कोविड-19 (covid-19) से रिकवरी के बाद लोगों की सेहत में कई बदलाव देखे गए हैं। लोग कोविड से ठीक होने के बाद भी सामान्य जीवन की तरफ रूख नहीं कर पाए हैं। हम बात कर रहे हैं पलमोनरी फाइब्रोसिस। कोविड से ठीक होने का बाद कई लोगों में पलमोनरी फाइब्रोसिस के बढ़ते मामले नजर आ रहे हैं। फेफड़ों से संबंधित यह समस्या बेहद गंभीर है। इस समस्या में लोगों को सांस लेने में मुश्किल होती है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। लेकिन ए आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि पलमोनरी फाइब्रोसिस क्या है? साथ इसके कारण और लक्षण के बारे में भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...
क्या है पलमोनरी फाइब्रोसिस
यह एक ऐसी बीमारी है जो फेफड़ों के टिशू यानी ऊतकों को क्षतिग्रस्त हो जाने पर होती है। इस बीमारी में टिशू न केवल मोटे होते हैं बल्कि सख्त भी हो जाते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत महसूस होती हैं। चूंकि फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिलता ऐसे में स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है।
पलमोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण
मुख्य लक्षणों की बात की जाए तो सांस उखड़ना, सांसे छोटी-छोटी लेना बेहद आम लक्षण हैं। वही व्यक्ति को अन्य लक्षण में नजर आ सकते हैं-
1 - सूखा कफ निकलना
2 - हर वक्त थकान महसूस करना
3 -बिन कारण वजन का कम हो जाना
4 - जोड़ों और मसल्स में दर्द महसूस करना
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5 - सीने में बेचैनी महसूस करना
4 - व्यक्ति को भूख कम लगना
5 - पैरों में सूजन हो जाना
कभी-कभी इसके लक्षण नहीं दिखते हैं और कभी-कभी लोग इसके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह लक्षण बाद में धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं यह जरूरी नहीं है कि लक्षण हर व्यक्ति के एक जैसे हो। कुछ अन्य लक्षण जैसे चक्कर, बुखार आदि भी नजर आ सकते हैं।
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पलमोनरी फाइब्रोसिस के कारण
व्यक्ति को यह समस्या निम्न कारणों से हो सकती हैं-
- इंफेक्शन
- बैक्टीरियल
- वायरल
- हेपिटाइटिस सी
- वैस्कुलाइटिस
- स्क्लेरोडरमा
- लुपस एरिथेमेटोसस
- रूमेटाइड अर्थराइटिस आदि
- कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है जब डॉक्टर्स को पलमोनरी फाइब्रोसिस के कारण के बारे में नहीं पता चलता है ऐसे में भी इस स्थिति को इंडियोपैथिक पलमोनरी फाइब्रोसिस का नाम देते हैं।
- कुछ ऐसे भी दवाइयां होती हैं, जिनके सेवन से भी समस्या हो सकती हैं जैसे कीमोथेरेपी की दवा, कुछ एंटीबायोटिक्स आदि।
- इसके अलावा कुछ पर्यावरण कारक जैसे सिगरेट का धुआं, अनाज का धूल, कुछ विभिन्न गैस, रेडिएशन आदि के कारण भी समस्या हो सकती है।
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प्लमोनरी का इलाज
पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षणों को कई बार अस्थमा, निमोनिया या ब्रोंकाइटिस के लक्षण समझ लिया जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर कुछ टेस्ट जैसे एक्साइज टेस्ट, बायोप्सी, सीने का एक्सरे, पल्स ऑक्सीमीट्री और आर्टिरियल ब्लड गैस टेस्ट आदि करवाने की सलाह देते हैं। एक्स रे से सीने के अंदर की छवि को देखा जाता है। वहीं एक्साइज टेस्ट के जरिए ब्लड में ऑक्सीजन की जांच होती है। बायोप्सी के जरिए फेफड़ों की छोटे टिशू निकाले जाते हैं और फेफड़ों की स्थिति का पता लगाया जाता है। हाई रेज्यूलोशन चेस्ट सीटी में एक्स-रे से फेफड़ों की तस्वीरें ली जाती है और बीमारी का पता लगाया जाता है।
covid-19 के 40% रोगियों में एआरडीएस पाया गया और 20% में एआरडीएस के गंभीर मामले पाए गए। वहीं कोविड के बाद एक तिहाई से अधिक रोगियों में फाइब्रोटिक के लक्षण पाए गए हैं। संबंधित स्टडी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
कुछ दवाइयों के सेवन से फेफड़ों को क्षतिग्रस्त होने से रोका जाता है। इसके अलावा डॉ पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन करवाने की सलाह देते हैं। वही जीवन शैली में बदलाव जैसे बैलेंस डाइट, मेडिटेशन, एक्सरसाइज, स्मोकिंग छोड़ना आदि की सलाह देते हैं।
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