टेस्टीकुलर कैंसर जानलेवा बीमारी कैंसर का ही एक प्रकार है। यह सिर्फ पुरुषों में होने वाला कैंसर है। इस कैंसर में टेस्टीकल्स में बदलाव होता है। टेस्टीकल्स के आकार में बदलाव टेस्टीकुलर कैंसर का लक्षण हो सकता है। यह कैंसर ज्यादातर 20 से 39 साल की उम्र के पुरुषों में होता है। टेस्टिकल्स अण्डकोश (लिंग के नीचे बना स्किन का लूज बैग) में होते हैं।टेस्टीकल्स का काम सेक्स हार्मोन और स्पर्म को तैयार करना होता है। हालांकि टेस्टीकुलर कैंसर के मामले दूसरे कैंसर की तुलना में बहुत कम पाये जाते हैं। अमेरिका में यह पुरुषों में सबसे ज्यादा होने वाला रोग है। टेस्टीकुलर कैंसर का असर यदि जब दोनों टेस्टीकल्स पर हो जाता है तो यह बहुत पीड़ादायक होता है। यह कितना दर्दभरा होगा यह कैंसर के प्रकार और चरण पर निर्भर करता है।
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आजकल टेस्टीकुलर कैंसर का उपचार सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी के द्वारा किया जा रहा है। इस कैंसर के रोगी से बात करने और यह देखने के बाद कि कैंसर किस चरण पर पहुंच चुका है, डॉक्टर यह निर्णय लेता है कि उपचार सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी किसके जरिये किया जाये। आगे हम इस लेख के जरिये बात करते हैं कि किन लोगों को टेस्टीकुलर कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।
फैमिली हिस्ट्री : टेस्टीकुलर कैंसर किसे हो सकता है और किस नहीं, यह आपके परिवार पर भी डिपेंड करता है। यदि किसी आदमी को यह रोग है तो उसके भाईयों और लड़कों को भी इस प्रकार का कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। हालांकि टेस्टीकुलर कैंसर के 3 फीसदी मामलों में ही यह देखा गया है कि यह परिवार से जुड़े हो।
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एचआइवी इनफेक्शन : टेस्टीकुलर कैंसर के कुछ मामलों में यह भी सामने आया है कि एचआइवी पॉजिटव पुरुषों में इस रोग के होने का ज्यादा खतरा होता है। एचआइवी इनफेक्शन इसे प्रभावित करता है।
एक टेस्टीकल में कैंसर होने पर : ऐसा भी देखा गया है कि यदि किसी व्यक्ति का एक टेस्टीकल कैंसर से ग्रसित है तो उसके दूसरे टेस्टीकल के कैंसर ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। अभी तक 3 से 4 फीसदी मामलों में ऐसा देखा जा चुका है कि एक टेस्टीकल में कैंसर होने पर दूसरे टेस्टीकल में भी कैंसर हो जाता है।
उम्र : वैसे तो यह कैंसर किसी भी उम्र के आदमी को हो सकता है, लेकिन आधे से ज्यादा मामलों में यह देखा गया है कि 20 से 34 साल की उम्र के लोग इस कैंसर से ग्रसित थे।
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जातीयता : भारतीय पुरुषों के मुकाबले सफेद नस्ल के लोगों में टेस्टीकुलर कैंसर होने का खतरा पांच गुना ज्यादा होता है। वहीं एशियन-अमेरिकन पुरुषों में इस कैंसर का खतरा तीन गुना तक ज्यादा होता है।
बॉडी साइज : टेस्टीकुलर कैंसर होने का खतरा किसी पुरुष के बॉडी साइज पर भी डिपेंड करता है। कुछ अध्ययनों में यह पाया गया है कि लंबे पुरुषों को टेस्टीकुलर कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।
यदि आपको अपने टेस्टीकल के आकार में बदलाव लगता है तो आपको टेस्टीकुलर कैंसर हो सकता है। इसके उपचार के लिए चिकित्सक से संपर्क करें।