अब तक अगर आप गांजे को नशीली चीज समझ कर दूर रहें हैं तो इस शोध को पढ़िये। हाल ही में हुए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि गांजे की उचित मात्रा अल्जाइमर रोग से निपटने में सहायक होती है। यह शोध कैलिफोर्निया की साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बॉयोलॉजिकल स्टडीज द्वारा की गई है और इसे ‘एजिंग एंड मेकानिज्म्स ऑफ डिजीज’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
गांजे में एक सक्रिय यौगिक पाया जाता है जो मस्तिष्क में जहरीले प्रोटीन को बाहर करने में मददगार होता है। इस नए शोध में देखा गया कि टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल (टीएचसी) और अन्य यौगिक तंत्रिका कोशिकाओं से हानिकारक एम्लाइड बीटा को बाहर करने में मदद करते हैं।
कैलिफोर्निया की साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बॉयोलॉजिकल स्टडीज से इस अध्ययन के मुख्य शोधार्थी डेविड स्कूबर्ट ने कहा कि हमारे अध्ययन से यह पहली बार सामने आया है कि कैनाबाइनॉइड्स तंत्रिका कोशिकाओं में सूजन और एम्लॉइड बीटा एक्यूमुलेशन दोनों में प्रभावकारी है।
अल्जाइमर रोग मस्तिष्क में एम्लाइड बीटा की उपस्थित होने का प्रमुख कारण माना जाता है। यह हानिकाक प्रोटीन लोगों के मस्तिष्क में जम जाता है, प्लेक का गठन करता है और तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार में बाधा उत्पन्न करता है।
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