प्रेग्नेंसी के दौरान अर्थराइटिस होने के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

गर्भावस्था के दौरान गठिया की समस्या होने पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इसका समय पर इलाज कराएं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान अर्थराइटिस होने के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

प्रेग्नेंसी में अक्सर छोटी-मोटी समस्याएं होती रहती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है प्रेग्नेंसी के दौरान अर्थराइटिस की शिकायत होना। जी हां, कुछ महिलाओं को गर्भावस्था में अर्थराइटिस की समस्या बढ़ जाती है। इसका असर मां और बच्चे पर हो सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान इसकी पूरी जानकारी होनी बहुत ही जरूरी है। ताकि आप किसी तरह की लापरवाही न बरतें और समय पर अपना इलाज कराएं। आज हम आपको इस लेख में इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां लेकर आए हैं, ताकि आप अर्थटाइटिस में होने वाली परेशानियों से बच सकें। 

प्रेग्नेंसी में अर्थराइटिस के कारण

धूम्रपान का सेवन

धूम्रपान करने वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान रुमेटाइड अर्थराइटिस का खतरा रहता है। इसलिए अगर आप प्रेग्नेंट हैं, तो धूम्रपान के सेवन से बचें।

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वजन बढ़ना

प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं का वजन काफी ज्यादा बढ़ जाता है। वजन बढ़ने की वजह से आपके शरीर में गठिया की समस्या हो सकती है।

इंफेक्शन बढ़ना

प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बैक्टीरियल इंफेक्शन बढ़ने की वजह से भी गठिया की शिकायत हो सकती है। 

अनुवांशिक

अनुवांशिक कारणों से भी गर्भवस्था में गठिया की शिकायत हो सकती है। अगर आपके परिवार में किसी को गठिया की शिकायत है, तो दूसरे व्यक्ति को भी यह परेशानी होने की संभावना होती है।

गर्भावस्था में अर्थराइटिस होने के लक्षण

गर्भवस्था के दौरान अगर आपको नीचे दिए लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि यह लक्षण अर्थराइटिस के हो सकते हैं। 

  • जोड़ों में दर्द
  • जोड़ों और घुटनों के आसपास लालिमा
  • प्रभावित हिस्से को हिलाने में परेशानी होना।
  • वजन घटना
  • बुखार होना
  • सांस लेने में परेशानी होना।
  • चकत्ते होना।
  • शरीर में खुजली होना।
  • गर्भावस्था में गठिया

प्रेग्नेंसी को कैसे प्रभावित करता है अर्थराइटिस

प्रेग्नेंसी के दौरान अर्थराइटिस होने पर आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे-

  • दैनिक गतिविधियां प्रभावित होना। जैसे- गठिया के कारण चलने, उठने और बैठने में परेशानी होना।
  • काफी समय तक दर्द होना।
  • प्रीटर्म डिलीवरी होने की संभावना।
  • भ्रूण के विकास में रुटावट का सामना भी करना पड़ सकता है।

प्रेग्नेंसी के दौरान अर्थराइटिस का इलाज

प्रेग्नेंसी के दौरान अर्थटाइटिस होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह करें। खुद से किसी भी तरह की दवाई देने की कोशिश न करें। इससे आपको और आपके बच्चे को खतरा हो सकता है। डॉक्टर द्वारा दी गई जरूरी सलाह दो फॉलो करें। डॉक्टर दवाई देने के अलावा आपको कुछ अन्य तरीकों से आपका इलाज कर सकता है।

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मसाज थेरेपी

अर्थटाइटिस रोगियों को मसाज थेरेपी लेने की सलाह दी जाती है। मसाज थेरेपी लेने से काफी हद तक अर्थराइटिस में होने वाले दर्द और सूजन से राहत पाया जा सकता है। अधिकतर गर्भवती महिलाओं को मसाज थेरेपी दी जाती है, क्योंकि इससे साइड-इफेक्ट का होने का खतरा कम होता है। लेकिन ध्यान रखें कि डॉक्टर की देखरेख में ही मसाज थेरेपी लें।

जीवनशैली में बदलाव

गर्भवास्था में अर्थराइटिस होने पर जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जाती है। ताकि आप अर्थराइटिस के दौरान होने वाली परेशानियों से बच सकें।

गर्भावस्था में कैसे करें अर्थराइटिस से बचाव

  • गर्भावस्था में अर्थराइटिस की समस्या से बचने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान रोजाना कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद लें। साथ ही दिन में भी हल्की नींद जरूर लें।
  • ज्यादा देर तक एक ही स्थिति में न बैठें।
  • जोड़ों पर ज्यादा तनाव देने से बचें।
  • विटामिंस और मिनरल्सयुक्त आहार का सेवन करें।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार का सेवन करें। 
  • धूम्रपान से दूर रहें। 

प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली समस्याओं को नजरअंदाज न करें। अपनी हर छोटी से छोटी समस्याओं को डॉक्टर्स के साथ शेयर करें। ताकि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से बचा जा सके।

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