दोस्तों और संगत की देखादेखी में बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। इसमें अच्छी और बुरी दोनों तरह की चीजें आती है। अगर हम बुरी चीजों की बात करें तो बच्चे अपने दोस्तों को देखकर माता के साथ बुरा बर्ताव करना, पैसों और महंगी चीजों की मांग करना और फोन मांगना और मनमुताबिक काम करने की शर्ते रखते हैं। इस बर्ताव को साइंटिफिक भाषा में पीयर प्रेशर करते हैं। कई पेरेंट्स की शिकायत होती है कि उनका बच्चा अपने दोस्त से प्रभावित होकर अकेले ट्रिप पर जाने की बात करना है, अपना हेयर स्टाइल चेंज करने पर जोर देता है। इतना ही नहीं कई बार बच्चे स्कूल जाने से भी मना करते हैं। आज हम आपको डॉक्टर से बातचीत कर बता रहे हैं कि आखिर बच्चा ऐसा क्यों करता है और इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है।
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
डॉक्टर्स का कहना है कि पेरेंट्स को यह बिल्कुल भी नहीं भूलना चाहिए कि पेरेंटिंग एक सतत प्रक्रिया है, जिसकी शुरुआत जन्म के पहले दिन से ही हो जाती है। पिछले बारह वर्षों में आपके बच्चे को जैसी परवरिश मिली होगी, वह उसी के अनुसार व्यवहार करेगा। इसीलिए हमें शुरुआत से ही अपने बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करना चाहिए। खैर, आपका बेटा टीनएज में प्रवेश कर रहा है। इस उम्र में ज्य़ादातर बच्चे अपने दोस्तों से प्रभावित हो जाते हैं। इस समस्या को पीयर प्रेशर कहा जाता है। अगर वह अपने दोस्त को देखकर हेयरस्टाइल चेंज करे तो इसमें कोई हजऱ् नहीं है, पर आपको इस बात का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए कि बच्चों में जि़द की शुरुआत ऐसी ही छोटी-छोटी बातों से होती है, जो बाद में बड़ी समस्या बन जाती है।
बच्चा बड़ों से ही सीखता है। जब वह अपने पेरेंट्स को देखता है कि वे अपने पड़ोसियों से प्रभावित होकर हर छह महीने बाद अपना मोबाइल बदल लेते हैं और हर साल नई कार खरीदने की कोशिश में जुटे होते हैं। ऐसे में अगर बच्चा अपने दोस्तों को देखकर महंगे खिलौनों या ब्रैंडेड कपड़ों की मांग करे तो इसमें $गलत क्या है? दरअसल आज के ज्य़ादातर पेरेंट्स उस सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं, जब लोगों की जीवनशैली बेहद सादगीपूर्ण थी। बच्चों की परवरिश बेहद अनुशासित माहौल में होती थी और उनके माता-पिता बहुत सोच-समझकर पैसे खर्च करते थे। उन दिनों महीनों तक पेरेंट्स की खुशामद करने के बाद बच्चों को एक मामूली सा बैटरी वाला खिलौना मिलता था। वहीं बच्चे जब आज के माता-पिता बने तो देश में आर्थिक उदारीकरण अपनी जड़ें जमा चुका था। अच्छी सैलरी देने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों की भरमार थी और यहीं पर युवा पीढ़ी से चूक हो गई। आज के पेरेंट्स बच्चों के माध्यम से दोबारा अपने बचपन को जीने की कोशिश करते हैं।
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उन्हें ऐसा लगता है कि जिस तरह हम छोटी-छोटी चीज़ों के लिए तरसते थे, हमारे बच्चे वैसे नहीं तरसेंगे। इसीलिए आजकल पेरेंट्स छोटी उम्र से ही अपने बच्चों की हर मांग पूरी करते हैं। नतीजतन टीनएज में आने के बाद बच्चे महंगी और ब्रैंडेड चीज़ों की मांग करने लगते हैं क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता के मुंह से न सुनने की आदत ही नहीं होती। इसलिए बड़े होने के बाद जब उनकी कोई डिमांड पूरी नहीं होती तो वे विचलित हो जाते हैं। उनके लिए यह समझना बहुत मुश्किल हो जाता है कि आखिर मम्मी-पापा हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में जब आपका बेटा अपने दोस्तों को देखकर किसी चीज़ की मांग करता है तो उसके सामने यह शर्त ज़रूर रखें कि जब तुम परीक्षा में इतने प्रतिशत अंक लाओगे तो तुम्हें यह चीज़ मिल जाएगी। इससे धीरे-धीरे उसे इस बात का एहसास हो जाएगा कि बिना मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं होता। उसे यह समझाना बहुत ज़रूरी है कि हर परिवार की जीवनशैली दूसरे से अलग होती है। इसलिए हमें दूसरों की नकल करने के बजाय अपने परिवार के नियमों का पालन करना चाहिए। अपने बेटे के दोस्तों पर हमेशा नज़र रखें क्योंकि बच्चों के व्यक्तित्व पर दोस्तों का गहरा प्रभाव पड़ता है।
पेरेंटिंग टिप्स
- बच्चे के साथ ऐसा दोस्ताना रिश्ता बनाएं कि वह बेझिझक आपके साथ अपने दिल की बातें शेयर कर सके।
- जहां तक संभव हो बच्चे की एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज़ में आप खुद भी शामिल हों। इससे आप उसके दोस्तों को करीब से जान जाएंगी।
- अपने घर में अनुशासन के कुछ स्पष्ट नियम बनाएं और बच्चे को बताएं कि उसे हर हाल में उनका पालन करना ही होगा।
- बातचीत के दौरान उसे सच्चे दोस्त की खूबियों से परिचित करवाएं। उसे अच्छे बच्चों से दोस्ती करने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चे की रुचियों को पहचान कर उसे क्रिएटिव एक्टिविटीज़ में व्यस्त रखने की कोशिश करें।
- टीनएजर्स को सिगरेट, ड्रग्स और एल्कोहॉल से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं।
- कोई भी निर्णय लेने से पहले उन्हें परिणाम के बारे में सोचना सिखाएं।
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