क्या टीबी एक गंभीर या लाइलाज बीमारी है? टीबी दुनिया भर में होने वाली मौतों की सबसे बड़ी दस वजहों में से एक है। टीबी को सबसे घातक बीमारियों में से एक माना जाता है। इसे तपेदिक और ट्यूबरक्यूलोसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी एयरबोर्न बैक्टीरिया के कारण होती है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी यह बीमारी हो सकती है। टीबी के बारे में अभी भी लोग इतने जागरूक नहीं हुए हैं। कई लोगों को लगता है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों को ही संक्रमित करता है, तो कुछ लोगों का मानना है कि यह एक लाइलाज बीमारी है। भले ही टीबी के कारण कई लोग अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन अस्पतालों में इसका इलाज उपलब्ध है। कई लोग इलाज की पूरी प्रक्रिया को फॉलो करके इस समस्या को ठीक करने में सक्षम होते हैं।
क्षय रोग या टीबी से जुड़ी कई ऐसी अफवाहें या मिथ हैं, जो हमारे समाज में फैली हुई हैं। इन मिथ को लोग असल में सच मान लेते हैं। ऐसे में इन अफवाहों की सच्चाई जानने के लिए हमने संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हेमलता से बातचीत की-
मिथक 1 : टीबी एक जेनेटिक बीमारी है।
टीबी एक जेनेटिक या अनुवांशिक बीमारी है, यह पूरी तरह से एक गलत धारणा है। क्योंकि यह एक जेनेटिक बीमारी नहीं है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जेनेटिक के साथ इसका कोई संबंध नहीं है। टीबी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने से हो सकता है। इसके अलावा टीबी का बैक्टीरिया व्यक्ति को तब संक्रमित करता है, जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में आपको पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लेना चाहिए। साथ ही अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए योगाभ्यास भी करना चाहिए।
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मिथक 2 : टीबी एक लाइलाज बीमारी है।
इस समय दुनियाभर में टीबी का इलाज किया जा सकता है। इसके उपचार की प्रक्रिया लंबी होती है। लेकिन दवाइयों के सेवन से टीबी की बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। इसके इलाज के दौरान डॉक्टर के द्वारा बताए गए सभी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। साथ ही समय से भोजन और दवाइयां लेना भी इसके इलाज में जरूरी होता है।
मिथक 3 : धूम्रपान से टीबी होता है।
धूम्रपान टीबी की समस्या को बढ़ा सकता है। लेकिन धूम्रपान करने से टीबी की बीमारी नहीं होती है। फिर भी आपको धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु के कारण होता है। यह बैक्टीरिया कमजोर इम्यूनिटी वालों को अपनी चपेट में जल्दी लेता है।
मिथक 4 : टीबी सिर्फ फेफड़ों को ही प्रभावित करता है।
टीबी आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन सिर्फ फेफड़ों का प्रभावित करता है यह एक मिथ है। टीबी शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। यह खून के माध्यम से शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है। टीबी हड्डियों में भी हो सकता है, इसे बोन टीबी या हड्डी क्षय रोग कहते हैं। यह दिमाग को भी प्रभावित करता है, जिसे ब्रेन टीवी (Brain TB) कहते हैं।
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मिथक 5 : टीबी की जांच के लिए ब्लड टेस्ट करवाया जाता है।
टीबी की जांच के लिए करने के लिए ब्लड टेस्ट करवाया जाता है, यह एक मिथ है। ब्लड टेस्ट से टीबी का पता नहीं लगाया जा सकता है। इसके जांच करने के लिए लंग टीबी टेस्ट, बायोस्पी, सीटी स्कैन और एमआरआई करवाया जाता है। व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर लंग टीबी टेस्ट, बायोस्पी करवाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा सीने का एक्सरे और बलगम की जांच भी करवाई जाती है।
मिथक 6 : टीबी सिर्फ कमजोर आर्थिक वर्ग के लोगों को ही होती है।
कई लोगों का मानना है कि टीबी की बीमारी ज्यादातर गरीब या आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के लोगों को ही होती है, लेकिन यह धारणा बिल्कुल गलत है। टीबी अमीर या गरीब किसी को भी हो सकती है। टीबी की बीमारी ज्यादातर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अपना शिकार बनाती है। ऐसे में इससे बचने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेना बहुत जरूरी होता है। अच्छी डाइट और एक्सरसाइज से इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है।
मिथक 7 : टीबी एक जानलेवा बीमारी है।
एक समय ऐसा था, जब टीबी की बीमारी के कारण लोगों की मौत होती थी। लेकिन आज टीबी का इलाज मौजूद है। ऐसे में यह जानलेवा बीमारी नहीं रह गई है। अब इसके मौतों के आंकड़ों में काफी कमी देखने को मिलती है। अगर मरीज इसके उपचार की प्रक्रिया को सही तरीके से फॉलो करता है, तो यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है।
मिथक 8 : टीबी के शुरुआती लक्षणों सिर्फ खांसी होती है।
यह सच की टीबी के शुरुआती लक्षणों में खांसी होती है। अकसर दो हफ्ते से अधिक खांसी होने पर टीबी की जांच करवाई जाती है। लेकिन सिर्फ खांसी ही इसका एकमात्र लक्षण नहीं है। कई बार संक्रमित व्यक्ति को सीने में दर्द, बुखार, बलगम में खून निकलना जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
अगर आप भी टीबी से जुड़े इस मिथकों को सच मानते हैं, तो आज से ही अपनी धारणा बदल लें।
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