बच्चों के साथ बहस करते हुए पेरेंट्स को ध्यान रखनी चाहिए ये 5 बातें

बड़े होते बच्चों से छोटी-छोटी बातों में तकरार और बहस से बचने के लिए माता-पिता को कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
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बच्चों के साथ बहस करते हुए पेरेंट्स को ध्यान रखनी चाहिए ये 5 बातें

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके बिहेवियर में भी कई सारे बदलाव आते हैं। कई बार ये बदलाव पेरेंट्स के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि बच्चे जब छोटे होते हैं, तो पेरेंट्स की बातें सुनते हैं लेकिन बड़े होने के बाद ऐसा नहीं होता। वो अपने पेरेंट्स को पलट कर जवाब देने लगते हैं या पेरेंट्स के साथ चिल्लाकर या बदतमीजी से बात करने लगते हैं। यह उनकी किशोरावस्था तक या कई सालों तक चल सकता है। हो सकता है माता पिता इस बात को लेकर बच्चे के भविष्य के लिए भी चिंतित हों। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, लेकिन पेरेंट्स के लिए यह बेहद कठिन समय होता है क्योंकि जिस बच्चे को उन्होंने पालकर बड़ा किया है अगर वह उनके साथ ऐसा व्यवहार करेगा, तो उनके मानसिक स्वास्थ्य  पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए पेरेंट्स को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

बच्चे के साथ रखें नरम व्यवहार

अगर आपका बच्चा आप से बहस कर रहा है या किसी बात की जिद कर रहा है, तो बच्चे को डांटे या मारें नहीं। बच्चा है तो जिद करेगा ही। उसको प्यार से समझाएं और उसके साथ अपना व्यवहार नरम रखें। अगर सख्ती बरतेंगे तो बच्चा आपसे बातें भी छुपाएगा और झूठ भी बोलेगा।

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अपने बच्चे की पर्सनैलिटी को समझें

पेरेंट्स को अपने बच्चे को समझने की कोशिश करनी चाहिए। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है उसकी पर्सनैलिटी में बदलाव आते हैं। अगर आप हमेशा उन्हें समझने की कोशिश करेंगे और सही गाइडेंस देंगे तो उनकी पर्सनैलिटी अच्छी होती है, जो फ्यूचर में उनको सभ्य बनने में मदद कर सकती है। 

parents argue

उनकी बातों को समझने की कोशिश करें

कई बार बच्चों से बात करने पर भी उनको जानना काफी मुश्किल हो सकता है। इसलिए बच्चों के बिहेवियर पर ध्यान दें कि वे क्या महसूस करते हैं और अपनी लाइफ में क्या करना चाहते हैं। उन्हें समझने की कोशिश करें और किसी भी चीज के लिए फोर्स ना करें। 

बहस को आगे ना बढ़ाएं

कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों की गलतियों को समझने के बजाय उनसे बहस करने में समय निकाल देते हैं। अगर आपके बच्चे आपसे बहस करते हैं, तो कुछ भी न कहने की कोशिश करें और बहस को आगे ना बढ़ाएं और समय रहते अपने बच्चों के नेगेटिव बिहेवियर को सुधारने के लिए प्रयास करें।

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खुद में बदलाव करने की उम्मीद रखें

जब आप अपने बच्चों के साथ बहस कर रहे होते हैं, तो यह उम्मीद ना रखें कि बच्चा खुद बहस करना बंद कर देगा और आपको अपने अंदर कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं होगी। अगर आप अपने बच्चे में बदलाव देखना चाहते हैं तो आपको खुद को बदलने की शुरुआत करनी होगी। आप अपने बच्चों से जुड़ने की कोशिश करें और बच्चों के नजरिए से भी जानने की कोशिश करें।

बच्चों के छोटे से बड़े होने में काफी बदलाव आते हैं उन्हें शुरुआत से ही अच्छे रास्ते पर चलाने की कोशिश करें। अपनी सारी उम्मीदों को बच्चों पर ना डालें, इससे बच्चा दबाव महसूस कर सकता है और आपका मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है।

बच्चों में बदलाव करने के साथ खुद में भी बदलाव करने की उम्मीद रखें। इस तरह आप बच्चों को बहस करने से रोक सकते हैं।

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