National Dengue Day 2019: डेंगू से बचाव है आसान बस करने होंगे ये चंद काम, जानें एक्सपर्ट की राय

डेंगू भारत में एक जानलेवा बीमारी की तरह अपने पैर पसार रहा है, जिसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 मई को 'राष्ट्रीय डेंगू दिवस' मनाता है। अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को डेंगू के प्रति जागरूक करना है।
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National Dengue Day 2019: डेंगू से बचाव है आसान बस करने होंगे ये चंद काम, जानें एक्सपर्ट की राय


डेंगू, संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है, जो मादा एडीस मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू भारत में एक जानलेवा बीमारी की तरह अपने पैर पसार रहा है, जिसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 मई को 'राष्ट्रीय डेंगू दिवस' मनाता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को डेंगू के प्रति जागरूक करना और उसके रोकथाम एवं बचाव के तरीकों के बारे में बताना है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सकें। 

धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशेलिटी अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर गौरव जैन ने डेंगू के प्रकार और इसके कारणों के बारे में बताया।

डेंगू के प्रकार 

  • क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार होता है। 
  • हैमरेजिक बुखार (डीएचएफ)। 
  • शॉक सिंड्रोम (डीएसएस)।

शॉक सिंड्रोम, साधारण डेंगू बुखार की तुलना में ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि इसमें मरीज की प्लेटलेट्स तेजी से गिरती है। इसके साथ ही इसमें मरीज की जान को भी अधिक खतरा रहता है। जबकि साधारण डेंगू बुखार को उचित देखभाल और बचाव से ठीक किया जा सकता है। डेंगू से बचने के लिए सबसे पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आपको किस प्रकार का डेंगू है, उसके बाद ही इसका इलाज संभव है।

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डेंगू के कारण

डेंगू बुखार डेंगू वायरस के कारण होता है। डेंगू से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में डेंगू के वायरस बहुत अधिक मात्रा में होता है। ऐसे में जब एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह इस इंसान का ब्लड सोक करता है। जिसके बाद ब्लड के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है और जब वही मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति डेंगू बुखार की चपेट में आ जाता है। डेंगू के मच्छर बरसात के मौसम में ज्यादा फैलते है क्योंकि इस मौसम में मच्छर ज्यादा पनपते है। यदि उचित वक्त पर इसका इलाज न कराया जाएं तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

नोएडा स्थित जेपी अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ नियोनेटोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर आशु साव्हने का कहना है कि डेंगू से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है। उन्होंने कहा कि डेंगू होने का खतरा बड़ो की तुलना में बच्चों में ज्यादा होता है, क्योंकि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ो के मुकाबलें कमजोर होती है, जिसके कारण बच्चे डेंगू की चपेट में जल्दी आ जाते है। बहुत छोटे बच्चे बीमारी के बारे में नही बता पाते, इसलिए माता को शिशुओं का विशेष ध्यान देना चाहिए। बच्चे का लगातार सोते रहना, तेज बुखार, शरीर में रैशेज, बेचैनी, उल्टी जैसे लक्षण दिखाई देने पर बच्चे को तुरन्त डॉक्टर के पास लेकर जाएं। क्योंकि डेंगू होने पर प्लेटलेट्स जल्दी गिरते है और डिहाइड्रेशन भी हो जाता है।

डेंगू के लक्षण

  • ठंड के साथ बुखार लगना।
  • अधिक पसीना । 
  • जोड़ो में दर्द ।
  • सिर दर्द ।
  • उल्टी ।
  • भूख कम लगना। 
  • शरीर पर लाल चकते।  
  • मसल्स और हड्डियों में दर्द की शिकायत।  
  • बेवजह थकान और कमजोरी ।
  • नाक, मुंह और मसूढ़ो से खून आना।

