रीता का आठ महीने का पुचको खूब रोता था। ऐसे में एक दिन रीता की सास ने पुचको के मुंह में चूसनी डाल दी। चूसनी मिलने के कुछ देर बाद ही पुचको चुप हो गया। इसके बाद रीता हर बार अपने शिशु को चूसनी ही दे देती थी। इससे कुछ महीनों बाद पुचको के पेट में दर्द होने लगा। डॉक्टर के दिखाने पर डॉक्टरों ने कहा कि ये पेट की गंदगी की वजह से हुआ है। पेट की गंदगी गंदे चूसनी को चूसने के कारण हुई थी। इस केस से आप समझ सकते हैं की चूसनी से शिशुओं को नुकसान ही होता है। आइए चूसनी से होने वाले अन्य नुकसानों के बारे में इस लेख में विस्तार से पढ़ें।
कोई वैज्ञानिक कारण नहीं
परिवारों में शिशु को चुसनी देने की आदत सदियों पुरानी है और लोग शिशु के रोते ही उनके मुंह में चूसनी डाल देते हैं। इससे बच्चे चुप तो हो जाते हैं। लेकिन ये आदत सही नहीं है। चुसनी के कारण बच्चा चुप जरूर हो जाता है लेकिन इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। ये केवल मिथ ही है कि शिशु चूसनी से चुप हो जाते हैं। शिशु केवल चूसनी को मां के ब्रेस्ट के निप्पल समझते हैं इसलिए चुप हो जाते हैं। माताएं परेशानी से बचने के लिए बच्चे के मुंह में चुसनी डाल देती है लेकिन इस आदत के कारण बच्चे को बाद में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
चूसनी देने से होने वाले नुकसान
- शिशु को चूसनी देने से मां को आऱाम जरूर मिलता है लेकिन इससे मां और शिशु में दूरी आ जाती है। क्योंकि शिशु चूसनी को मां के ब्रेस्ट के निप्पल समझते हैं जिस कारण शिशु चूसनी के मिलते ही चुप हो जाते हैं। हमेशा चूसनी के मूंह में लेने से शिशु मां के दूध से अपरिचित हो जाता है।
- शिशु कई बार दांत निकलने पर भी रोते हैं क्योंकि इससे उनको मसूड़ों में तकलीफ होती है। इस दौरान जब शिशु चूसनी चूसते हैं तो उन्हें मसूड़ों को आराम मिलता है। लेकिन इस आऱाम के कारण शिशु के दांत और मसुड़े अच्छे से विकसित नहीं हो पाते।
- रात में सोते समय अक्सर शिशु चुसते हुए चुसनी को कहीं फेंक देते हैं इससे चूसनी गंदा हो जाता है और फिर शिशु वही चुसनी चुसने लगते हैं। इससे शिशु के पेट में इंफेक्शन हो जाता है। क्योंकि चूसनी को मुँह में हर बार देते वक्त उसको स्ट्रेलाइज़्ड नहीं किया जाता है जिसके कारण उसमें विभिन्न तरह के जीवाणु पनपने लगते हैं जो शिशु के लिए इन्फेक्शन का कारण बन जाते हैं।
ना दें चूसनी
कभी-कभी ही चूसनी देना सही होता है। इसलिए डॉक्टर और विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि हमेशा और बिना जरूरत के बच्चे को कभी भी चुसनी की आदत नहीं डलवानी चाहिए।
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