
Problems Caused By Arthritis In Hindi: अर्थराइटिस या गठिया वास्तव में जोड़ों में दर्द या सूजन का रोग है। इसके होने पर मरीज को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बढ़ती उम्र के साथ-साथ मरीज की दिक्कतों में इजाफा होता रहता है। रूमेटाइड अर्थराइटिस और ऑस्टियोअर्थराइटिस इसके सबसे कॉंतजीतपजपे मन रूप हैं। अर्थराइटिस को आप इम्यून से जुड़ी बीमारी कह सकते हैं। इस स्थिति में आपका अपना इम्यून सिस्टम जोड़ों पर अटैक करता है, जिससे जोड़ों में दर्द और जोड़ों में सूजन बढ़ने लगती है। लेकिन, क्या आप जानत हैं कि अर्थराइटिस होने के कारण कई बार व्यक्ति को कई अन्य समस्याओं को भी सामना करना पड़ता है? जानें, इस बारे में।
चलने-फिरने में समस्या होने लगती है
जैसा कि आप जानते ही हैं कि अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में दर्द होने लगता है। जैसे-जैसे वक्त बीतता है, वैसे-वैसे व्यक्ति के चलने-फिरने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। कई बार, तो ऐसा होता है कि व्यक्ति के लिए एक कमरे से दूसरे कमरे तक जानें में समस्या हो जाती है।
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वजन बढ़ सकता है
अर्थराइटिस के कारण व्यक्ति के चलने-फिरने और फिजिकल एक्टिविटी में कमी आती है। नतीजतन, उसका ज्यादातर एक ही जगह पर बैठे-बैठे बीतने लगता है। कहने की जरूत नहीं है कि जब आप एक ही जगह बैठकर ज्यादातर समय बिताएंगे और खानपान बढ़ेगा, तो इससे वजन में बढ़ोत्तरी भी होने लगती है।
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मेटाबॉलिक डिसऑर्डर हो सकता है
आपको बता दें कि अर्थराइटिस के करण होने वाली तमाम समस्याएं, एक-दूसरे से कनेक्टेड होती हैं। जैसे कि अगर आप एक ही जगह बैठकर खाते-पीते हैं और कम से कम हिलते-डुलते हैं, तो इससे ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। इसे कंट्रोल करने का एक ही तरीका है कि आप हेल्दी डाइट लें, तला-भुना कम खाएं और फ्राइड फूड से दूरी बनाए रखें।
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गिरने का रिस्क बढ़ जाता है
अर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, ‘जिन लोगों को ऑस्टियोअर्थराइटिस है, उनके चलने की कोशिश करते समय गिरने का रिस्क बढ़ जाता है। यही नहीं, इन लोगों की हड्डियां इतनी कमजोर होती हैं कि गिरकर हड्डियां चटक सकती हैं या फ्रैक्चर हो सकता है। सवाल है ऐसा क्यों होता है? क्योंकि मांसपेशियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और अक्सर दवाईयों का सेवन करने की वजह से मरीज का सिर घूमता रहता है।’ अर्थराइटिस के मरीजों को अक्सर किसी न किसी की मदद की जरूरत पड़ती है।
काम करने की क्षमता कम हो जाती है
सीडीसी यानी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन द्वारा किए गए अनुमान की मानें, तो इस समय करीब 60 फीसदी लोग वर्किंग एज ग्रुप से जुड़े हुए हैं। अर्थराइटिस के कारण ये लोग ऑफिस के अंदर भी यहां-वहां घूमने से बचते हैं। ऐसे लोग फील्ड पर जाकर काम करने में असमर्थ होते हैं। इस तरह देखा जाए, तो अर्थराइटिस के कारण लोगों की कार्य क्षमता काफी प्रभावित हो जाती है।
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