बच्चों को खतरनाक वायरस से बचाएगी हेपाटाइटिस बी की ओरल वैक्सीन: शोध

छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों से कम होती है। यही कारण है कि बच्चों को वायरस और बैक्टीरिया जल्दी प्रभावित करते हैं। हेपेटाइटिस बी एक ऐसी बीमारी है, जिसका खतरा बच्चों को ज्यादा होता है। अभी तक इस बीमारी को रोकने के लिए टीके का इस्तेमाल किया जाता रहा है, जिसे इंजेक्शन के माध्यम से शिशु को लगाया जाता है। मगर हाल में हुए शोध में हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए ओरल वैक्सीन खोज ली गई है।
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बच्चों को खतरनाक वायरस से बचाएगी हेपाटाइटिस बी की ओरल वैक्सीन: शोध


छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों से कम होती है। यही कारण है कि बच्चों को वायरस और बैक्टीरिया जल्दी प्रभावित करते हैं। हेपेटाइटिस बी एक ऐसी बीमारी है, जिसका खतरा बच्चों को ज्यादा होता है। अभी तक इस बीमारी को रोकने के लिए टीके का इस्तेमाल किया जाता रहा है, जिसे इंजेक्शन के माध्यम से शिशु को लगाया जाता है। मगर हाल में हुए शोध में हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए ओरल वैक्सीन खोज ली गई है। हेपेटाइटिस बी के लिए दी जाने वाली ओरल वैक्सीन बच्चों को कई खतरनाक वायरस के अटैक से बचाती है। ये शोध साइंटिफिक रिसर्च नामक पत्रिका में छापा गया है।

ज्यादा आसान है ओरल वैक्सीन का प्रयोग

हर साल लाखों लोग हेपेटाइटिस बी का शिकार होते हैं, जिनमें से ज्यादा संख्या छोटे बच्चों की होती है। हेपेटाइटिस बी का इंजेक्शन वाला टीका बहुत मंहगा आता है। इसे स्टोर करने के लिए एक स्थिर पर्यावरण की जरूरत होती है। इसलिए बहुत सारे विकासशील देशों में टीके की पहुंच नहीं हो पाती है, जिससे बच्चे इस खतरनाक रोग का शिकार हो जाते हैं। इसके मुकाबले ओरल वैक्सीन का प्रयोग ज्यादा आसान है।

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सूजन और इंफेक्शन का खतरा नहीं होगा

चिकित्सकों के मुताबिक इंजेक्शन के द्वारा टीका लगाने से कई बार बच्चों को इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन आ जाती है या इंफेक्शन हो जाता है। ओरल वैक्सीन में ये खतरे नहीं होंगे। इसके अलावा ओरल वैक्सीन को स्टोर करने के लिए रेफ्रिजेटर या स्थिर तापमान की जरूरत नहीं है, इसलिए इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है। इससे इस वैक्सीन का दाम भी अपेक्षाकृत कम होगा।

सस्ती होगी ओरल वैक्सीन

रिसर्च टीम के अनुसार ओरल वैक्सीन के रख-रखाव में ज्यादा इंतजाम नहीं करने पड़ेंगे इसलिए ये वैक्सीन इंजेक्शन वैक्सीन के मुकाबले काफी सस्ती होगी। हालांकि शोधकर्ताओं ने माना है कि ओरल वैक्सीन बनाना आसान नहीं था। इस काम में उनके सामने 2 चुनौतियां थीं। पहली यह कि वैक्सीन को सूखे फॉर्म में इस तरह बनाना कि उसका बच्चों को डाइजेस्टिव सिस्टम पर कोई बुरा असर न पड़े। और दूसरी चुनौती यह थी कि वैक्सीन को खराब होने से बचाना, ताकि इसे ज्यादा दिन तक सही रखा जा सके।

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सिलिका का किया गया है इस्तेमाल

ब्राजील के रिसर्च पार्टनर्स की मदद से इस वैक्सीन को बनाया गया है। इसके लिए सिलिका SBA-15 का इस्तेमाल किया गया है, जिससे हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन को छोटी-छोटी कैप्सूल्स के आकार में पैक किया जा सके। कई तरह के ट्रायल के बाद आखिरकार इस ओरल वैक्सीन को बनाने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली।

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