थर्ड डाइमेंशन यानी थ्रीडी तकनीक का प्रयोग अब त्वचा ट्रांसप्लांटेशन के लिए किया जायेगा, इस तकनीक का प्रयोग जल्द ही किया जायेगा। ब्रिटेन के वैज्ञानिक असली त्वचा जैसी दिखने वाली थ्रीडी प्रिंटेड सिंथेटिक स्किन तैयार कर रहे हैं। यदि किसी भी प्रकार से या दुर्घटना के बाद व्यक्ति की त्वचा को नुकसान होता है तो इस तकनीक का प्रयोग होने के बाद आदमी की त्वचा पहले जैसी दिखेगी। यानी व्यक्ति की त्वचा प्राकृतिक त्वचा के जैसी हो सकेगी।
इस त्वचा की खूबी यह होगी कि हर व्यक्ति के रंग, उम्र, लिंग और मूल के हिसाब से स्किन तैयार की जा सकेगी। व्यक्ति के शरीर में यह त्वचा जिस जगह पर प्रयोग की जायेगी वह अलग से नहीं दिखेगी।
मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के साथ काम करते हुए लिवरपूल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर थ्रीडी इमेज प्रोसेसिंग और स्किन मॉडलिंग तकनीक पर काम कर रहे हैं जिससे किसी व्यक्ति की त्वचा की नकल करके इसे तैयार किया जा सके और यह असली त्वचा जैसी ही दिखे।
किसी भी व्यक्ति की असल त्वचा वह होती है जो सूरज की रोशनी में दूसरे तरह की और आर्टिफिशल रोशनी में दूसरे तरह की दिखायी देती है, और कुछ ऐसा ही असर इस थ्रीडी स्किन के प्रयोग के बाद दिखाई देगा।
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