दिल और कैंसर की बीमारी से बचाता है सरसों का तेल

सरसों का तेल खाना पकाने का सेहतमंद माध्यम है क्योंकि इसमें सेचुरेटेड फैटी एसिड (एसएफए) की मात्रा केवल आठ प्रतिशत होती है। सरसों तेल के उपयोग से कई प्रकार के रोगों, जैसे हृदय संबंधी रोग व कैंसर आदि का जोखिम लगभग 70 प्रतिशत तक कम होता है।
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दिल और कैंसर की बीमारी से बचाता है सरसों का तेल

क्या आप जानते हैं कि क्रासर -बायो डीजल का एक स्त्रोत होता है! साथ ही सरसों तेल के उपयोग से कई प्रकार के रोगों, जैसे हृदय संबंधी रोग व कैंसर आदि का जोखिम लगभग 70 प्रतिशत तक कम होता है।  चलिये विस्तार से जानें सरसों के तेल के इन फायदों के बारे में -


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घरेलू तेल समझा जाने वाला सरसों न केवल बायो डीजल का एक स्रोत है बल्कि इसका उपयोग दिल के रोग के खतरे को भी 70 फीसदी तक कम करता है और यह आंत तथा पेट के कैंसर से भी बचाव कर सकता है। सरसों के गुणकारी असर के प्रचार और इसके बारे में फैली तमाम भ्रांतियों को दूर करने के मकसद से शनिवार को यहां आयोजित एक सम्मेलन में विज्ञान और स्वास्थ्य क्षेत्र के विद्वानों ने यह विचार व्यक्त किए। सम्मेलन का आयोजन सरसों अनुसंधान एवं संवर्धन संगठन (एमआरपीसी) ने किया था।

 

 

विशेषज्ञों का राय 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व प्रोफेसर एससी मनचंदा ने कहा कि हृदय तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में पैदा होने वाले अवरोध के कारण दुनिया भर में हरेक साल लाखों लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। इस रोग के खतरे को सरसों के तेल के उपयोग से 70 फीसदी तक कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरसों का तेल खाना पकाने का सेहतमंद माध्यम है क्योंकि इसमें सेचुरेटेड फैटी एसिड़ (एसएफए) की मात्रा केवल आठ प्रतिशत होती है। प्रोफेसर मनचंदा ने कहा हृदय रोग विशेषज्ञों ने अब सरसों के तेल के पोषण संबंधी फायदों की तुलना जैतून के तेल के साथ करना शुरू कर दिया है।

 

दरअसल सरसों तेल कई मायनों में जैतून के तेल से भी बेहतर है। राजधानी के वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ एमएस गणेश ने सरसों के तेल को कैंसरनाशक बताते हुए कहा किखानपान में इसका उपयोग करने वाले लोग यदि नियमित कसरत करें तो कैंसर का खतरा 20 फीसदी तक कम हो सकता है। डा. गणेश ने कहा सरसों में पाया जाने वाला लिनोलिनिक अम्ल शरीर में पहुंचने के बाद ओमेगा-3 वसा में बदल जाता है जो बड़ी आंत और पेट के कैंसर से बचाव करने में मददगार साबित होता है। उन्होंने लोगों को आरंभ से ही सरसों के तेल के उपयोग की सलाह भी दी।

 

 

एक अन्य वक्ता राजीव चूरी ने सरसों को बायो डीजल का एक प्रमुख स्रोत बताते हुए कहा कि रतनजोत,जटरोफा और अन्य तिलहनों से जैव ईंधन तैयार करने पर काफी जोर दिया जा रहा है लेकिन सरसों की तरफ लोगों का ध्यान नहीं जा सका है। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरसों से बायो डीजल तैयार करने के बारे में गंभीरतापूर्वक प्रयास शुरू किए जाएं। 'एमआरपीसी' के कार्यकारी सचिव एच बी सिंह ने कहा कि सरसों तेल के लाभों के बारे में जनता तक जानकारी पहुंचाने में मीडिया भी प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

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