'लो थायराइड' में थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोंन का निर्माण नहीं करती। 'लो थायराइड' को हाइपोथायराइडिज्म भी कहा जाता है। थायराइड ग्रंथि, गले के सामने तितली के आकार की होती है। यह ग्रंथि ऐसे हार्मोन का निर्माण करती है, जो शरीर की ऊर्जा के प्रयोग के तरीके को नियत्रंण करती है।
जब शरीर में थायराइड हार्मोंन का स्तर कम हो जाता है, तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। इस अवस्था में आप थकावट व कमजोरी महसूस करने लगते हैं। अगर समय पर हाइपोथायराइडिज्म का इलाज ना कराया जाए तो यह कोलेस्ट्रोल, हार्ट अटैक व हृदयाघात जैसी समस्याओं को पैदा कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान अगर लो थायराइड को लाइलाज छोड़ दें यह मां व बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। हाइपोथायराइडिज्म का इलाज आसानी से उपलब्ध है।
हाइपोथायराइडिज्म किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ यह खतरा अधिक हो जाता है। जिन महिलाओं की उम्र साठ या उससे अधिक होती है उनमें इसका खतरा ज्यादा होता है। अगर आपके परिवार में किसी को हाइपोथायराइडिज्म है तो अन्य सदस्यों में इसके होने की आशंका बढ़ जाती है।
लो थायराइड के कारण
रेडिएशन थेरेपी
गले के आस-पास रेडिएशन थेरेपी करवाने से हाइपोथायराइडिज्म का खतरा बढ़ जाता है। लिम्फोमा कैंसर में गले में रेडिएशन थेरेपी दी जाती है, जिसकी वजह से थायराइड ग्रंथि क्षतिग्रस्त हो सकती है। परिणामस्वरूप वह थायराइड हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाती और व्यक्ति लो थायराइड का शिकार हो जाता है।
रेडियोएक्टिव आयोडीन ट्रीटमेंट
यह इलाज सामान्यत: उन लोगों के लिए है जिन्हें ओवर-एक्टिव थायराइड की समस्या है, जिसे हाइपरथायराइडिज्म के नाम से भी जाना जाता है। रेडिएशन के कारण थायराइड ग्रंथि की कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। जिसकी वजह से हाइपोथायराइडिज्म की समस्या होती है।
चिकित्सीय कारण
कुछ खास तरह की दवाएं जैसे हृदय समस्या, मनोवैज्ञानिक स्थिति व कैंसर में दी जाने वाली दवाएं, थायराइड हार्मोंन के निर्माण पर असर डालती है।
थायराइड सर्जरी
थायराइड सर्जरी के दौरान थायराइड हटाने के कारण हाइपोथायराइडिज्म की समस्या हो सकती है। यदि थायराइड का कुछ भाग हटाया जाता है तो बची हुई ग्रंथि शरीर की जरूरत के हिसाब से हार्मोन का निर्माण करने योग्य रहती है।
आयोडीन की कमी
थायराइड ग्रंथि को हार्मोन्स के निर्माण के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। आपका शरीर आयोडीन नहीं बनाता है इसलिए आपको आहार के जरिए ही इसे लेना पड़ता है। आयोडीन युक्त नमक के सेवन से आप इस कमी को पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा शेलफीस,साल्टवॉटर फीस, अंडा, डेयरी उत्पाद आदि।
लक्षण
हाइपोथायराइडिज्म में थायरायड ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन बहुत कम मात्रा में प्रवाहित होता है। इस कारण शरीर में कई परेशानिया पैदा हो जाती हैं।
- थकान या सुस्ती महसूस करना।
- रोगी डिप्रेशन से भी ग्रस्त हो सकता है।
- याद्दाश्त कमजोर होना।
- सर्दी महसूस करना।
- शरीर का वजन बढ़ना ।
- त्वचा का शुष्क होना।
- कब्ज की शिकायत।
- महिलाओं में माहवारी का अनियमित होना।
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