भारत में निमोनिया से हर घंटे जाती है 14 बच्‍चों की जान, दुनिया में भारत का है दूसरा स्‍थान

अध्ययन में पाया गया कि, भारत दुनिया में निमोनिया से होने वाली बच्‍चों की मौतों के मामले में दूसरे स्‍थान पर है। दुनियाभर हुई आधे से अधिक मौतें 5 देशों में हुईं थी, जिनमें से एक भारत भी है। 
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भारत में निमोनिया से हर घंटे जाती है 14 बच्‍चों की जान, दुनिया में भारत का है दूसरा स्‍थान

अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थाओं की एक वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2018 में हर घंटे पांच साल से कम उम्र के 14 से अधिक बच्चों की मौत निमोनिया से हुई थी। फाइटिंग फॉर ब्रीथ इन इंडिया नाम के इस अध्‍ययन में सेव द चिल्ड्रन, यूनिसेफ और एव्री ब्रीथ काउंट्स के अनुसार, 2018 में निमोनिया से पांच साल से कम आयु के 1,27,000 से कम पांच बच्चों की मौत हो गई।



सेव द चिल्‍ड्रेन में स्‍वास्‍थ्‍य एवं पोषण के उप निदेशन डॉक्‍टर राजेश खन्‍ना के मुताबिक, भारत में, पांच वर्ष से कम आयु के एक बच्चे की मृत्यु हर 4 मिनट में निमोनिया के कारण हो जाती है, जिसमें कुपोषण और प्रदूषण दो प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में है। 

विकट कुपोषण बचपन में होने वाले निमोनिया से होने वाली मौतों के आधे से अधिक है। इंडोर एयर पॉल्यूशन 22 फीसदी और आउटडोर एयर पॉल्यूशन इन मौतों में 27 फीसदी का योगदान देता है। निमोनिया बच्चों के प्रमुख हत्यारे के रूप में भी उभरा है, जो हर साल पांच साल से कम उम्र के 800,000 से अधिक बच्चों की जान ले लेता है, हर दिन 2,000 से अधिक।

यूनिसेफ के सीईओ, डायरेक्‍टर हेनरिएट्टा के मुताबिक, "रोजाना दुनिया भर में 2 हजार से ज्‍यादा बच्‍चे निमोनिया का शिकार बनते हैं। जबकि इस रोग को रोकना संभव है और इलाज भी किया जा सकता है। वैश्विक दृढ़ इच्छाशक्ति और निवेश बढ़ाकर इस समस्‍या से निपटा जा सकता है।" 

रिपोर्ट के अनुसार, केवल पांच देशों में आधे से अधिक बच्चे निमोनिया से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार थे। 

  • नाइजीरिया- 162,000
  • भारत- 127,000
  • पाकिस्तान- 58,000
  • कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य- 40,000
  • इथियोपिया- 32,000

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