प्रेग्नेंसी में मेलास्मो की समस्या से बचाएंगी ये 5 टिप्स, आएगा ग्लो

प्रेग्नेंसी में एक महिला के शरीर में ना सिर्फ बाहरी बल्कि आंतरिक तौर पर भी कई परिवर्तन होते हैं। 
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प्रेग्नेंसी में मेलास्मो की समस्या से बचाएंगी ये 5 टिप्स, आएगा ग्लो


प्रेग्नेंसी में एक महिला के शरीर में ना सिर्फ बाहरी बल्कि आंतरिक तौर पर भी कई परिवर्तन होते हैं। जिस तरह एक गर्भवती महिला का पेट निकलता है उसी तरह उसमें कई हॉर्मोनल बदलाव भी होते हैं। इन बदलाव के चलते महिला को खुजली, मंहासे, मोटापा और स्ट्रेच माक्र्स का होना आम बात हो जाती है। जिसके चलते ये चीजें अपने निशान छोड़ देती हैं। जबकि हर महिला चाहती है कि वह इस दौरान भी खूबसूरत और प्यारी दिखें। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रेग्नेंसी के वक्त अमूमन स्त्रियों की त्वचा अत्यधिक संवेदनशील हो जाती है, जिसके कारण उन्हें त्वचा संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्ट्रेच माक्र्स, खुजली, मुंहासे, पिग्मेंटेशन और प्रसव के बाद त्वचा का ढीला पड़ जाना जैसी कई समस्याएं हो जाती हैं। आज हम आपको ऐसी ही समस्याओं का निदान बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं-

प्रेग्नेंसी और मेलास्मो

मेलास्मो प्रेग्नेंसी में होने वाला एक स्किन रोग है। डॉक्टर्स का कहना है कि महिलाओं को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार ये गंभीर रूप भी धारण कर लेता है। जिसे 'प्रेग्नेंसी मॉस्क' कहा जाता है। इसमें चेहरे पर जगह-जगह पिग्मेंटेशन हो जाती है और चकत्ते पड़ जाते हैं। सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से संपर्क, अनुवांशिक कारण, एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन का बढ़ा हुआ स्तर इसके प्रमुख कारण हैं। कुछ स्त्रियों में छाती और जांघों पर भी पिग्मेंटेशन हो जाते हैं। प्रसव के बाद पिग्मेंटेशन कम हो जाता है, लेकिन यह पूरी तरह कभी समाप्त नहीं होता। बेहतर होगा कि जितना हो सके तेज़ धूप से बचें। जब भी घर से बाहर निकलें एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन क्रीम चेहरे पर जरूर लगाएं।

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त्वचा में खिचांव

जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो भ्रूण के विकास के साथ पेट की त्वचा में खिंचाव होता है, जिससे त्वचा की सतह के नीचे पाए जाने वाले इलास्टिक फाइबर टूट जाते हैं। इस कारण स्ट्रेच माक्र्स आ जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था में जिन स्त्रियों का भार अत्यधिक बढ़ जाता है, उन्हें यह समस्या अधिक होती है। गर्भावस्था के दौरान 11 से 12 किलो वजन बढऩा सामान्य है, लेकिन कुछ स्त्रियों का वजन बीस किलो तक बढ़ जाता है। इससे त्वचा में तेजी से खिंचाव होता है, जिससे स्ट्रेच माक्र्स होने का चांस बढ़ जाता है।

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रोमछिद्रों का बंद होना

इस दौरान मुंहासों की समस्या सबसे अधिक परेशान करती है। कई स्त्रियों को रैशेज भी पड़ जाते हैं। प्रोजेस्ट्रॉन और एस्ट्रोजन के अत्यधिक स्राव के कारण सीबम का उत्पादन बढ़ जाता है, जिससे त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं। इस दौरान मुंहासे अधिकतर मुंह के आसपास और ठोड़ी पर पड़ते हैं। कई स्त्रयों के पूरे चेहरे पर फैल जाते हैं। अगर इनका ठीक से उपचार न कराया जाए तो यह प्रसव के बाद भी रहते हैं। कई बार ये निशान छोड़ जाते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह लिए घर पर ही कोई उपचार न करें। इनके उपचार के लिए एंटीबॉयोटिक दवाइयों का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

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