Risk Factors of Degenerative Disc Disease : आप में से कई लोग डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज के बारे में नहीं जानते होंगे। हालांकि, आजकल के समय में यह बहुत ही आम समस्या है। इस मुश्किल से नाम वाली बीमारी को अगर आसान शब्दों में समझने की कोशिश करें, तो डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज की स्थिति में रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं। आमतौर पर यह स्थिति उम्र बढ़ने के साथ-साथ होती है, लेकिन कुछ कारक इसके खतरे को बढ़ा भी सकते हैं। ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम डॉ. अखिलेश यादव एसोसिएट डायरेक्टर- ऑर्थोपेडिक्स एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट, मैक्स हॉस्पिटल वैशाली (Dr. Akhilesh Yadav Associate Director- Orthopaedics & Joint Replacement, Max Hospital Vaishali) से जानेंगे कि डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज क्या है और यह स्थिति किन कारकों की वजह से बढ़ सकती है?
डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज क्या है?- What is Degenerative Disc Disease
जैसा हमने आपको बताया कि डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज (डीडीडी) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रीढ़ की हड्डी की डिस्क अपना लचीलापन और ऊंचाई जैसी क्षमता खो देती है। आइए अब डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज के कुछ आम लक्षण जान लेते हैं:
- पीठ में दर्द की समस्या : बता दें कि पीठ दर्द डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज का सबसे आम लक्षण है।
- पैरों में दर्द की समस्या : डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज के लक्षणों में पैरों में दर्द और सुन्नपन की समस्या भी हो सकती है।
- मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या : मांसपेशियों में कमजोरी भी डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज का एक लक्षण हो सकती हैं।
इसे भी पढ़ें- डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज का इलाज कैसे होता है? जानें डॉक्टर से
डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज के जोखिम कारक- Risk Factors for Degenerative Disc Disease
डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज के कई जोखिम कारक हो सकते हैं। आइए इन कारकों के बारे में विस्तार से जानते हैं :
उम्र है सबसे अहम कारक
बता दें कि डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज में उम्र बहुत अहम कारक होती है। दरअसल, समय के साथ रीढ़ की हड्डी की डिस्क में स्वाभाविक रूप से पानी की मात्रा और लोच कम हो जाती है, इससे इन डिस्क में टूट-फूट होने का खतरा बढ़ जाता है।
जेनेटिक्स कारक
बता दें कि जेनेटिक्स कारक की वजह से भी डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। यह बीमारी एक ही परिवार के लोगों में पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकती है। ऐसे में अगर आपके परिवार में डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज की हिस्ट्री है, तो चांस है कि यह बीमारी आपको भी हो सकती है।
ज्यादा भारी वजन उठाना
डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज लोगों में भारी वजन उठाने, खराब मुद्रा या शारीरिक रूप से कठिन कामों को करने की वजह से भी हो सकती है। बता दें कि रीढ़ की हड्डी पर बार-बार दबाव पड़ने से डिस्क डैमेज हो सकते हैं।
मोटापा भी है कारक
मोटापा की वजह से भी डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में भी रीढ़ की हड्डी पर ज्यादा दबाव पड़ता है। ऐसे में डिस्क खराब हो सकते हैं। मोटापा अपने आप में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसकी वजह से शरीर को कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
स्मोकिंग है कारक
अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज की समस्या हो सकती है। यह इस बीमारी के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। दरअसल, स्मोकिंग की वजह से डिस्क तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है। ऐसे में उनकी मरम्मत और स्वास्थ्य को बनाए रखने में परेशानी हो सकती है।
फिजिकल मूवमेंट की कमी
अगर आप फिजिकल मूवमेंट कम करते हैं, तो डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज की समस्या हो सकती है। बता दें कि गतिहीन जीवनशैली रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियों को कमजोर करती है। इससे रीढ़ को नुकसान हो सकता है।
अंदरूनी चोट भी है कारक
गिरने या दुर्घटनाओं जैसी चोटों से डिस्क को आघात हो सकता है, जिससे समय से पहले डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त, गठिया जैसी अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां भी रीढ़ को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इसे भी पढ़ें- स्मोकिंग की वजह से सिर्फ फेफड़े ही नहीं रीढ़ की हड्डी में भी होती हैं दिक्कतें, जानें बचाव
आपको इस बात का ध्यान रखना है कि डीजेनेरेटिव डिस्क डिजीज उम्र के साथ बढ़ने वाली एक सामान्य समस्या है। इससे बचाव के लिए आप स्वस्थ वजन बनाए रखें, धूम्रपान से बचें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना और अच्छी मुद्रा का अभ्यास करना जैसे टिप्स को फॉलो कर सकते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल की मदद से आप इस बीमारी की प्रगति को धीमा कर सकते हैं।