किन कारणों से होता है ल्‍यूपस

ल्यूपस तंत्रिकाओं की एक खतरनाक बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है, जानिए इसके क्‍या कारण हैं।
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किन कारणों से होता है ल्‍यूपस


ल्यूपस तंत्रिकाओं की एक खतरनाक बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है। लेकिन मेडिकल हिस्‍ट्री में अभी तक इस बीमारी के प्रमुख कारणों का पता नही चल पाया है।
ल्यूपस वास्तव में स्व-प्रतिरोधी बीमारी (ऑटोइम्यून डिजीज) है। इसके मरीजों में प्रतिरोधक क्षमता उसके अपने ही अंगों के लिए नुकसानदेह साबित होती है। मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के लिए जिम्मेदार श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या इतनी ज्यादा हो जाती है कि इनका दुष्‍प्रभाव शरीर के अन्‍य अंगों पर भी पड़ने लगता है।

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इस बीमारी के विशिष्ट लक्षण नहीं होते जिसकी वजह से इसका पता लगाना मुश्किल होता है। जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, श्वांस लेने में तकलीफ, पैरों में सूजन, आंखों के आसपास काले घेरे, मुंह में अल्सर, जल्द थकान आ जाना, चेहरे पर लाल चकत्ते, बाल झड़ना, तेज ठंड लगना जैसे सामान्‍य संकेत ही इस बीमारी के आम लक्षण हैं।


आनुवांशिक कारण -

ल्‍यूपस को आनुवांशिक बीमारी माना जा रहा है, हालांकि इसके लिए जिम्‍मेदार जीन का पता अभी तक नही चल पाया है। हालांकि ल्‍यूपस की समस्‍या कुछ परिवारों की में ही होती है। हालांकि इस बीमारी के कुछ उदाहरण हो सकते हैं, जुड़वा बच्‍चों में यदि किसी एक बच्‍चे को ल्‍यूपस है तो दूसरे बच्‍चे को भी इस बीमारी के होने की संभावना रहती है। हालांकि कुछ शोंधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि हृयूमन ल्‍यूकोसाइट एंटीजन जीन में गड़बड़ी इस बीमारी के लिए जिम्‍मेदार है।


वातावरण के कारण -

इस बीमारी के लिए जीन के साथ-साथ आदमी की लाइफस्‍टाइल और आस-पास का वातावरण भी जिम्‍मेदार होता है। इसमें सूर्य की पराबैगनी किरणें, फ्लोरिसेंट लाइट बल्‍ब से निकली हुई पराबैगनी किरणें, कुछ दवाईयां, जो आदमी को सूर्य के प्रति संवेदनशील बनाती हैं, शरीर के किसी हिस्‍से में संक्रमण, कोल्‍ड या वायरल बुखार, सामान्‍य से ज्‍यादा थकान, शरीर के किसी हिस्‍से में चोट लगना,
मानसिक तनाव, यदि कोई सर्जरी हुई हो, गर्भावस्‍था के दौरान, धूम्रपान के कारण आदि आते हैं।


ल्‍यूपस के खतरे को बढ़ाने वाले कुछ कारक -

  • पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं को ज्‍यादा होती है।
  • य‍ह किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्‍यादातर मामलों में 15-40 साल के लोग ही इससे पीडि़त होते हैं।
  • कुछ जाति विशेष में यह बीमारी ज्‍यादा होती है, जैसे - अफ्रीकी अमेरिकन, हिस्‍पैनिक्‍स, एशियन, पेसिफिक आइलैंड पर रहने वाले आदि।

ल्‍यूपस से ग्रस्‍त लोग नियमित रूप से अपनी दिनचर्या का पालन करें, तो इस बीमारी से लड़ना आसान हो जाता है। तनाव बिलकुल न लें, सकारात्‍मक सोचें, धूप की नुकसानदेह किरणों से बचें, इसके अलावा भी आपको यदि यह त्‍वचा रोग हो गया है तो चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क कीजिए।

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Image Source : healthool.com

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