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क्या सिर्फ महिलाओं की फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है IVF? जानें एक्सपर्ट से

डॉ. मनन गुप्ता के अनुसार, आईवीएफ का मतलब है "इन विट्रो फर्टिलाइजेशन" यानी "शरीर के बाहर गर्भाधान"। लेकिन क्या ये सिर्फ महिलाओं के बांझपन का इलाज करता है? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब
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क्या सिर्फ महिलाओं की फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है IVF? जानें एक्सपर्ट से


मां बनना हर स्त्री के जीवन का एक अनमोल सपना होता है। लेकिन जब यह सपना बार-बार टूटता है, तो जीवन निराशा और मानसिक तनाव से भर जाता है। भारत में लाखों महिलाएं आज भी बांझपन जैसी स्थिति से गुजर रही हैं, जहां उन्हें प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में कठिनाई होती है। हालांकि चिकित्सा विज्ञान की प्रगति ने इस अंधकार में एक नई रोशनी की किरण जगाई है – आईवीएफ (In Vitro Fertilization)।

यह तकनीक उन महिलाओं के लिए वरदान बनकर सामने आई है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ होती हैं। लेकिन क्या वाकई में आईवीएफ महिलाओं के बांझपन का इलाज करता है? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब दिल्ली के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता से।

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आईवीएफ क्या है?

डॉ. मनन गुप्ता के अनुसार, आईवीएफ का मतलब है "इन विट्रो फर्टिलाइजेशन" यानी "शरीर के बाहर गर्भाधान"। इस प्रक्रिया में महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर, एक विशेष लैब में मिलाया जाता है ताकि भ्रूण (Embryo) बन सके। फिर उस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि वह गर्भधारण कर सके।

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आईवीएफ की जरूरत कब पड़ती है?

आईवीएफ तकनीक उन मामलों में अपनाई जाती है जब महिला या पुरुष में निम्न समस्याएं पाई जाती हैं:

1. महिलाओं में

  • फैलोपियन ट्यूब में रुकावट या क्षति – जिससे अंडाणु और शुक्राणु का मिलन नहीं हो पाता।
  • एंडोमेट्रियोसिस- गर्भाशय की परत की वृद्धि असामान्य हो जाती है।
  • पीसीओएस (PCOS)- अंडाणुओं के परिपक्व न होने की स्थिति।
  • उम्र अधिक होना - 35-40 वर्ष की उम्र के बाद प्रजनन क्षमता घटती है।
  • हार्मोनल असंतुलन - जिससे ओवुलेशन नहीं हो पाता।
  • अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी- जब कोई स्पष्ट कारण नहीं मिल पाता।

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2. पुरुषों में

  • शुक्राणु की संख्या कम होना
  • शुक्राणु की गति या गुणवत्ता कम होना
  • शुक्राणुओं का संरचना दोष

आईवीएफ प्रक्रिया कैसे होती है? (IVF Step by Step Process)

1. ओवरी स्टिमुलेशन (Ovarian Stimulation)- महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि अंडाशय अधिक अंडाणु तैयार करे। यह प्रक्रिया 8-14 दिन चलती है।

2. एग रिट्रीवल (Egg Retrieval)- जब अंडाणु परिपक्व हो जाते हैं, तो उन्हें सुई की मदद से अंडाशय से निकाला जाता है। यह प्रक्रिया अल्प बेहोशी में होती है और दर्दरहित होती है।

3. स्पर्म कलेक्शन (Sperm Collection)- पुरुष के शुक्राणु को इकट्ठा किया जाता है। अगर जरूरत हो तो डोनर स्पर्म भी उपयोग में लाया जा सकता है।

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4. फर्टिलाइजेशन (Fertilization)- अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाया जाता है। कुछ मामलों में ICSI (Intra Cytoplasmic Sperm Injection) का उपयोग किया जाता है जहां एक ही शुक्राणु को अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है।

5. भ्रूण ट्रांसफर (Embryo Transfer)- 3-5 दिन बाद, स्वस्थ भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।

6. प्रेग्नेंसी टेस्ट- लगभग 14 दिन बाद, बीटा-HCG टेस्ट किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि गर्भधारण हुआ या नहीं।

आईवीएफ के फायदे

अगर पहली बार सफलता नहीं मिलती, तो प्रक्रिया दोहराई जा सकती है।

भ्रूण में किसी अनुवांशिक बीमारी की जांच पहले ही की जा सकती है।

जरूरत पड़ने पर आईवीएफ में डोनर अंडाणु या सरोगेट मदर की मदद ली जा सकती है।

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आईवीएफ की लागत क्या है- Cost of IVF in India

डॉक्टर बताते हैं कि आईवीएफ के हर सर्कल में 1.5 लाख से 3.5 लाख रुपये तक का खर्च आता है। इसमें दवाइयों, टेस्ट और एक्स्ट्रा प्रोसीजर के साथ खर्च बढ़ सकता है। हालांकि कुछ सरकारी योजनाएं (जैसे जननी सुरक्षा योजना) इसमें आंशिक मदद प्रदान करती हैं। अगर आप आईवीएफ सस्ती दर पर करवाना चाहते हैं, तो इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी अस्पताल में पता करें।

निष्कर्ष

हां, बिल्कुल! IVF आज की चिकित्सा का वह वरदान है जिसने लाखों दंपतियों को माता-पिता बनने का सुख दिया है। यह सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है – एक उम्मीद, एक विश्वास, और एक नए जीवन की शुरुआत। हर महिला के लिए मातृत्व का अनुभव खास होता है, और यदि प्रकृति के रास्ते में कोई रुकावट हो तो IVF जैसे उपाय उसे पूरा करने का अवसर देते हैं।

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