
बच्चों को कुपोषण और अन्य रोगों से दूर रखने के लिए सरकार द्वारा कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए केंद्रीय सरकार मिड डे मील योजना का संचालन कर रही है। इस तरह बच्चों के पेट में कीड़े होना भी एक बड़ी समस्या है, जो अक्सर छोटे बच्चों को परेशान करती है। इस रोग के प्रति अभिभावकों को जागरुक करने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम चलाए जा रहें हैं। फरवरी की 10 तारीख को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन राज्य सरकारे प्राथमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में एक से 14 वर्ष तक के बच्चों को कृमिनाशक के महत्व के बारे में जागरूक करती हैं और उनको दवाएं पिलाई जाती है।
कब से मनाया जाता है ये जागरुकता कार्यक्रम
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से वर्ष 2015 से फरवरी के माह में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2016 से इस दिवस को वर्ष में दो बार 10 फरवरी और 10 अगस्त को मनाया जाता है।
देश के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र कृमिनाशक कार्यक्रम में भाग लेते हैं और बच्चों को एल्बेंडाजोल टैबलेट नामक कृमिनाशक दवा प्रदान करते करते हैं और उन्हें पेट के कीड़ों से बचाव के लिए जागरूकता बढ़ाते हैं।
क्या कर रही है छत्तीसगढ़ सरकार
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवसर पर अभियान के तहत जिले के 04 लाख 87 हजार 399 बच्चों को कृमिनाशक दवा एलबेण्डाजाॅल खिलाई जाएगी। इसके अंतर्गत रायपुर के विकासखण्ड कोरबा में 58 हजार 983, कटघोरा में 66 हजार 139, करतला में 58 हजार 489, पाली में 80 हजार 404, विकासखण्ड पोड़ी-उपरोड़ा में 76 हजार 373 एवं शहरी क्षेत्र में एक लाख 47 हजार बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य तय किया गया है।
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पेट में कीड़े होने पर बच्चों को क्या लक्षण दिखाई देते हैं
- पेट में दर्द
- उलटी
- दस्त होना,
- पेट में गैस होना,
- थकान व कमजोरी आना,
- बच्चे का वजन तेजी से कम होना, आदि।
मिट्टी से होने वाले पेट के कीड़े से कैसे बचाव करें
बच्चों को मिट्टी से पेट के कीड़े होने के संभावना अधिक होती है। ऐसे में आप आगे बताए गए उपायों से बच्चों का बचाव कर सकते हैं।
- बच्चों को दूषित पानी ना पीने की आदत डालें। बाहर का गंदा पानी से उसे पेट में कीड़े होने की संभावना बढ़ जाती है।
- घर में सब्जियों और फल को अच्छी तरह से धोने के बाद ही खाएं।
- बच्चों को बाहर से आने के बाद हाथ धोने के बाद ही खाने की आदत डालें। इसके अलावा उन्हें मिट्टी में खेलने के बाद हाथ मुंह में डालने के लिए न कहें।