2 मिनट से ज्यादा कभी नहीं रोकनी चाहिए पेशाब, इन 3 खतरनाक रोगों का रहता है खतरा

असल में पेशाब रोकने से कई खतरनाक बीमारियां पैदा होती है। जिसमें किडनी से संबंधित रोग, ब्लैडर, लिवर और यूट्रस संबंधी रोग शामिल है। 
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2 मिनट से ज्यादा कभी नहीं रोकनी चाहिए पेशाब, इन 3 खतरनाक रोगों का रहता है खतरा


पेशाब आना एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसका सामना इंसान से लेकर जानवरों को भी करना पड़ता है। इसलिए यह जब भी आए तुरंत कर लेना चाहिए। कई बार लोग जानबूझकर अपना यूरिन यानि कि पेशाब रोकते हैं बल्कि कई बार यह मजबूरी में करना पड़ता है। अक्सर जब लोग घर से दूर होते हैं और आसपास कोई शौचालय नहीं होता या तो उस स्थिति में लोगों को मजबूरन अपनी पेशाब रोकनी पड़ती है। जबकि कई बार आफिस की मीटिंग के चलते भी ऐसा होता है। इससे इतर कुछ लोग जानबूझकर भी ऐसा करते हैं। इसमें वो लोग आते हैं जो गप्पों में व्यस्त रहते हैं या पेशाब को प्राथमिकता देने के बजाय उन कामों को करते हैं जिन्हें कुछ मिनट बाद भी किया जा सकता है। अगर आप ऐसा समझते हैं कि इसके कोई नुकसान नहीं हैं तो ये आपकी गलतफहमी है। असल में पेशाब रोकने से कई खतरनाक बीमारियां पैदा होती है। जिसमें किडनी से संबंधित रोग, ब्लैडर, लिवर और यूट्रस संबंधी रोग शामिल है। आज हम डायबिटीज रोगियों के लिए पेशाब रोकने के नुकसान बता रहे हैं। इसके अलावा पेशाब रोकने से किस तरह का खतरा रहता है इस लेख में आप वह भी जान पाएंगे।

किन बीमारियों का रहता है खतरा

गुर्दे की बीमारी

पेशाब का काफी देर तक रोकना गुर्दे की बीमारी का भी कारण बनता है। हर व्यक्ति के शरीर में 2 गुर्दे यानि कि किडनी होती हैं और दोनों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। अगर आप अक्सर 2 मिनट से ज्यादा पेशाब रोकते हैं तो समझ लें कि आपके गुर्दे कभी भी खराब हो सकते हैं। इसके अलावा विलासितापूर्ण जीवनशैली, शारीरिक श्रम का अभाव, असंयमित खानपान, तनाव जैसे कारणों की वजह से देश में गुर्दे की समस्या बढ़ती जा रही है। गुर्दे की बीमारियों की चपेट में अब युवा भी आ रहे हैं। मधुमेह और उच्च रक्तचाप गुर्दे की स्थाई समस्या के मुख्य कारण हैं, लेकिन जानकारी के अभाव के कारण जब तक इस बीमारी का पता चलता है तब तक बीमारी असाध्य रूप ले चुकी होती है।

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यूरिनरी रिटेंशन

जब हमारा मूत्राशय पूरी तरह से खाली नहीं हो पता तो उस स्थिति को यूरिनरी रिटेंशन कहते है। यह स्थिति तीव्र या दीर्घकालिक भी हो सकती है। इसमें तीव्र यूरिनरी रिटेंशन वह होता है जब पेशाब करने में दर्द और जलन होती है। इस स्थिति में व्यक्ति चाह कर भी एक प्रवाह में पेशाब नहीं कर पाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। जबकि दीर्घकालिक यूरिनरी रिटेंशन वह होता है जिसमें व्यक्ति मूत्र का त्याग तो कर पाता है लेकिन ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं होता है। लोग इसे आम समझते हैं और उन्हें यह पता ही नहीं चलता की उन्हें यह बिमारी है। जब तक की उन्हें मूत्र पथ में संक्रमण ना हो जाए। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होता है।

प्रॉस्टेट ग्रंथि का बढ़ना

प्रोस्टेट पुरुषों में पाई जाने वाली एक ग्रंथि है, जो वास्‍तव में कई छोटी ग्रंथियों से मिलकर बनी होती है। यह ग्रंथि पेशाब के रास्‍ते को घेर कर रखती है और उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि के ऊतकों में गैर-नुकसानदेह ग्रंथिकाएं विकसित हो जाती है। जिसके कारण धीरे-धीरे ग्रंथि के आकार में वृद्धि होने लगती है, और समस्या तब उत्पन्न होती है जब प्रोस्टेट का आकार इतना बढ़ जाता है कि मूत्रमार्ग पर दबाव पड़ने लगता है। सर्दियों में कम पानी पीने के कारण प्रोस्‍टेट ग्रंथि की समस्‍या बढ़ जाती है। सर्दियों में पानी कम पीने के कारण यूरीन की थैली में एकत्र यूरीन की मात्रा बढ़ जाती है। इसके कारण यूरीन की नली में संक्रमण या यूरीन रुकने की समस्‍या हो जाती है। प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने की समस्या का समाधान दो तरीकों से संभव होता है। पहला, टी.यू.आर.पी. सर्जरी और दूसरा, प्रोस्टेटिक आर्टरी इंबोलाइजेशन सर्जरी द्वारा। इस सर्जरी के बाद सभी दवाओं को बंद कर सिर्फ कुछ खास दवाएं ही दी जाती हैं।

मूत्र असंयम

मूत्र असंयम वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति को अपने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता। महिलाओं में यह समस्या गर्भावस्था और शिशु के जन्म के कारण अधिक होती है। मूत्र असंयम के लिए उम्र, (मूत्राशय की मांसपेशियों बढ़ती उम्र के साथ कमजोर हो जाती हैं) या सर्जरी या डिलीवरी, बढ़े हुए प्रोस्टेट, रजोनिवृत्ति, ओवरएक्टिव ब्‍लैडर, तंत्रिका क्षति, मूत्राशय की पथरी, मूत्र मार्ग में संक्रमण और कब्‍ज के कारण पेल्विक फ्लेार की मसल्‍स कमजोर होने जैसे कई कारक जिम्‍मेदार होते हैं। इसके अलावा, कुछ खाद्य पदार्थ, पेय और दवाएं मूत्राशय को उत्तेजित कर अस्थायी असंयम का कारण हो सकते है। गर्भवस्‍था या डिलिवरी के एकदम बाद महिलाओं में होने वाली मूत्र असंयम की समस्‍या से कीगल एक्‍सरसाइज की मदद से काबू पाया जा सकता है। मूत्र असंयम के इलाज के लिए मैग्‍न‍ीशियम भी आपकी मदद कर सकता है, खासतौर पर अगर आपको रात में पैर में ऐंठन जैसे मैग्‍नीशियम की कमी के लक्षणों का अनुभव होता है। विटामिन डी मूत्र असंयम को नियंत्रित करने के कलए इस्‍तेमाल किया जा सकता है, क्‍योंकि यह मांसपेशियों की ताकत को बनाये रखने में मदद करता है।

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