प्रदूषण ने फिर किया दिल्ली को बेदम, बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित

दिवाली में दिल्लीवालों ने जमकर आतिशबाजी की लेकिन त्यौहार के बाद उसका नतीजा सामने आया प्रदूषण के काले धुएं के रूप में। दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर ने बच्चों और अस्थमा मरीजों की सेहत को किया है सबसे ज्यादा प्रभावित!
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प्रदूषण ने फिर किया दिल्ली को बेदम, बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित

राष्ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में इन दिनों लोगों के फेफड़ों में हवा के बजाय धुआं भर रहा हैं। जी हां, रोशनी का त्‍योहार दिवाली रविवार को पूरे देश में बहुत ही हर्षोल्‍लास से मनाया गया। शाम को बहुत मजे से लोगों ने आतिशबाजी भी की। लेकिन यह क्‍या रात होते ही राजधानी दिल्‍ली की हवा जहरीली हो गई। एक ही रात में दिल्ली में आतिशबाजी के चलते प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ गया। जिसके चलते राजधानी दिल्ली धुंध की चादर में लिपटी हुई नजर आई।

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हवा में प्रदूषण का स्‍तर

बात यहीं तक सीमित नहीं रहीं, आतिशबाजी का असर सुबह भी देखने को मिला, जब धुंध के चलते सड़कों पर दृश्‍यता काफी कम हो गई। राजधानी दिल्‍ली में प्रदूषण खतरनाक स्‍तर तक पहुंच गया है। दिवाली की आतिशबाजी से हवा में प्रदूषण का स्तर 10 से 20 गुना तक बढ़ गया है। सबसे ज्‍यादा परेशानी सुबह सैर पर निकालने वालों को हुई।


प्रदूषण पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के विचार

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार, हवा में पीएम 2.5 का स्‍तर 250 से ज्‍यादा पहुंचना बहुत खतरनाक माना जाता है। जबकि 30 और 31 अक्‍टूबर को दिल्‍ली, आगरा, पटना, वाराणसी और लखनऊ में पीएम 2.5 का स्‍तर 500 माइक्रोग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर से भी ज्‍यादा था। यह पीएम 2.5 हवा में पाए जाने वाले कण, इंसान के बाल से भी 30 गुना सूक्ष्‍म होते हैं। ये सांस के साथ फेफड़ों में जाकर गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। इससे दिल का दौरा पड़ना, कैंसर और सांस की अन्‍य खतरनाक बीमारियां हो सकती है।


प्रदूषण का बच्‍चों की सेहत पर बुरा असर

राजधानी में प्रदूषण की स्थिति पर विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने चिंता जताते हुए कहा कि प्रदूषण की स्थिति काफी खतरनाक है, ऐसे में बच्‍चों को घरों के अंदर रखने की जरूरत है। यहां तक कि बढ़ते प्रदूषण के चलते राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की है, जबकि कई स्कूलों ने सुबह की कक्षाएं रद्द कर दी हैं और विद्यार्थियों को मास्क पहनने के लिए कहा गया है। कई स्कूलों ने खुद बच्चों की आउटडोर ऐक्टिविटी पर रोक लगा दी और अस्थमा के रोगी बच्चों को घर पर रहने के लिए कहा।

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बच्चों के फेफड़ों पर बढ़ा दबाव

दिवाली में छाए धुंध के चलते बच्‍चों के फेफड़ों को सबसे ज्‍यादा नुकसान पहुंचा रहा है। दम फूलने जैसी शिकायत आम है। धुंध, कोहरे, धुएं और प्रदूषित कण का मिश्रण होता है। यह अत्‍यधिक प्रदूषण के चलते बनता है और सुबह दस बजे से रात आठ बजे तक दिखता है। इससे अस्‍थमा व सांस की बीमारी बढ़ जाती है। कुछ देर इसमें रहने पर आंखों में खुजली, कफ, गले में इंफेक्‍शन, सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पेट में दर्द, उल्‍टी, नाक बहना आदि समस्‍या दिखने लगती है। जबकि लंबे समय तक इस धुंध में रहने पर अस्‍थमा, फेफड़ों की क्षमता कम होना, फेफड़ों के उत्तकों पर असर, फेफड़ों का कैंसर, हाई ब्‍लड प्रेशर, दिल की बीमारी, स्‍ट्रोक, डायबिटीज जैसी समस्‍या देखने को मिलती है।


सुबह की सैर से बचें

इन दिनों जो धुंध की स्थिति बनी हुई है, इसकी वजह ठंडक नहीं बल्कि दिवाली की रात को जलाये जाने वाले प्रदूषण की गंदगी के नमी में मिल जाने का असर है। पटाखों से होने वाले धुएं के कण आसमां की ऊपरी लेयर तक नहीं पहुंच पाए हैं। इसलिए जितने दिन बरसात नहीं होती, ये गंदगी निचली लेयर में रहेगी और इससे अस्‍थमा यानी सांस की बीमारी वाले लोगों के लिए परेशानी होना स्‍वाभाविक है। इसलिए इस मौसम में अस्‍थमा रोगी यहां तक की नॉर्मल इंसान को भी सुबह सैर करने से परहेज करना चाहिए।

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