हर अभिभावक को अपने शिशु के जन्म से लेकर 6 माह तक अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि यही वह समय होता है जब थोड़ी सी सावधानी बरत कर या देखरेख कर शिशु के अंगों केा सही आकार दिया जा सकता है। जब शिशु पैदा होता है तो उसके अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं। इसलिए आपने भी देखा होगा कि आपके घर के बड़े-बुजुर्ग मालिश के दौरान शिशु की नाक में उठाव, माथे में दबाव और सिर को गोलकर करने की कोशिश करते हैं। आज हम आपको शिशु के सिर को सही आकार देने के लिए राई के तकिये के लाभ और सावधानियां बता रहे हैं।
राई का तकिया ही क्यों?
जब बच्चे पैदा होते हैं तो उनका सिर बहुत नाजुक होता है। इसलिए उस दौरान शिशुओं के सिर के नीचे ऐसा तकिया रखने की जरूरत होती है जो उनके सिर को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाए और उनके सिर को सही आकार दे सके। एक्सपर्ट भी कहते हैं कि शिशुओं के लिए राई का तकिया एकदम बेस्ट होता है। अन्य तकिये की तुलना में यह तकिये इसलिए भी इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह बहुत मुलायम होता है और सिर के पीछे के हिस्से को एकसमान रखता है। इस तकिये से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है और सिर का आकार बिगड़ने की संभावना भी कम होती है।
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कितना फायदेमंद है राई का तकिया
1. क्योंकि बच्चे बहुत सॉफ्ट होते हैं इसलिए राई का तकिया उनके लिए बिल्कुल परफेक्ट होता है। शिशु के सिर के नीचे इसे रखने से वह बहुत ही कम्फर्टेबल फील करते हैं।
2. बच्चे थोड़ी थोड़ी देर में करवट बदलते रहते हैं। यह तकिया इस स्थिति में भी फायदेमंद साबित होता है। क्योंकि जब आपका बच्चा करवट लेता है तब यह अपने आप उसके सिर के हिसाब से एडजस्ट हो जाता है।
3. यदि पैदाइश के समय में बच्चों के सिर के आकार में कोई गड़बड़ी होती है तो इस पर सिर रखकर सोने से वह आसानी से ठीक हो जाते है।
4. आपके बच्चे के 8 से 9 महीने की उम्र के होने तक आप इस तकिये को इस्तेमाल कर सकते है।
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ये सावधानी जरूर बरतें
यह सच है कि बच्चें के लिए राई या सरसों का तकिया बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन जब आप शिशुओं के लिए इसे इस्तेमाल करें तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। राई का तकिया बच्चों के लिए बहुत कम्फरटेबल होता है लेकिन इस बात का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती है कि वह बच्चों के सिर के नीचे सही तरह से है या नहीं। क्योंकि अगर बच्चे का सिर एक ही अवस्था में रहेगा तो बच्चे का सिर चपटा हो सकता है। ऐसे में यह देखना जरूरी होता है कि तकिए में सरसों की मात्रा ज्यादा तो नहीं है। ज्यादा सरसों भरने से तकिया कठोर और कड़ा हो सकता है। इसके साथ यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि अगर गलती से यह तकिया फट जाए तो सरसों बच्चों के कान, आंख या मुंह में भी जा सकती है। जिससे बच्चे की श्वसन नली में रुकावट पैदा हो सकती है।
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