किडनी से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है नेफ्रोटिक सिंड्रोम। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति के शरीर से यूरीन के जरिए प्रोटीन का काफी ज्यादा स्त्राव होने लगता है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में ब्लड क्लोट और संक्रमण फैलने का खतरा काफी ज्यादा होने लगता है। इसलिए इसकी गंभीरता को रोकने के लिए इसका समय पर इलाज जरूरी है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई लक्षणों का एक समूह है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब किडनी सही से कार्य करना बंद कर देती है। इस समस्या का इलाज सही समय पर होना बेहद जरूरी है। आज हम आपको इस लेख के जरिए नेफ्रोटिक सिंड्रोम के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप इसका समय पर इलाज करवा सकें। चलिए जानते हैं नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण, लक्षण और बचाव क्या हैं-
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण
किडनी के छोटे ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचने की वजह से आमतौर पर नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कई बीमारियां और समस्याएं हैं, जिसके कारण व्यक्ति नेफ्रोटिक सिंड्रोम से ग्रसित हो सकता है। जैसे-
टॉप स्टोरीज़
1 - डायबिटीक किडनी डिजीज
डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति की किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है। इसे डायबिटीज नेफ्रोपैथी के नाम से जाना जाता है। यह परेशानी नेफ्रोटिक सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है।
2 - ल्यूपस
यह एक ऐसी समस्या है, जिसके कारण इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। ल्यूपस के कारण आपकी किडनी को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इससे बचाव के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
3 - अमाइलॉइडोसिस
हमारे शरीर में अमाइलॉइड प्रोटीन का अधिक निर्माण करने लग जाती है। शरीर में अमाइलॉइड प्रोटीन की अधिकता के कारण यह किडनी के फिल्टर सिस्टम को प्रभावित करने लग जाती है।
इसके अलावा कई अन्य कारण हैं। जैसे- मिनीपल चेंज डिजीज, फोकल सेगमेंट ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस और झिल्लीदार नेफ्रोपैथी के कारण आपको नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या हो सकती है।
इसे भी पढ़ें- रात में अचानक हो दांत में तेज दर्द तो क्या करें? डॉक्टर से जानें तुरंत आराम दिलाने वाले आसान उपाय
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण
शुरुआत में इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं। धीरे-धीरे मरीज में लक्षण बढ़ने लगते हैं। जैसे-
- ब्लड में एल्ब्यूमिन का स्तर कम होना।
- यूरिन से प्रोटीन काफी ज्यादा निकलना।
- वजन काफी तेजी से बढ़ना।
- थकान महसूस होना।
- ब्लड में फैट और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना।
- भूख कम लगना।
- यूरिन झागदार होना। इत्यादि।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम का निदान
अगर आपको नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। शुरुआत में डॉक्टर आपसे कुछ पूछताछ कर सकता है। अगर आपके लक्षणों को देखकर डॉक्टर को संदेह महसूस होता है, तो वह आपको निम्न टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है। जैसे-
- यूरिन टेस्ट
- ब्लड टेस्ट
- किडनी की बायोप्सी
नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज
नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज समस्या के कारणों के आधार पर तिया जाता है। डॉक्टर नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षणों को कम करने या फिर कंट्रोल करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। साथ ही आपके आहार में कुछ परिवर्तन करने की सलाह दे सकते हैं।
इसे भी पढ़ें- मिर्गी, सिर दर्द जैसी समस्याओं की जांच के लिए किया जाता है लंबर पंक्चर (स्पाइनल टैप) टेस्ट, जानें क्या है ये
ब्लड प्रेशर की दवा
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण आपके यूरिन में प्रोटीन का मात्रा काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में डॉक्टर आपको ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने की दवा दे सकता है।
कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने की दवा
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर पर जाता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको कुछ ऐसी दवाएं लेने की सलाह देता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल लेवल को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सके।
ब्लड थिनर करने वाली दवाई
नेफ्रोटिक सिंड्रोम में ब्लड के थक्के की परेशानी को रोकने के लिए दवाई जी दाती है।
मूत्रवर्धक
किडनी से जुड़ी परेशानी को कम करने के लिए मूत्रवर्धक दवाई लेने की सलाह दे सकते हैं।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम से कैसे करें बचाव
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कुछ कारकों को रोका नहीं जा सकता है। लेकिन किडनी में ग्लोमेरुली होने वाले नुकसान को रोकने के कुछ उपाय हैं। जैसे-
- बच्चों को हेपेटाइटिस और अन्य टीके नियमित रूप से लगवाना।
- ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कंट्रोल रखना।
- एंटीबायोटिक्स की दवाओं का सेवन सही से करना।
नोट - नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अपनी छोटी से छोटी समस्याओं को नजरअंदाज न करें। इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है।
Read More Articles on other diseases in hindi