Low Progesterone Symptoms After Hysterectomy: हिस्टेरेक्टॉमी एक तरह की सर्जरी है। यह सर्जरी महिलाओं में होती है। इस सर्जरी के जरिए महिला के गर्भाशय को रिमूव कर दिया जाता है। हालांकि, सर्जरी क्यों की जा रही है, यह बात ज्यादा मायने रखती है। क्लीवलैंड के अनुसार, हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी के जरिए फेलोपियन ट्यूब और यूट्रस को निकाल दिया जाता है। कंसीव करने के यूट्रस का होना बहुत जरूरी होता है। शरीर के इसी हिस्से में भ्रूण का विकास होता है। अगर हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी में यूट्रस निकलवा दिया जाए, तो महिला कंसीव नहीं कर सकती है। यही नहीं, इसकी वजह से मासिक धर्म होना भी बंद हो जाते हैं। इस तरह देखा जाए, तो हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिला के जीवन में कई बड़े बदलाव होते हैं। इसका असर उनके बॉडी के हार्मोन पर भी पड़ता है। हिस्टेरेक्टॉमी होने पर महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन की कमी होने लगती है। इस लेख में जानें हिस्टेरेक्टॉमी के बाद प्रोजेस्टेरोन की कमी किस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं।
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद प्रोजेस्टेरोन की कमी के लक्षण- Symptoms Of Low Progesterone After Hysterectomy In Hindi
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिला के पीरियड्स बंद हो जाते हैं। यह एक तरह का मेनोपॉज फेज होता है। इसलिए, इस दौरान महिला में मेनोपॉज के दौरान होने वाले लक्षण इसी समय नजर आने लगते हैं। वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता के अनुसार, मेनोपॉज के कारण प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी भी हो जाती है। इस लेख में जानें, प्रोजेस्टेरोन की कमी होने पर किस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं-
टॉप स्टोरीज़
योनि में सूखापन
हिस्टेरेक्टॉमी होने के बाद महिला को पीरियड्स नहीं होते हैं। ऐसे में उनके शरीर में हार्मोन का असंतुलन हो जाता है। नतीजतन, कई बार योनि में सूखापन होने लगता है। यह स्थिति महिला के लिए काफी असहजता पैदा करती है।
इसे भी पढ़ें: प्रोजेस्टेरोन की कमी पेरिमेनोपॉज के दौरान है खतरनाक, ये 5 लक्षण न करें नजरअंदाज
मूड स्विंग होना
वैसे तो हिस्टेरेक्टॉमी तभी की जाती है, जब महिला को यूट्रस या फैलोपियन ट्यूब से जुड़ी कोई गंभीर समस्या होती है। इससे छुटकारा पाने के लिए ही हिस्टेरेक्टॉमी किया जाता है। लेकिन, हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिला के शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर काफी गिर जाता है। ऐसे में महिला का बार-बार मूड स्विंग हो सकता है।
लिबिडो की कमी
हिस्टेरेक्टॉमी होने के बाद पीरियड्स नहीं होते हैं और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में कमी होने लगती है। ऐसे में योनि में ड्राईनेस हो जाती है। नतीजतन, लिबिडो की कमी भी नोटिस की जाती है। दअरसल, वजाइनल ड्राइनेस के कारण महिला के लिए सेक्स एक चैलेंजिंग टास्क बन जाता है। उन्हें इस दौरान सेक्स करने से तकलीफ होती है। ऐसे में सेक्स के प्रति उनका इंट्रेस्ट खत्म होने लगता है।
इसे भी पढ़ें: महिलाओं में प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन की कमी होने पर दिखते हैं ये 7 लक्षण, जानें इसे बढ़ाने के उपाय
नींद न आना
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद अक्सर महिलाओं को नींद न आने की समस्या हो जाती है। दरअसल, पीरियड्स नहीं होने पर हार्मोनल इंबैलेंस हो जाता है। प्रोजेस्टेरोन में भी कमी नोटिस की जाती है। अगर हार्मोनल असंतुलन होने के कारण अक्सर महिलाओं को रात को अच्छी नहीं आती है। कुछ गंभीर मामलो में महिलाओं में इंसोम्निया की शिकायत भी देखी जाती है।
Image Credit: Freepik