पीएम मोदी ने कही सोशल मीडिया छोड़ने की बात, जानें 5 कारण कि सोशल मीडिया मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्यों बुरा है?

PM नरेंद्र मोदी सोच रहे हैं सोशल मीडिया छोड़ने की बात, जानें आखिर क्यों सोशल मीडिया छोड़ना आपके अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
पीएम मोदी ने कही सोशल मीडिया छोड़ने की बात, जानें 5 कारण कि सोशल मीडिया मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्यों बुरा है?


भारत के प्रधानमंत्री और वर्तमान राजनीति के सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी ने कल रात एक ट्वीट करके अचानक लोगों को चौंका दिया। पीएम मोदी ने लिखा कि वे सोशल मीडिया छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने रात लगभग 9 बजे अपने सभी ऑफिशियल अकाउंट्स से एक पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, "इस रविवार, सोच रहा हूं कि फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को छोड़ दूं। आपको इस बारे में बताउंगा।" मोदी के इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर "No_Sir" भी ट्रेंड करने लगा है।

पीएम मोदी के सोशल मीडिया छोड़ने के फैसले के पीछे क्या कारण है, ये तो अभी तक साफ नहीं हुआ है। मगर एक बात स्पष्ट है कि मोदी के इस फैसले से एक बार ये सवाल फिर से ताजा हो गया है कि सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित कर रहा है। आज इस आर्टिकल में हम आपको इसी बारे में बता रहे हैं।

'नशे' जैसी होती है सोशल मीडिया की लत

सोशल मीडिया का इस्तेमाल अगर संयमित तरीके से किया जाए, तो ये आपको नए रिश्ते बनाने, अपनी प्रतिभा को लोगों तक पहुंचाने और खाली समय का उपयोग करने में मददगार हो सकता है। मगर देखा गया है कि सोशल मीडिया लोगों में नशे की लत जैसा काम करता है। एक बार इसकी लत लग जाने पर लोग अपने जरूरी कामों के बीच भी बार-बार सोशल मीडिया चेक करते रहते हैं, जिसके कारण लोगों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो रही है। खासकर युवाओं और टीनएज बच्चों में सोशल मीडिया के कारण कई तरह की मानसिक समस्याओं के मामले सामने आए हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने साल 2011 में ही अपने जर्नल में इस बात को स्पष्ट कर दिया था कि सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है, खासकर युवाओं और बच्चों के लिए।

इसे भी पढ़ें: सावधान! आपका मोबाइल फोन आपको दे सकता है ये 5 गंभीर बीमारियां

आपके सोचने-समझने की क्षमता होती है प्रभावित

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग के कारण लोगों की सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित हो रही है। Journal of the Royal Society में छपे एक सर्वे के मुताबिक सोशल मीडिया लोगों में किसी सूचना को समझने और उसकी प्रॉसेसिंग के तरीके में बदलाव कर रहा है। सोशल मीडिया पर पोस्ट्स के प्रभाव में आकर बहुत सारे लोग बिना जांच-पड़ताल और अपनी खुद की विवेक-बुद्धि के प्रयोग के चीजों के बारे में अपनी राय बना लेते हैं। ये तो आप भी जानते हैं कि सोशल मीडिया तमाम तरह की अफवाहों और गलत सूचनाओं को फैलाने का सबसे तेज माध्यम बन गया है। रिसर्च बताती हैं कि सोशल मीडिया के प्रयोग से लोगों को अपने कठिन सवालों के जवाब तो आसानी से मिलने लग गए हैं, मगर इससे उनकी समझदारी में कमी आई है।

असली जिंदगी में बना रहा है 'एंटी-सोशल'

सोशल मीडिया पर अगर किसी व्यक्ति के सैकड़ों या हजारों दोस्त हैं, तो जरूरी नहीं है कि वो व्यक्ति असल जिंदगी में उतना ही सोशल हो। दरअसल सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग के कारण बहुत सारे लोग अपने आसपास के लोगों पर ही ध्यान नहीं देते हैं और न ही बातचीत करते हैं। ऐसे में भले ही सोशल मीडिया पर ऐसे व्यक्ति के बहुत सारे दोस्त में मगर असल जिंदगी में न तो उसे लोगों से व्यवहार करना अच्छा लगता है और न ही उसके दोस्त बन पाते हैं।

इसे भी पढ़ें: इंटरनेट से युवाओं में बढ़े सुसाइड के मामले, मां-बाप इन 5 बातों पर दें ध्यान

ऑब्जर्व करने की क्षमता में कमी आई है

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रयोग ने लोगों को वास्तविक जिंदगी में चीजों के रोमांच को महसूस करने की क्षमता कम कर दी है। अच्छा खाना सामने आते ही व्यक्ति उसका स्वाद लेने के बजाय उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर डालने को उत्सुक हो जाते हैं, चीजों को निहारने और खूबसूरती को महसूस करने के बजाय लोग पहले इसे सोशल मीडिया पर शेयर करने में लगे रहते हैं, जिसके कारण लोगों की चीजों को ऑब्जर्व करने की क्षमता में कमी आई है।

Watch Video: डिप्रेशन के कारण और उस पर काबू करने के उपाय

डिप्रेशन का बना रहा है शिकार

आपको जानकर हैरानी होगी कि सोशल मीडिया की लत बड़ी संख्या में लोगों को डिप्रेशन और स्ट्रेस का शिकार बना रही है। सोशल मीडिया पर कोई टेक्सट या फोटो करने के बाद उसके लाइक्स, कॉमेंट्स आदि पर लगातार नजर रखने के बाद जब व्यक्ति को लगता है कि उसे आपेक्षित संख्या में लोगों का ध्यान नहीं मिल रहा है, तो वो तनाव का शिकार होता है। इसी तरह अपने सोशल छवि को ज्यादा से ज्यादा बेहतर बनाने और दूसरों से अपनी तुलना करने के कारण भी बहुत सारे लोग स्ट्रेस और डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

Read more articles on Mind & Body in Hindi




Read Next

कहीं ऑफिस का काम ही तो नहीं बना रहा आपको डिप्रेशन का शिकार? इन 6 संकेतों से जानें

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version