ओवेरियन कैंसर से हो रही मौत के मामलों में आ रही है कमी

ओवेरियन कैंसर से होने वाली मौतों के मामलों में कमी देखी जा रही है, ऐसा क्यों है और कहां कितनी कमी दर्ज की गई है, इसके बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
  • SHARE
  • FOLLOW
ओवेरियन कैंसर से हो रही मौत के मामलों में आ रही है कमी


ओवेरियन कैंसर यानी अंडाशय कैंसर, कैंसर का वह प्रकार है जिसकी गिरफ्त में केवल महिलायें आती हैं। और इसके कारण पूरी दुनिया में लाखों महिलाओं की मौत भी हो जाती है। लेकिन यह खबर शायद आपके लिए फायदेमंद है, क्योंकि हाल ही में हए एक शोध की मानें तो दुनियाभर में ओवेरियन कैंसर के कारण हो रही मौतों में कमी आयी है। इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि आखिर किन कारणों से ऐसा संभव हो सका।

ओवेरियन कैंसर

 

शोध के अनुसार

इटली स्थित मिलान यूनिवर्सिटी में हुए शोध में इस बात का दावा किया गया पूरी दुनिया में ओवेरियन कैंसर से हो रही मौतों में कमी आयी है। और ऐसा गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन के अधिक प्रयोग के कारण हुआ है। शोधकर्ताओं की मानें तो वर्ष 2002 से 2012 के दौरान दुनिया भर में अंडाशय के कैंसर से मौत के मामलों में कमी आई है। शोधार्थियों ने यह अनुमान जताया है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ में ओवेरियन कैंसर से मौत के मामलों में कमी का सिलसिला जारी रहेगा और जापान में वर्ष 2020 तक मामूली ही सही लेकिन कमी जरूर आयेगी।

 

साल 1970 से लेकर हाल फिलहाल तक डब्लयूएचओ के पास उपलब्ध ओवेरियन कैंसर से हुई मौत के आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि यूरोपीय संघ में साइप्रस को छोड़ कर शेष 28 देशों में ओवेरियन कैंसर से मौत के मामलों में वर्ष 2002 से 2012 के बीच दस फीसदी की कमी आई है। अमेरिका में ऐसी मौत में कमी की दर 16 फीसदी रही। वहां 2002 में ओवेरियन कैंसर से महिलाओं की मौत के मामले 2002 में प्रति 100,000 महिलाओं में 5.72 फीसदी थे जो 2012 में घट कर 4.85 फीसदी रह गए।

 

कनाडा में इसी अवधि में मृत्यु दर 5.42 फीसदी से 8 फीसदी घट कर 4.95 फीसदी रही। अन्य देशों की तुलना में जापान में प्रति 100,000 महिलाओं की मौत की दर 3.3 फीसदी से दो फीसदी घट कर 3.28 फीसदी दर्ज की गई है। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी मौत के मामलों में कमी दर्ज की गई है।


क्या है ओवेरियन कैंसर

गर्भाशय के आसपास मौजूद दो छोटे अंगों को अंडाशय कहते हैं। महिलाओं में अंडाशय कैंसर एक गंभीर समस्या है। अगर इस बीमारी को गंभीरता से न लिया जाए तो इससे जान भी जा सकती है। शुरुआती अवस्था में अंडाशय कैंसर का पता चलने पर इसका इलाज संभव है। हालांकि इसके लक्षण कम दिखते हैं इसलिए इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है। अंडाशय महिलाओं के प्रजनन अंग का एक हिस्सा है। इसी से महिलाओं के शरीर में अंडों व हार्मोन का निर्माण होता है।

ओवेरियन कैंसर कई तरह के होते हैं। अंडाशय या ओवरी के कैंसर को बनने से रोकना संभव नहीं है। महिलाओं में ओवरी कैंसर होने की आशंका ज्यादा प्रबल होती है। चिकित्सकों की मानें तो अंडाशय के ऊपरी परत से होने वाले कैंसर की आशंका को कुछ हद तक तो कम किया जा सकता है लेकिन उसके अंदर के टिश्यू से होने वाले जर्म सेल ट्यूमर और स्ट्रोमल ट्यूमर को कम करने का कोई तरीका नहीं है। इसका इलाज ऑपरेशन से अंडाशय निकाल कर ही किया जाता है।

ऐसे में यह खबर महिलाओं के लिए एक सकारात्मक पहल की तरह है और इससे बचाव का यह एक बेहतर तरीका है। लेकिन अगर आप कांट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन कर रही हैं तो एक बार चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

Image Source : Getty

Read More Article on Cancer


Read Next

प्रोस्‍टेट कैंसर से बचाव में वेजीटेबल फैट की भूमिका के बारे में जानें

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version