दुनियाभर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप मनाया जाता है। आज के समय में जब महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में बढ़कर आगे आ रही हैं, उनकी जिम्मेदारियां भी बढ़ रही हैं। Onlymyhealth महिला दिवस (International Women's Day) को लेकर महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए 'हेल्दी नारी, हैप्पी नारी' अभियान चला रहा है। इस अभियान में हम महिला स्वास्थ्य से जुड़े 8 प्रमुख विषयों पर 6 अलग-अलग एक्सपर्ट से बातचीत करेंगे। इसी अभियान के तहत आज हम महिलाओं में PCOS की समस्या और मोटापे को लेकर बातचीत कर रहे हैं। इस बातचीत में आज हमने बातचीत की मेंदंता हॉस्पिटल गुरुग्राम के ऑन्कोलॉजी और बैरियाट्रिक सर्जरी के डॉ विकास सिंघल से। आइये डॉ सिंघल से जानते हैं महिलाओं में PCOS की समस्या और मोटापे के बीच संबंध के बारे में।
PCOS और मोटापे के बीच संबंध (Link Between Obesity And PCOS In Women)
PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली एक कॉमन समस्या है। इस समस्या का शिकार महिलाओं में अक्सर कुछ हॉर्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन आदि का लेवल बढ़ जाता है। इसके बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाने से PCOS से जूझ रही महिलाओं को वजन बढ़ने, अनियमित पीरियडस्, चेहरे पर बाल उगने, सिर के बाल ज्यादा झड़ने और मुंहासों, डिप्रेशन, तनाव आदि समस्याएं होती हैं। महिलाओं के शरीर में फीमेल सेक्स हॉर्मोन और मेल सेक्स हॉर्मोन में असंतुलन हो जाने पर यह समस्या बढ़ती है। पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम में मेटाबॉलिक और हॉर्मोनल असंतुलन अधिक होता है। डॉ सिंघल के मुताबिक महिलाओं के शरीर में जब फैट बढ़ता है तो इसकी वजह से हॉर्मोन में असंतुलन देखने को मिलता है और इसके कारण मेल सेक्स हॉर्मोन बढ़ने लगते हैं। महिलाओं में PCOS की समस्या मोटापे से सीधे जुड़ी होती है। मोटापे की समस्या से ग्रसित महिलाओं में PCOS का खतरा बढ़ जाता है। जिन महिलाओं का बीएमआई 30 से अधिक होता है उनमें लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं में PCOS का खतरा रहता है।
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मोटापे की समस्या में PCOS के लक्षण (PCOS Symptoms in Obese Women)
जिन महिलाओं को मोटापे की समस्या होती है उनमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से महिलाओं में हॉर्मोन असंतुलन होता है और यही PCOS का कारण बनते हैं। इस समस्या की वजह से महिलाओं की ओवरी यानी गर्भाशय में छोटा सा सिल्ट बन जाता है जिसकी वजह से न सिर्फ प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि आगे चलकर कैंसर जैसी घातक समस्या का खतरा बना रहता है। मोटापे की समस्या के ग्रसित महिलाओं में PCOS के लक्षण इस प्रकार से देखने को मिलते हैं।
- अनियमित पीरियड्स।
- अनियमित ब्लीडिंग पैटर्न।
- एक्ने या मुहांसे की समस्या।
- बाल झड़ना।
- बीएमआई का असंतुलित होना।
- चेहरे पर बाल उगना।
- इनफर्टिलिटी की समस्या।
- मेटाबोलिक समस्याएं।
- डायबिटीज की समस्या।

PCOS से बचाव के टिप्स (PCOS Prevention Tips in Hindi)
पीसीओएस के कारण टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है। इसे जीवनशैली से जुड़ा रोग माना जाता है क्योंकि वजन बढ़ने के कारण, अनहेल्दी खाने के कारण आदि आदतों से ये बीमारी होती है। पीसीओएस का इलाज पूरी तरह संभव नहीं है पर खानपान और जीवनशैली में बदलाव करके आप इस बीमारी से काफी हद तक बच सकते हैं। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से कई महिलाएं गर्भावस्था के चरण तक नहीं पहुंच पाती इसलिए आपको इसका इलाज और डायगनोसिस जल्द से जल्द करवाना चाहिए। हार्मोनल टेस्ट, अल्ट्रासाउंड के जरिए पीसीओएस का पता लगाया जाता है। पीसीओएस का इलाज करने के लिए आपको कम कार्ब वाली चीजें खानी चाहिए और अपनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जिसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स हो। आपको डाइट में फल, हरी सब्जियां, होल ग्रेन वीट आदि को शामिल करना चाहिए। पीसीओएस को ठीक करने के लिए सिर्फ व्यायाम काफी नहीं है बल्कि आपको पौष्टिक आहार लेना भी जरूरी है।
मोटापे को दूर करने के लिए बैरियाट्रिक सर्जरी के फायदे और सावधानियां
मोटापे की स्थिति को अक्सर लोग सिर्फ वजन से जोड़कर देखते हैं। लेकिन मोटापा सिर्फ वजन का बढ़ने तक ही सीमित नहीं है इसकी वजह से शरीर के कई अंगों की सेहत पर असर पड़ता है। मोटापे की वजह से शरीर में होने वाली बीमारियां भी बहुत खतरनाक होती हैं। मोटापे की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोग वेट लॉस सर्जरी का सहारा लेते हैं। मोटापे की समस्या से ग्रसित महिलाओं को PCOS के अलावा इनफर्टिलिटी, डायबिटीज और कई अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए आप इस सर्जरी का सहारा ले सकती हैं। इसके अलावा बैरियाट्रिक सर्जरी (Bariatric Surgery) के बाद डाइट के लिए चिकित्सक द्वारा बताये गए नियमों का पालन करने से ही पूरा फायदा मिलता है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने और मांसपेशियों और ऊतकों को सुरक्षित रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार डाइट का पालन जरूर करना चाहिए।
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