हाल ही में फ्रांस की सरकार ने अपनी जनता की सेहत को मद्देनजर रखते हुए न्यूट्रीश्नल लोगो, फ्रेंच सुपर मार्केट में उतारा है। सामान्यतः किसी फूड प्रोडक्ट की पौष्टिकता को जांचना होता है तो उसमें लिखे छोटे-छोटे अक्षरों को पढ़ना पड़ता है। लेकिन फ्रांस ने इससे इतर जो तरीका निकाला है, उसके तहत उनकी जनता को छोटे-छोटे अक्षरों को पढ़ने की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। यह तरीका है, कलर कोडेड फूड लेबल्स। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पिछले साल मई में यह तरीका निकाला गया था जिसके अंतर्गत उसकी जनता कलर कोडेड लेबल से ही प्रोडक्ट विशेष की गुणवत्ता जान लेगी। फ्रांस की सरकार ने पिछले साल इसका परीक्षण 60 सुपर मार्केट्स में किया था।
पौष्टिक गुणों का बार कोड
कलर कोडेड सिस्टम को ‘न्यूट्री स्कोर’ भी कहा जाता है जिसे फ्रांस में इसी साल अप्रैल से लागू किया गया है। इसके तहत के सभी खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ को ए से ई की ग्रेडिंग में समेटा गया है। इसे रंगों द्वारा दर्शाया जाता है, इसमें हरे रंग से लेकर रंग की मौजूदगी है। मसलन यदि किसी खाद्य पदार्थ में हरा ए कोड किया है तो आप आश्वस्त हो सकते हैं कि यह हेल्दी है और इसे खाने से आपको स्वास्थ्य लाभ हासिल होगा।
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पौष्टिक तत्वों की पुष्टि
असल में इस आइडिया के पीछे मकसद यही है कि जनता को किसी खाद्य पदार्थ को चुनते हुए सहजता होगी कि वह जिसे उठा रहा है, वह हेल्दी है। यही नहीं उसमें आवश्यक पौष्टिक तत्व भी मौजूद है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि फ्रोजन पिज्जा जिसे सरकार ने ग्रीन ए के कोड में डाला है, जनता उसे लेकर अपने स्वास्थ्य के प्रति निश्चिंत हो जाएगी। इससे वह उस पिज्जा को लेने से बचेगी जिसे लाल ई कोड में डाला गया है। क्योंकि इससे यह पता चल जाएगा कि लाल ई कोड में आने वाला पिज्जा उनके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। फ्रांस की स्वास्थ्य मंत्री मेरिसोल टोरेन का कहना है कि वह उम्मीद करती हैं कि इस कलर कोडिंग सिस्टम से वह फ्रांस की जनता का लाभ पहुंचा रही है। कलर कोडिंग के जरिए उनके देश की जनता वसा, शुगर और नमक का सेवन कम से कम करेगी।
मोटापा घटाना मकसद
स्वास्थ्य मंत्री मेरिसोल टोरेन ने ‘ली पेरिसियन’ अखबार से कहा है, ‘स्वस्थवर्धक जीवन के लिए हेल्दी डायट होना जरूरी है।’ वह आगे कहती हैं, ‘फ्रांस में 30 फीसदी एडल्ट ओवरवेट यानी मोटापे से ग्रस्त है और 15 फीसदी अपने स्थूलकाय से परेशान है। अगर उन्होंने अपने खानपान को नियंत्रित नहीं किया तो इसका नकारात्मक असर उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर देर-सवेर जरूर पड़ेगा।’
स्वास्थ्य मंत्री मेरिसोल टोरेन आगे कहती हैं, ‘बेशक मौजूदा समय में जनता को यह जानने और समझने में समय लगेगा कि वह जो उठा रही हैं, वह सही है या नहीं। लेकिन जब वे इस कलर कोडिंग सिस्टम को समझने लायक हो जाएग, वह समझ जाएगी कि उनके लिए लिया गया यह कदम कारगर है। उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए यह बेहद जरूरी है।’ वह आगे जोड़ती हैं, ‘हालांकि अभी तमाम फूड ब्रांड्स इस नए सिस्टम को लागू करने के पक्ष में नहीं है क्योंकि यह ईयू के कानून के खिलाफ है। लेकिन वह उम्मीद करती हैं कि सब इसके बेहतर उपयोग को जल्द से जल्द समझ जाएंगे।’
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पहले भी बनी योजनाएं
यह कोई पहली बार नहीं है जब फ्रांस में अपने देश की जनता के स्वास्थ्य के लिए कोई उपयोगी कदम उठाया जा रहा है। इससे पहले 2014 में भी वह ऐसा ही कारगर उपाय के साथ आई थी ताकि फ्रांस के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो सके। वे मोटापे और मोटापे से जुड़ी समस्या को मात दे सके। सन 2014 में ‘फेट मेशन’ नामक लोगो लेकर आई थी। इसके तहत फ्रांस के देशवासियों को घर के बने खने की ओर आकर्षित करना था। घर के बना खाना उपलब्ध होने से वे रेडी मील्स खाने से बचते।
फ्रांस में समय समय पर इस तरह के खाद्य पदार्थों पर बैन, कोल्ड ड्रिंक्स पर बैन होता रहता था ताकि उनके देश की जनता किसी न किसी तहर बेहतर स्वास्थ्य की ओर रुख कर सके। अब देखना ये है कि मौजूदा कलर कोडिंग सिस्टम, उनके लोगों पर कितना सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
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