ब्लैक लंग डिजीज (Black Lung Disease) को सीडब्ल्यूपी यानी कॉल वर्कर्स नीमोकोनॉयोसिस के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी तब होती है जब कोई व्यक्ति कोयले की धूल के संपर्क में ज्यादा रहता है। इस दौरान व्यक्ति के फेफड़ों में धूल के कण चले जाते हैं, जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। बता दें कि ब्लैक लंग डिजीज सिंपल और कॉम्प्लिकेटेड होते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि ब्लैक लंग डिजीज के लक्षण क्या हैं? साथ ही कारण और बचाव भी जाने पढ़ते हैं आगे
ब्लैक लंग डिजीज के लक्षण (symptoms of black lung disease)
ऐसा नहीं है कि जो लोग कोयले की खान में काम कर रहे हैं उन सभी को यह समस्या हो। लेकिन हां कुछ लोगों को इस तरह की समस्या देखी गई है। यह समस्या कई सालों में बढ़ती है और लक्षण भी बहुत बाद में दिखाई देते हैं। ऐसे में लक्षण निम्न प्रकार हैं-
1 - सीने में जकड़न होना
2 - सांस लेने में तकलीफ महसूस करना
3 - सांस का फूलना
4 - नाक में जलन
5 - सीने में जलन
6 - सीने में भारीपन
7 - सूखी खांसी होना
8 - सूखी खांसी के साथ काले रंग का थूक जाना
बता दें कि खांसी के साथ काले रंग का थूक जाने वाला लक्षण हर व्यक्ति के साथ नहीं होता है। कुछ लोगों का थूक सामान्य भी नजर आ सकता है।
इससे अलग व्यक्ति में फेफड़ों में भारीपन की समस्या भी देखी गई है।
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ब्लैक लंग डिजीज के कारण (causes of black lung disease)
आप जिस वातावरण में काम कर रहे हैं उस वातावरण के दूषित होने के कारण इस तरह की समस्या देखी जाती है। जैसे कि हमने पहले भी बताया कोयले की खान में वातावरण दूषित रहता है। ऐसे में सांस के जरिए कोयले की धूल व्यक्ति के अंदर चली जाती है और ऐसे व्यक्तियों में ब्लैक लंग डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इस समस्या से लड़ने का काम करती है और वे कोशिश करती है कि धूल के कणों को शरीर से बाहर निकाला जाए। इस प्रक्रिया के दौरान सूजन जैसी समस्या भी आ जाती है।
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ब्लैक लंग डिजीज से निदान (diagnosis of of black lungs disease)
सबसे पहले डॉक्टर मौखिक रूप से जांच करते हैं वह मशीनी जांच से पहले इस बात का पता लगाते हैं कि आप कैसे वातावरण में काम कर रहे हैं। वहां का वातावरण कैसा है। जब डॉक्टर पूरी जानकारी ले लेते हैं उसके बाद वह सीने का एक्सरे, सीटी स्कैन कराने की सलाह देते हैं। जिसके माध्यम से फेफड़ों में सूजन, धब्बे या परेशानी का पता लगाया जा सकता है। आपको बता दें कि डॉक्टर पलमोनरी फंक्शन टेस्ट के माध्यम से भी जांच करते हैं कि फेफड़े कितने तरीके से कार्य कर रहे हैं। वैसे तो इसका कोई इलाज नहीं है डॉक्टर लक्षणों को कम करने के साथ फेफड़ों की सेहत को सुधारने का काम करते हैं। वायु मार्ग को साफ रखने के लिए दवाइयों का सहारा लेते हैं। अगर व्यक्ति को अस्थमा है तो इनहेलर की मदद से इस समस्या निकालते हैं। वही व्यक्ति घूम्रपान करता है तो इस आदत को छोड़ने की सलाह देते हैं।जब स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है तो डॉक्टर लंग ट्रांसप्लांट का सहारा भी ले सकते हैं।
नोट - ऊपर बताए गए लक्षण अगर आपको नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हो सकता है कि यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत दे रहे हों। ऐसे में इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की गलती ना करें।
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