न्यूट्रिशन से जुड़े इन मिथ पर भारतीय करते हैं भरोसा!

असल में तमाम न्यूट्रिशन गुरुओं ने अपने अनुभव से कुछ ऐसे मिथ फिटनेस इंडस्ट्री में फैलाए हैं, जो किसी के भी स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। इसलिए हम आपको कुछ ऐसे मिथ और उनसे जुड़े तथ्य के बारे में बता रहे हैं ताकि आप हमेशा फिट एंड फाइन रह सकें।
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न्यूट्रिशन से जुड़े इन मिथ पर भारतीय करते हैं भरोसा!


यह बात जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि फिटनेस इंडस्ट्री में एक्सरसाइज से जुड़ी सही जानकारी जितनी है, उससे कहीं ज्यादा स्वास्थ्य से संबंधित मिथ मौजूद हैं। खासकर बात न्यूट्रिशन से संबंधित हो, तो इसका कोई अंत ही नहीं है। असल में तमाम न्यूट्रिशन गुरुओं ने अपने अनुभव से कुछ ऐसे मिथ फिटनेस इंडस्ट्री में फैलाए हैं, जो किसी के भी स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। इसलिए हम आपको कुछ ऐसे मिथ और उनसे जुड़े तथ्य के बारे में बता रहे हैं ताकि आप हमेशा फिट एंड फाइन रह सकें।

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हाई प्रोटीन डायट

कुछ स्वास्थ्य गुरुओं का मानना है कि हाई प्रोटीन डायट हमारी हड्डियों और किडनी को नुकसान पहुंचाती है। इतना ही नहीं इससे हड्डियां काफी कमजोर भी हो जाती हैं। जबकि यह महज एक मिथ है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह जजमेंट उच्च प्रोटीन आहार के अल्पावधि प्रभाव पर आधारित है, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव वास्तव में इसके विपरीत होते हैं। यूनिवर्सिटी आफ कनेक्टिकट के डिपार्टमेंट आफ एलायड हेल्थ साइंसेस में छपे एक अध्ययन के मुताबिक कैल्शियम की अवधारण और हड्डियों के चयापचय में सुधार के लिए आहार प्रोटीन कैल्शियम के साथ सहक्रियात्मक तरीके से काम करता है। जहां तक बात हाई प्रोटीन डायट का किडनी को नुकसान पहुंचाने की बात है कि अध्ययन इस बात की भी पुष्टि करता है कि किडनी डैमेज और हाई प्रोटीन डायट का आपस में कोई संबंध नहीं है। बल्कि हकीकत यह है कि हाई प्रोटीन डायट किडनी फैल होने से रोकता है साथ ही डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह लाभदायक है।

स्वास्थ्य के लिए अच्छा है लो फैट फूड

हम अकसर अपने शरीर का मोटापा कम करने के सबसे पहले वसायुक्त आहार खाना कम करते हैं ताकि अपने स्वास्थ्य को बेहतर रख सकें। इसी क्रम में कुछ लोग लो फैट फूड खाते हैं, क्योंकि मान्यता यह है कि लो फैट फूड से मोटापा नहीं बढ़ता और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकर है। जबकि यह भी एक मिथ है। जैसा कि आजकल तमाम कंपनी इस बात का दावा करती है कि उनके खाद्य पदार्थ में लो फैट है या फिर जीरो फैट है। हकीकत यह है कि ऐसी कंपनियां प्राकृतिक फैट को हटा देती है, जिससे उक्त खाद्य पदार्थ स्वादहीन हो जाता है। अतः कंपनियां इसके बजाय कृत्रिम मीठे का इस्तेमाल करती है ताकि खाद्य पदार्थ में कुछ मीठापन मिले। लेकिन आपको बता दें कि कृत्रिम मीठा भी आपके स्वास्थ्य को न सिर्फ नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि यदि इसे लंबे समय तक अपनी जीवनशैली में अपनाया गया, तो इसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य संबंधी नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं।

लो फैट, लो कार्बोहाइड्रेट से बेहतर है

जैसा कि पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है कि ज्यादातर लोगों का माना है कि फैट खाने से मोटापा बढ़ता है। इसलिए वे अपने खानपन से फैट को कम करने लगते हैं। लेकिन साथ ही उनके खानपान से कैलोरी भी कम होने लगती हैं। यहां तक कि कार्बोहाइड्रेट से भी कैलोरी में कटौती करने लगते हैं। जबकि हमें अपने डायट में कार्बोहाइड्रेट की जरूरत होती है। इसके सेवन से हम स्वस्थ रहते हैं। अध्ययन इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि हाई फैट और लो कार्बोहाइड्रेट लेने से हम स्वस्थ रहते हैं साथ ही ऐसे हमारा वजन को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा हाई फैट डायट ब्लड प्रेशन कम होता है, कोलेस्ट्रोल का स्तर सही रहता है, ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहता है आदि। लेकिन हां, आपको इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि आप अच्छी यानी हेल्दी फैट को अपनी डायट में शामिल कर रहे हैं मसलन नट्स, फिश आॅयल आदि।

अंडे स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है

हालांकि ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि अंडा स्वास्थ्य के लिए लभकदायक है। लेकिन कुछ शाकाहारी स्वास्थ्य एक्सपर्ट ने इस बात को प्रचारित किया है कि अंडा स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। खासकर अंडे का पीला भाग यानी अंडे की जरदी। इसलिए कई लोग अंडे की जरदी खाने से बचते हैं। असल में अंडे से जुड़ा मिथ ये कहता है कि अंडे से कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ता है। जबकि तथ्य यह है कि इससे अच्छा कोलेस्ट्रोल बढ़ता है। इससे न ही किसी तरह के हृदय संबंधी बीमारी होने के खतरे होते हैं। अंडे न्यूट्रिशियस होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी है इसलिए इसे अपने रोजमर्रा के खानपान में आसानी से शामिल किया जा सकता है। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि रोजाना एक अंडा खाने से किसी में मोटापा भी नहीं बढ़ता।


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