सनस्क्रीन पदार्थ और सामग्री त्वचा की पराबैंगनी विकिरण से रक्षा करते हैं। ये लोशन, क्रीम, जैल, स्प्रे और मलहम के रूप में उपलब्ध है जो त्वचा पर लगाये जा सकते हैं। इस सूची में नाक और पलकों के लिए, धूप का चश्मा, नमी बनाये रखने के लिए क्रीम का इस्तमाल, कुछ प्रकार के सूरज संरक्षण कपड़े और फिल्म स्क्रीन जो कारों की खिड़कियों, कमरे, और कार्यालयों पर लगाया जा सकता है शामिल हैं।
जो लोग सनस्क्रीन का उपयोग कुछ समय के लिए करते है उनको उसके संचालन नियम, उपयोग कि मात्रा और जब आप धूप में बाहर निकलते हैं, कितने बार उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिये, इसके बारे में जानकारी रखनी चाहिये हैं। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार सनस्क्रीन के उपयोग की रणनीतियों के ज्ञान के अद्यतन करने का अब समय है। नीचे कुछ पुरानी जानकारी को मौजूदा ताजी जानकारी के साथ अद्यतन किया गया है।
- एक व्यक्ती को घर छोड़ने से आधे घंटे पहले एसपीएफ़ 15 के साथ एक व्यापक स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लागू करना चाहिये।
- एक टी शर्ट आप को धूप से बचने के लिये काफी नहीं है। इसलिए दिन में सूरज की रोशनी में गहरे रंग और कसकर बुने हुए कपड़े पहनना आवश्यक है। कपड़ों में युपीएफ (पराबैंगनी संरक्षण कारक) श्रेणी होती है और अमेरिका के त्वचा कैंसर फाउंडेशन सील के सिफारिश के अनुसार यह कम से कम 30 आवश्यक है।
- चेहरा के लिये एक चम्मच और पुरे शरीर के लिये एक शॉट ग्लास सनस्क्रीनलोशन काफी है। सनस्क्रीन की मात्रा कोई भी गिन नही सकता है, इसलिए जब आप ड्राईविंग करते है, तो गाडी की कांच आपकी सुरज की रोशनी से रक्षा नही करती इसलिये, आपने आप को पुरी तरह से कवर करें।
- धूप में रहना स्वास्थ्यकारक है और एक सप्ताह में तीन बार 20 मिनट धूप में रहने से शरीर को विटामिन डी मिलता है। विटामिन डी हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है, लेकिन शरीर को धूप में लाये बिना, एक पूरक मात्रा के रुप में लेना सबसे सुरक्षित तरीका है, क्योंकि सूरज से कोशिका क्षति, त्वचा की उम्र बढ़ना और कैंसर जैसे जोखिम हो सकते है।
- टैनिंग का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए। वर्तमान जानकारी इस तथ्य का समर्थन करती है, क्योंकि टैनिंग से मॅलोनोमा बढने का खतरा 75 प्रतिशत से 90 प्रतिशत बढ़ता है, त्वचा की उम्र बढ़ाने और झुर्रियां और भूरे रंग के धब्बे के गठन का खतरा बढ़ जाता है।
अंत में, बहुत सें लोग टैन त्वचा चाहते हैं, जिससे उन्हे एक स्वस्थ चमक मिलती हैं। लेकिन सूरज से इसको पाना जोखिमकारक हो सकता है, क्योंकि सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके कारण झुर्रियां हो सकती हैं।
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