Precautions To Take With Dementia Patients: बढ़ती उम्र के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस उम्र में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। 55-60 की उम्र के बाद व्यक्ति की सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर पड़ने लगता है। इसकी वजह से डिमेंशिया जैसी गंभीर स्थितियों का खतरा भी रहता है। राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों की हकीकत यह है कि डिमेंशिया जैसी बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों को घरों से बेघर कर दिया जाता है। दिल्ली में बेघर हो चुके डिमेंशिया के मरीजों के लिए SHEOWS एक नई उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है। इस संस्थान द्वारा सड़कों पर पड़े मरीजों को एक नई उम्मीद है जीवन देने की कोशिश की जाती है। डिमेंशिया के मरीजों की देखभाल में चुनौतियां भी बहुत हैं। ऐसे में SHEOWS एनजीओ के फाउंडर डॉ जीपी भगत ने डिमेंशिया के मरीजों की डेकभाल से जुड़ी जरूरी बातों के बारे में बताया।
डिमेंशिया के मरीजों की देखभाल में न करें ये भूल
SHEOWS के संस्थापक डॉ. जीपी भगत ने भारत में डिमेंशिया रोगियों के संघर्षों के बारे में बात करते हुए OMH Hyperlocal टीम को बताया, "बच्चे अक्सर डिमेंशिया से पीड़ित अपने बुजुर्ग माता-पिता को सड़क पर छोड़ देते हैं। ऐसे मरीज न सिर्फ डिमेंशिया बल्कि कई अन्य गंभीर समस्याओं से ग्रसित होते हैं।" इन मरीजों की देखभाल करते समय कुछ गलतियां मरीजों के लिए काफी गंभीर हो जाती हैं। डॉ भगत ने बताया, कि घरों में अक्सर लोग डिमेंशिया के मरीजों की कुछ आदतों की वजह से लोग परेशान हो जाते हैं। इसकी वजह से लोग मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार कर देते हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
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SHEOWS के दिल्ली स्थित सेंटर पर मरीजों की देखभाल करने वाले केयरटेकर दीपक ने कहा, “बहुत सारी चुनौतियां हैं। वे अक्सर अपनी पैंट में ही शौच करते हैं इसलिए हमें उनके कपड़े बदलने पड़ते हैं, उन्हें साफ करना पड़ता है, नहलाना पड़ता है और शौचालय में ले जाना पड़ता है।" ऐसी स्थितियों में उनके साथ आसानी से पेश आना चाहिए।
SHEOWS की स्पेशल केयर यूनिट के केयरटेकर बांके लाल गुप्ता ने बताया, "डिमेंशिया के मरीज भूल जाते हैं कि वह कौन हैं और उन्हें समझना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से उनकी देखभाल में परेशनियां आती हैं। डिमेंशिया के मरीजों के साथ आपको जोर-जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। उनके साथ प्यार और सम्मान से पेश आना चाहिए। अगर आप उनसे गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से बात करेंगे तो वे बहुत जल्दी सहयोग करते हैं।"
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युवाओं से एक अपील
SHEOWS पर मौजूद बेघर किए गए बुजुर्गों और विकलांग निवासियों की दुर्दशा हमारे समाज की कमजोरी दिखाती है। डॉ भगत ने कहा, "हमारे माता-पिता हमारे सामने आने वाली हर चुनौती के बावजूद हमारा पालन-पोषण करते हैं। जब उन्हें वापस उसी सहारे की जरूरत होती है, तो बच्चे उनसे बात नहीं करते हैं और उनकी उपेक्षा करते हैं। कैसा दुर्भाग्य है! हमारे बुजुर्गों को प्यार चाहिए, सड़क नहीं। उन्होंने परिवार, समाज, देश की मदद की। आज उन्हें आपकी जरूरत है।" इसलिए डिमेंशिया के मरीजों की सही ढंग से देखभाल जरूर करें।