प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा, 2025 तक टीबी मुक्‍त होगा भारत

टीबी यानी ट्यूबरक्‍लोसिस को 2025 तक खत्‍म करने का दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। पीएम ने अपने एक ट्वीट में दावा किया है कि 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक केंद्र सरकार और राज्य सरकारें टीबी को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे है। 
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा, 2025 तक टीबी मुक्‍त होगा भारत


टीबी यानी ट्यूबरक्‍लोसिस को 2025 तक खत्‍म करने का दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। पीएम ने अपने एक ट्वीट में दावा किया है कि 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक केंद्र सरकार और राज्य सरकारें टीबी को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे है। उन्होंने आगे लिखा है कि केंद्र के प्रयास जैसे कि टीबी मुक्त भारत अभियान और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य मानकों में सुधार कर रहे हैं और टीबी रोगियों को भी सहायता मुहैया करवा रही हैं।  

 

क्‍या है ट्यूबरक्‍लोसिस 

टीबी एक संक्रामक रोग है जो किसी भी इंसान को हो सकता है। यह बलगम के रास्‍ते फैलता है, जिसमें टीबी के कीटाणु होते हैं। इन कीटाणुओं के संपर्क में आने पर, यदि किसी की इम्‍यूनिटी कमजोर है तो उसे भी ये संक्रमण हो सकता है। टीबी एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। यह आमतौर पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।

अमूमन, टीबी के लक्षणों में हल्‍का बुखार रहना, वजन का गिरना, भूख न लगना। अगर फेफड़ों में संक्रमण हुआ है तो खांसी आना, बलगम होना, खांसी में खून आना इसके अलावा शरीर में गांठों का बनना। कई लोग जिनको दिमाग की टीबी होती है उनको दौरे पड़ सकते हैं। भारत में प्रजनन के अंगों में टीबी आमतौर पर दिखाई देते हैं, जिसके कारण लोगों के बच्‍चे नहीं होते हैं। 

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भारत में बढ़ रहे टीबी के मरीज

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से जारी 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन 7 देशों की सूची में था जहां टीबी के सबसे ज्यादा मरीज है। डब्ल्यूएचओ की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2017 के अनुसार भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाजीरिया और साउथ अफ्रीका में इससे गंभीर रूप से प्रभावित है।  

दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या का 64 प्रतिशत सिर्फ इन्हीं सात देशों में है, जिनमें भारत सबसे ऊपर है। वही दूसरी तरफ एचआईवी ग्रसित मरीजों में टीबी से होने वाली मौतों में कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा एचआईवी एड्स के लिए रखे गए एक कार्यक्रम के दौरान कहा गया कि 20 से अधिक देशों में इस आंकड़े में इजाफा हुआ है जबकि भारत में 84 प्रतिक्षत की कमी आई है।  

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डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर एचआईवी के साथ-साथ टीबी से ग्रसित लोगों की मौतों में 2010 के बाद 42 प्रतिक्षत की कमी आई है। 2017 में से संख्या 520,000 से घटकर 300,000 हो गई। 

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