
पिछले कुछ दशकों में हमने कई प्राचीन चिकित्सा तकनीकों का पुनर्जन्म होते देखा है। हाल ही में वैज्ञानिक अध्ययनों ने योग, ध्यान, मसाज और ताई ची जैसी प्राचीन चिकित्सा तकनीकों के लाभ की पुष्टि की है। रेकी और एक्यूपंक्चर जैसी तकनीकों को भी हाल के दिनों में काफी लोकप्रियता हांसिल हुई है। ऐसा इसलिए भी हुआ है क्योंकि लोगों ने इस बात का अनुभव किया कि उन्हें मॉडर्न जीवन के तनावों से निपटने के लिए दवाओं के अलावा कुछ अन्य करने की जरूरत है। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट भी बताती है कि कई देशों में आज भी इलाज के लिए पारंपरिक विधियों और दवाओं का अधिक इस्तेमाल होता है। अफ्रीका में 80 प्रतिशत, भारत में 70 और चीन में 50 प्रतिशत प्राचीन चिकित्सा तकनीकों का उपयोग किया जाता है। वर्ष 2011 में 70 लाख लोगों पर किए अध्ययन से पता चला कि ऐसे 25 कारण हैं, जिनसे परेशान होकर लोग डॉक्टरों की मदद लेने दौड़ पड़ते है, जैसे कोलेस्ट्रॉल, हाइ ब्लडप्रेशर, डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारियों से लेकर पीठ दर्द और मोटापे से जुड़ी चिंता आदि। हालांकि इन समस्याओं से बिना दवाएं लिये प्राचीन चिकित्सा तकनीकों द्वारा भी निपटा जा सकता है। 
तो चलिये यहां आज कुछ ऐसी ही प्राचीन चिकित्सा तकनीकों पर एक सरसरी नज़र डालते हैं और ये जानने की कोशिश करते हैं कि ये कैसे तनाव को कम करने और आपके जीवन को स्वास्थ्य और बेहतर बनाने के लिए काम करती हैं।

योग
योग भारतीय पद्धति है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। चिकित्सा विज्ञान दवाओं और इलाज के बावजूद रोग के ठीक होने या उसे काबू करने की कोई गारंटी नहीं लेता परंतु योग कई मायनों में इसका निश्चित आश्वासन देता है। क्योंकि योग शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता से तालमेल बिठाता है। राजधानी के ही एक अस्पताल में सौ रोगियों पर योग के प्रभाव का परीक्षण किया गया। इस परिक्षण में कारोनरी हृदय रोग और डायबिटीज के मरीजों को दो वर्गों में बांटकर उनकी जीवन शैली में थोड़ा बदलाव किया गया। जहां एक वर्ग को केवल दवाओं पर रखा गया तथा दूसरे को योगपरक जीवन शैली के लिए प्रेरित किया। खानपान, योग और ध्यान समन्वित जीवन शैली वाले मरीजों में उत्साह वर्धक परिणाम देखे गए। जिन लोगों ने योगपरक जीवन शैली अपनाई थी, उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएएमआई), कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित पाए गए।
मसाज चिकित्सा
मसाज अर्थात मालिश थेरेपी, वैकल्पिक चिकित्सा का एक लोकप्रिय प्ररूप है। यह विज्ञान और कला का एक कमाल का संयोजन होता है। मसाज की वर्तमान लोकप्रियता आधुनिक जीवन की अत्यधिक तनावपूर्ण स्थितियों और पारंपरिक दवाओं के कई हानिकारक दुष्प्रभावों की वजह से अधिक है। मसाज चिकित्सा को चीन, ग्रीस, भारत और मिस्र आदि में प्राचीन काल से अभ्यास में लाया गया है। यह एक व्यक्ति के दिमाग और शरीर को पुनर्जीवित करने के लिए शरीर पर की जाने वाली एक हस्त स्ट्रोक कल है। इससे तनाव कम करने में बेहद मदद मिलती है। मसाज थेरेपी शरीर के ऊतकों, रक्त परिसंचरण, ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों में सुधार करती है। यह प्रभावी ढंग से मांसपेशियों के तनाव और दर्द को कम करके, लचीलापन और गतिशीलता को बढ़ाती है और लैक्टिक एसिड और अन्य अपशिष्ट को नष्ट करने में मदद करती है, जोकि दर्द और मांसपेशियों व जोड़ों में अकड़न का कारण बनते हैं।
एक्यूपंचर
