स्थिति में लाते हुए सीने पर रख लें और यही प्रक्रिया बाएं हाथ से करें। इस मुद्रा को 5-5 बार दोनों हाथों से करने के बाद 15 मिनट के लिए अपनी मुट्ठियों को इस प्रकार बनाएं कि अंगूठे से आपकी अनामिका यानि रिंग फिंगर पर दबाव पड़े।
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पुरानी कब्ज के लिए
शुचि मुद्रा योग पुराने से पुराने कब्ज में कुछ ही दिन के अभ्यास के बाद राहत दिलाने लगता है। अगर आपको अभी-अभी कब्ज हुई है तो सुबह और शाम इस मुद्रा को 5-6 बार दोनों हाथों से कर सकते हैं। अगर आपको पुरानी कब्ज है, जो आसानी से ठीक नहीं हो रही है तो इन क्रिया को दिन में दो बार 20-25 बार दोनों हाथों से करें। आप इस क्रिया को बिस्तर पर लेटे हुए भी कर सकते हैं।
कुर्मासन
कुर्मासन अभ्यास से पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग हो जाती है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और पाचन-तंत्र मजबूत होता है और खाना अच्छी तरह पच जाता है। इस आसन से रीढ़ की हड्डी की अच्छी तरह से स्ट्रेचिंग हो जाती है जिससे अगर इंसान को पीठ व गले में दर्द की समस्या होती है तो छुटकारा मिलता है। इन सबके अलावा ये सिरदर्द के लक्षणों और दिमाग में हैप्पी हार्मोंस पैदा करने के कारण तनाव को भी कम करता है। कुर्मासन करने से पेट के आसपास एकत्र हुई चर्बी भी कम होती है।
- सबसे पहले जमीन पर अपने दोनों पैर आगे की तरफ फैलाकर बैठ जाएं। फिर अपनी दोनों हाथों की हथेलियों को अपने हिप्स के सामांनातर जमीन पर रखें।
- फिर हल्का-हल्का दबाव डालकर अपनी जांघों को जमीन पर दबाइए और अपने पांव को मोड़ते हुए नीचे जमीन की तरफ झुकिए।
- फिर धीरे-धीरे प्रयास कर अपनी छाती और गर्दन को ऊपर उठाएं।
- इसी स्थिति में कुछ देर तक सांस रोक कर रहें और ध्यान लगाएं।
- फिर धीरे-धीरे पहले वाली स्थिति में आएं।
- इस आसन को चार से पांच बार करें।
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ये लोग न करें कुर्मासन
जिन लोगों को कटिस्नायुशूल या साइटिका और स्लिप डिस्क की समस्या है उन्हें ये आसन नहीं करना चाहिए। हर्निया और क्रोनिक अर्थराइटिस के मरीजों को भी ये आसन करने से बचना चाहिए।
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