यह (2013) लगातार तीसरा ऐसा वर्ष है, जब भारत में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया है। लेकिन, हमारी जरा सी गलती इस तस्वीर को पलट सकती है। याद रखिए पोलियो तभी तक हमसे दूर है, जब तक हमने इसे अपने से दूर रखा हुआ है।
पोलियो वायरस छोटे बच्चों में अधिक फैलता है और यह मुख्यत: बच्चे के पैरों को प्रभावित करता है। लेकिन यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी छोटे बच्चों में अधिक होती है इसलिए इसे शिशुओं का लकवा या बाल पक्षाघात भी कहा जाता है।
बच्चों में पोलियो से संबंधी सवाल-जवाब
1. क्या पोलियो ड्रॉप पिलाने से बच्चा पूरी तरह से पोलियो के संक्रमण से सुरक्षित हो जाता है?
बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए (ओपीवी) ओरल पोलियो वैक्सीन दिया जाता है। इस दवा के बाद बच्चा पूरी तरह से पोलियो से सुरक्षित हो जाता है। लेकिन आज भी हमारे समाज में इस दवा के प्रति लोगों में कई प्रकार की भ्रांतियां मौजूद हैं। जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है।
2. अगर किसी बच्चे का दस्त हो रहा है या उल्टियां आ रही हैं, तो क्या उसे पोलियो ड्राप पिलानी चाहिए?
बच्चे को किसी भी स्थिति में पोलियो ड्राप पिलाई जा सकती है। कई लोग ऐसा मानते हैं कि अगर बच्चा बीमार है या उसे उल्टी अथवा दस्त की शिकायत है, तो ऐसी सूरत में उसे दवा नहीं पिलायी जानी चाहिए। जबकि वास्तविकता यह है कि इन सबका पोलियो की दवा से कोई लेना-देना है। तो अगली बार जब भी आपके घर पोलिया की दवा पिलाने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता आएं तो पांच वर्ष से कम उम्र के अपने बच्चे को यह दवा जरूर पिलाएं।
3. नवजात शिशु को पोलियो ड्राप दी जानी चाहिए या नहीं?
नवजात शिशु के लिए भी पोलियो की खुराक उतनी ही जरूरी है, जितनी कुछ महीने या कुछ साल के बच्चे के लिए। नवजात को पोलियो की दवा पिलाने का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। यह दवा बच्चे को दी जा रही अन्य दवाओं और उसे लग रहे इंजेक्शन से अलग होती है और हर परिस्थिति में उसे दी जानी चाहिए।
4. क्या पोलियो से हमेशा पक्षाघात होता है?
पोलियो वायरस से प्रभावित बहुत कम बच्चों में ही पक्षाघात होता है। लेकिन, पोलियो इसके बावजूद एक ऐसा रोग है, जो आपके बच्चे को जीवन भर की अपंगता दे सकता है। आपको चाहिए कि आप अपने बच्चे को सही समय पर पोलियो की खुराक जरूर पिलायें।
5. ज्यादातर बच्चे ही पोलियो के शिकार क्यों होते हें?
बच्चे पोलियो के शिकार इसलिए होते हैं क्योंकि उनकी प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है। और उन बच्चों के मां बाप उन्हें तमाम भ्रांतियों का शिकार होकर उन्हें पोलियो की दवा भी नहीं पिलाते। हालांकि भारत ने काफी हद तक इस बीमारी पर काबू पा लिया है, लेकिन फिर भी यदि एक बच्चा भी इस सुरक्षा चक्र से बाहर रह जाता है, तो बाकी बच्चों के लिए भी खतरा बना रहता है।
6. अगर कोई बच्चा 6 से 7 बार पोलियो ड्राप ले चुका है, तो क्या उसे पोलियो ड्राप पिलानी चाहिए?
किसी बच्चे ने 6 से 7 बार पोलियो ड्राप पी है, तो भी पोलियो उसे पोलियो ड्राप पिलाने में कोई हर्ज नहीं। याद रखिए, चाहे बच्चा कितनी ही बार पोलियो की दवा पी चुका हो, लेकिन पांच वर्ष की उम्र तक उसे हर बार पोलियो की 'दो बूंद जिंदगी' की जरूर पिलानी चाहिए। इससे बच्चे को लाभ ही होगा व किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होगी।
7. पोलियो टीकाकरण कैसे कराया जाना चाहिए?
बच्चे के जन्म पर, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ताह में टीकाकरण करवाना चाहिए और 16 से 24 महीने की आयु में बूस्टर डोज दी जानी चाहिए। इसके अलावा जब भी सरकार द्वारा पोलियो अभियान चलाया जाए, तो अपने बच्चे को पोलियो की दवा जरूर पिलानी चाहिए।
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