बिना दवा के दर्द से राहत दिलाने वाले एक्यूपंचर उपचार से कई गंभीर और दीर्घकालिक बीमारियों, जैसे माइग्रेन से लेकर पीठ या कमर दर्द, जोड़ों के दर्द आदि का उपचार किया जाता है। एक्यूपंचर में बारीक सुइयों को शरीर के कुछ विशेष पॉइंट में घुसाया जाता है, जिन्हें एक्यूपॉइंट्स कहा जाता है। इससे संबंधित पॉइंट में उत्तेजना होने लगती है और शरीर की प्राकृतिक हीलिंग क्षमता बढ़ जाती है। एक्यूपंचर चिकित्सा पद्धति दरअसल दो अलग-अलग सिद्धांतों पर काम करती है। चीनी फिलॉस्फी के मुताबिक हमारे शरीर में दो विपरीत ताकतें यिन व यैंग (सकारात्मक और नकारात्मक) होती हैं। जब ये दोनों ताकतें संतुलन में होती हैं तो शरीर स्वस्थ रहता है और बिना किसी समस्या व अवरोध के ऊर्जा का संचार होता है। गौरतलब है कि हमारे शरीर में लगभग दो हजार अलग-अलग एक्यूपंचर पॉइंट्स (बिंदु) होते हैं। भले ही इलाज लंबा चले किंतु इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

ताई ची
ताई ची एक प्राचीन मार्शल-आर्ट कला है जिसमें धीमे और हल्के मूव्स का इस्तेमाल कर, कार्य ऊर्जा को उच्च करके आंतरिक ध्यान को बढ़ाया जाता है। ताई ची के बेहतर आसनों को आसानी से आनंद लेते हुए सीखा जा सकता है। ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने के अवाला अतिरिक्त ताई ची बीमारी व घावों से मुक्ति दिलाते हुए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। ताई ची क्रियाएं किसी सदमे के बाद तनाव से गुजर रहे लोगों में अपने शरीर व मन पर नियंत्रण करने, जर्जर हो चुके ऊर्जा कोषों को फिर से भरने व नए ऊर्जा कोषों का निर्माण करने व इस दौरान उत्पन्न हुई नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करती है। शरीर की मदद के अलावा ताई ची दिमाग को भी शांत करती है।
रेकी
रेकी एक जापानी शब्द है, जिसका मतलब होता है प्राण-शक्ति। रेकी एक ऐसी उपचार पद्धति है जिसकी मदद से किसी व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है। रेकी तकनीक के अनुसार हर इंसान के भीतर एक प्राण चक्र होता है और पूरा जीवन इसी प्राण चक्र पर चलता है। जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसके अंदर यह शक्ति काफी होती है, लेकिन समय बीतने के साथ इस शक्ति को ग्रहण करने की शक्ति कम होती जाती है। यह शक्ति मनुष्य के नकारात्मक विचारों द्वारा कम होती है। रेकी तकनीक द्वारा शरीर में ऊर्जा का संचार किया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति का विकास उन्नीसवीं शताब्दी में जापान में ही हुआ था। भारत में यह चिकित्सा पद्धति बीसवी सदी में आयी। रेकी चिकित्सा पद्धति की मदद से सिर दर्द और माइग्रेन, आंखों के दर्द, साइनस या नाक दर्द, एलर्जी, पथरी आदि का इलाज किया जा सकता है।
रिफ्लेक्सोलॉजी
रिफ्लेक्सोलॉजी, वैकल्पिक चिकित्सा का एक प्रकार है, जिसमें बिना तेल या लोशन आदि का उपयोग किये विशिष्ट अंगूठे, अंगुली और हस्त तकनीक की मदद से पैर और हाथ पर दबाव डाला जाता है। रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट्स का मानना है कि यह ज़ोन और रिफ्लेक्स क्षेत्र की प्रणाली पर आधारित तकनीक होती है। दरअसल पैर व हाथ पर शरीर की छवि प्रतिबिंब होते हैं, और रिफ्लेक्सोलॉजी इनकी मदद से शरीर में एक सकारात्मक बदलाव लाती है। रिफ्लेक्सोलॉजी उपचार पद्धति की सहायता से शरीर के किसी हिस्से में दर्द का इलाज चेहरे के किसी पाइंट पर दबाव डालकर किया जाता है। फेशियल रिफ्लेक्सोलॉजी एक ऐसा ही इलाज है, जो उपचार की तीन प्राचीन पद्धतियों चायनीज मेरीडियन, चायनिज एनर्जी मेडिसीन और एक्यूपंक्चर पाईंट्स, वियतनामी और एंडीयन ट्राइब्स बॉडी मैप से प्रेरित है। 
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