लीज़ा बहरीन में रहती है जहां उसके अपने देश के बहुत कम लोग हैं। लेकिन वो अपनी मातृभाषा बहुत ही अच्छे से बोल लेती हैं क्योंकि वो आठ साल तक इंडिया में ही रही हैं। खासकर तो जब वो बहरीन गई थी तो उनके पैरेंट्स हमेशा घर पर उससे मातृभाषा में ही बात करते थे जिस कारण लीज़ा की हिंदी बहुत अच्छी है। लेकिन अब शादी के बाद उसके दो लड़के हैं जिनके साथ उसे पिछले कुछ सालों में काफी दिक्कत हुई, क्योंकि लीज़ा के दोनों बच्चे जिद्दी और ओवरफ्रैंडली हो गए थे। इसका कारण लीज़ा ने कहीं न कहीं अपने आपको भी माना।
लीज़ा और उसके पति दोनों वर्किंग थे जिस कारण बच्चों को पूरा समय नहीं दे पा रहे थे। घर पर भी इंगलिश में ही बात करते थे और जितने भी लोग घर पर मिलने आते वे सारे फॉरेनर ही होते। जिससे लीज़ा के बच्चे अपनी संस्कृति और भाषा से दूर अपने दोस्तों के साथ अधिक रहने लगे। वो तो अच्छा है कि लीज़ा ने इस बात को जल्दी नोटिस कर लिया और बच्चों को समय देने लगी। अब लीज़ा औऱ उनके बच्चे घर पर अपनी मातृभाषा में ही बात करते हैं।
ये समस्या केवल लीज़ा की नहीं हर उस परिवार और अभिभावकों की है जो अपने रिश्तेदारों और संस्कृति से दूर दूसरे देश औऱ राज्य में रहते हैं। ऐसे में आसपास अपनी भाषा का कोई नहीं होने के कारण लोग बाहर की ही भाषा में बोलना और व्यवहार करना शुरू कर देते हैं।
खैर ये कारण तो दूसरे देशों और राज्यों में रहने वालों के साथ की है। लेकिन आज अधिकतर इंडियन फैमिली में भी अभिभावक छोटे से ही बच्चों के साथ इंग्लिश में बात करना शुरू कर देते हैं जिससे बच्चे इंग्लिश में तो निपुण हो जाते हैं लेकिन अपनी मातृभाषा से दूर होते चले जाते हैं। जो कि गलत है।
इन कारणों से नहीं सीखाते हैं मातृभाषा
- इंडियन सोसाइटी में अभिभावकों के लिए जरूरी होता है कि बच्चे इंग्लिश सीखे भले ही मातृभाषा सीखे ना सीखे। इससे उनको आगे एकेडमिक और करियर में मदद मिलेगी।
- कुछ अभिभावकों के मन में अपनी संस्कृति और जड़ों को लेकर हीनताबोध होती है जिस कारण वो बच्चों को अपनी मातृभाषा सीखाने में ना के बराबर दिलचस्पी रखते हैं।
- कुछ लोग सोचते हैं कि कम उम्र में इंगलिश सीखना उनको आगे के लिए मदद करेगा। इस कारण वे शुरू से इंगलिश में जोर देते हैं।
- कुछ लोग मातृभाषा में बात करने की कोई जरूरत नहीं समझते।
इन कारणों से करें मातृभाषा में बात
- मातृभाषा में बात करने का पहला और सबसे जरूरी कारण है इसकी प्रभावशालिता और निपुणता। मातृभाषा में बात करने वाले लोग अपनी बात अच्छे तरीके से कह पाते हैं और लोगों के ऊपर काफी अच्छे तरीके से अपना प्रभाव छोड़ देते हैं।
- मातृभाषा में बात करने के कारण बच्चों और अभिभावकों के बीच प्यार अधिक गहरा होता है। परिवार में मातृभाषा में बात करने से बच्चे अपने अभिभावकों के अधिक करीब आते हैं।
- मातृभाषा में बात करने से संस्कृति और परंपराओं का भी आदान-प्रदान होता है जिससे बच्चे अभिभावकों से खुद ब खुद अपनी संस्कृति और परंपराओं के करीब आ जाते हैं।
- मातृभाषा में बात करने का सबसे अधिक फायदा ये होता है कि आप सार्वजिनक जगहों में भी कोई जरूरी बात (जो केवल आप अपने बच्चे को समझाना या डांटना चाहते हैं) अपने बच्चे से कर लेते हैं।
- इससे बच्चे बाइलिंगुअल होते हैं और उनकी बुद्धि का विकास होता है। जो इंसान जितनी ज्यादा भाषा जानता है वो उतना अधिक क्रिएटिव और समझदार होता है।
- खासकर दूसरे देश या राज्य में रहने वाले लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों से अपनी भाषा में बात करें जिससे उन्हें अपने देश और राज्य के बारे में पता रहे।
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