क्या आप निम्न रक्तचाप (Low blood pressure) से पीड़ित हैं? तो आप रोजाना एक घंटे एक्सरसाइज करें और स्थिति को सुधारने यानी बेहोशी या चक्कर आने को नियंत्रित करने के लिए खुद को हाइड्रेट रखें। अंतरिक्ष यात्रियों पर किए गए अध्ययन में ये बात सामने आई। इस रिसर्च के लिए नासा द्वारा फंडिंग की गई थी।
जब अंतरिक्ष यात्री घर लौटे तो उनकी रोजाना कि गतिविधियों पर नजर रखी गई, इसके बाद अध्ययन में जो बात सामने आई उसे "ऑर्थोस्टेटिक इनटॉलरेंस" कहा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि, स्पेस में लैंडिंग के बाद सलाइन इंजेक्शन (sodium chloride) देने, और वापस आने के दौरान एक्सरसाइज, इस स्थिति को रोकने के लिए पर्याप्त थे।
कार्डियोलाजिस्ट डॉक्टर बेंजामिन लेविन ने यूटी साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर से कहा, "हृदय की मांसपेशियों के नुकसान को रोकने के लिए रोजाना एक घंटे या उससे अधिक एक्सरसाइज करना हृदय की मांसपेशियों के नुकसान को रोकने के लिए पर्याप्त था, और जब अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी पर उन्होंने खुद को हाइड्रेट रखा, तो स्थिति पूरी तरह से कंट्रोल में थी।"
इसी तरह की स्थिति को रोगियों में पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) के रूप में भी जाना जाता है, जो मुख्य रूप से महिलाओं में पाया जाता है। चक्कर आना, लाइफस्टाइल में बदलाव और कमजोरी का कारण हो सकता है।
डॉक्टर लेविन ने डलास के एक मरीज को सामान्य जीवन में लौटने में मदद की है।
अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने रक्तचाप और दिल की धड़कन को मापने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की उंगली पर एक छोटे ब्लड प्रेशर कफ का इस्तेमाल किया। ये माप छह महीने के दौरान, और उसके बाद अंतरिक्षयान के 24 घंटों के दौरान कई बार लिए गए थे। इसमें बारह अंतरिक्ष यात्री शामिल थे- आठ पुरुष और चार महिलाएं।
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यह उपचार चिकित्सा, हृदय अनुसंधान और अंतरिक्ष यात्रा के तरीकों में से एक है, जो डॉक्टर लेवाइन के कामों से जुड़ा हुआ है। 1969 में सफल चंद्र लैंडिंग उनके करियर पर एक प्रारंभिक प्रभाव था। शुरूआती दौर में कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में डॉक्टर लेविन ने अंतरिक्ष अनुसंधान में नेतृत्व किया, और उन्होंने 1991 में अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम के साथ काम करना शुरू किया।
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डॉक्टर लेविस कहते हैं कि "हमने अंतरिक्ष यात्री के दिल में एक कैथेटर लगाया और उन्हें अंतरिक्ष में भेजा। यह अब तक का संभावित सबसे मंहगा ह्रदय कैथेटेराइजेशन था। और जिस अंतरिक्ष यात्री के दिल में इसे लगाया गया वह थे यूटी दक्षिणपश्चिमी फैकल्टी के सदस्य डॉ. ड्रूयू गेफ्नी"
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