डेंगू का इलाज

डेंगू के लक्षण समान्यतः 3 से 14 दिनों में दिखाई देते है, जिसके कारण व्यक्ति को डेंगू की पहचान मुश्किल हो जाती है। इसलिए डेंगू के लक्षण जैसे ही महसूस हो, तुरन्त ही डॉक्टर के दिखाएं और ब्लड टेस्ट कराएं। अगर लक्षण डेंगू के नहीं है इसके बाद भी आपको तेज बुखार रहता है, तब भी डॉक्टर की सलाह लें। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरूआत में ज्यादा पॉजिटिव आता है, इसके बाद धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है।

यदि आप डेंगू के लक्षण दिखने के तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते है, तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) किया जाता है। डेंगू की जांच कराते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए, इस दौरान वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट कराना चाहिए। इस टेस्ट के माध्यम से शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या का पता लगाया जाता है। डेंगू का पता चलने पर डॉक्टर की सलाह से इलाज कराना चाहिए। डेंगू के टेस्ट लगभग सभी अस्पतालों और लैब्स में उपलब्ध है।

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अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है। इसमें आप डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल, क्रोसिन आदि दवाएं ले सकते हैं। डेंगू के मरीजों को ज्यादा से ज्यादा ग्लुकोज, नारियल पानी, नींबू पानी और सूप जैसे तरल पदार्थो का इस्तेमाल करना चाहिए। अस्पताल में भी इन तरल पदार्थो के माध्यम से डेंगू का इलाज किया जाता है। अगर बुखार 102 डिग्री से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें। सामान्य और संतुलित आहार लें।

यदि व्यक्ति में हैमरेजिक बुखार (डीएचएफ) के लक्षण जैसे नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून, स्किन पर नीले-काले रंग के छोटे-बड़े निशान पड़ जाना और शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) डेंगू के लक्षण जैसे बेचैनी, तेज बुखार के बावजूद त्वचा का ठंडा होना, ब्लड प्रेशर एकदम कम होना जैसे लक्षण दिखाई दें तो उसे जल्दी-से-जल्दी डॉक्टर के पास ले जाएं। इस बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जो शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित करते है। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती,  लेकिन हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स या फिर रेड ब्लड सेल्स ट्रांसफ्यूज़न की जरूरत पड़ती है। उचित समय पर इलाज से डेंगू को मात दिया जा सकता है।

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के सीनियर कंसलटेंट इंटरनल मेडिसिन डॉक्टर अरविंद अग्रवाल ने कहा कि डेंगू बुखार का इलाज होने बाद भी व्यक्ति को देखभाल पर ध्यान देना चाहिए। कहा जाता है कि बचाव हमेशा इलाज से बेहतर होता है। इसके लिए आप ज्यादा से ज्यादा आराम करें। क्योंकि डेंगू के मामलें बारिश के मौसम में अधिक देखने को मिलते है तो हमें उस समय के समी फलों औऱ हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोकर  खाना चाहिए। बाहर का खाना बिल्कुल भी नही खाना चाहिए। बारिश के मौसम में बहुत सी बीमारियां लग जाती है, इसके साथ ही व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है ऐसे में में ऑयली एवं मसाले वाले खाने के सेवन से बचना चाहिए। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

डेंगू से रोकथाम

  • घर में एवं घर के आस-पास पानी जमा ना होने दें
  • ऐसे कपड़े पहने जो पूरे शरीर को ढ़के, बच्चों को विशेष रूप से फूल स्लीव के कपड़े पहनाने चाहिए।
  • दो दिन से अधिक बुखार होने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।
  • घर की दीवारों पर इनसेक्टीसाइड का प्रयोग करें।
  • कचरे के डिब्बें को हमेशा ढ़क कर रखें। 
  • रूम कूलर, फूलदान का पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें।
  • डेंगू के मच्छर हमोशा रूके हुए और साफ पानी में पनपते है इसलिए कूलर, पानी की टंकी, फ्रिज का ट्रे और खाली रखे किसी भी बर्तन में पानी जमा न होने दें और उनमें ब्लीचिंग पाउडर या बोरिक एसिड जरूर डालें। 
  • जिन जगहों पर पानी होने की उम्मीद हो वहां कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
  • खाने में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थो जैसे दही, छाछ, लस्सी, नींबू पानी आदि का सेवन करें।

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