दूसरी बार गर्भधारण करने में इन 3 कारणों से आती है दिक्कत

पहली बार माता-पिता बनने का सुख अनमोल होता है, लेकिन दूसरे बच्चे को जन्म देने का निर्णय करना भी अत्यंत रोमांचक होता है।
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दूसरी बार गर्भधारण करने में इन 3 कारणों से आती है दिक्कत


पहली बार माता-पिता बनने का सुख अनमोल होता है, लेकिन दूसरे बच्चे को जन्म देने का निर्णय करना भी अत्यंत रोमांचक होता है। यदि आपके पहले बच्चे के गर्भधारण में कोई परेशानी नहीं आई हो और जब आप दूसरी बार गर्भधारण करना चाह रही हों और इसमें आपको दिक्कत आ रही हो, तो आपको सदमा लग सकता है।

समस्या का स्वरूप

सेकंडरी इनफर्टिलिटी को इस प्रकार परिभाषित किया जाता है कि दंपति में से एक या दोनों पार्टनर के पहले से बच्चे हों या फिर महिला को पूर्व में कभी गर्भ ठहरा हो और बाद में एक साल तक असुरक्षित और उचित समय पर शारीरिक संबंध बनाने के बाद भी महिला गर्भधारण करने में असमर्थ हो। पहले से एक बच्चा होने के बावजूद, सेकंडरी इनफर्टिलिटी प्राइमरी इनफर्टिलिटी की तरह ही तकलीफदेह हो सकती है।

कारणों को समझें

कोई भी लड़की एक सुनिश्चित मात्रा में अंडाणुओं(एग्स)के साथ जन्म लेती है। समय या उम्र बढ़ने के साथ इन एग्स की मात्रा घटती जाती है। 37 वर्ष की उम्र के बाद अंडाणुओं की संख्या तेजी से कम होती जाती है।

मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी

उम्र बढ़ने के साथ केवल महिला की फर्टिलिटी ही प्रभावित नहीं होती है बल्कि पुरुषों में भी उम्र बढ़ने के साथ शुक्राणुओं की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आती है। स्वास्थ्य के खराब रहने या दवा के इस्तेमाल के कारण भी मेल इनफर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है।

जीवनशैली से संबंधित कारक

वजन बढ़ने से पुरुष और महिला दोनों में इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। महिलाओं में वजन बढ़ने से हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। बहुत अधिक वजन बढ़ने पर महिलाओं में ऑवुलेटरी डिसफंक्शन हो सकता है और पुरुषों में शुक्राणु के उत्पादन में कमी और इरेक्टाइल डिसफंक्शन में वृद्धि हो सकती है।

इलाज के विकल्प

यह एक आम गलत धारणा है कि प्रजनन संबंधी उपचार का मतलब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) होता है। जबकि सच्चाई यह है कि सेकंडरी इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए कई उपचार विकल्प हैं। इनमें इनफर्टिलिटी की दवाओं से लेकर इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई या आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) और कई अन्य उपाय भी शामिल हैं।

इनफर्टिलिटी की दवाएं

अंडाणुओं के निर्माण के लिए दवाएं दी जाती हैं ताकि अधिक अंडाणु(एग) रिलीज हो सकें। एक प्रजनन चक्र में कई अंडे का उत्पादन करने के लिए इनजेक्टेबल दवाओं का भी सामान्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई) के साथ इन दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

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