
लकवा या स्ट्रोक या कहिए पक्षाघात मस्तिष्क की एक बीमारी है। यह दो प्रकार का हो सकता है। पहला, दिल से मस्तिष्क की ओर जाने वाली रक्तवाहिनियों के फटने और दूसरा उनके बंद होने के कारण। जब एक या अधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियां पूरी तरह से काम करने में असमर्थ हो जाती हैं तो इस स्थिति को पक्षाघात या लकवा मारना कहते हैं। पक्षाघात से प्रभावी क्षेत्र की संवेदन-शक्ति समाप्त हो सकती है या उस भाग को चलना-फिरना या घूमाना बंद हो जाता है। यदि यह विफलता आंशिक है तो इसे आंशिक पक्षाघात कहते हैं। पक्षाघात के कई ऐसे कारण भी होते हैं जिनके बारे में लोगों को पता ही नहीं होता, तो चलिये जानें क्या हैं क्या है पक्षाघात और इसके अनजाने कारण।
सामान्य कारण
ज्यादातर मरीजों को धमनी में खराबी की वजह से पक्षाघात का शिकार होना पड़ता है। पक्षाघात तब होता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है। इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं के आसपास खून भर जाता है। मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है। जिस कारण अचानक मरीज के हाथ-पांव चलने बंद हो जाते हैं, उनमें सूनापन आ जाता है। मरीज को देखने, बोलने, बात समझने या खाना निगलने में दिक्कत होने लगती है।
यदि दिमाग का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ हो तो सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है और बेहोशी छा सकती है। कई बार तो मरीज ठीक-ठाक सोने जाता है, लेकिन जब उठता है तो उसके एक हाथ या पांव रुक जाते हैं। महिलाओं में प्रसव के बाद होने वाला पक्षाघात अकसर शिरा में खराबी के कारण होता है।

कुछ अन्य कारण
सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral palsy)
यह बच्चों की समन्वय और मूवमेंट को प्रभावित करने वाली स्थिति होती है। स्पास्टिक क्वाड्रिप्लेगिआ मस्तिष्क पक्षाघात की एक गंभीर प्रकार है जो कि पक्षाघात से प्रभावित किसी व्यक्ति में मांसपेशियों की जकड़न के उच्च स्तर का कारण बनता है।
लाइम रोग
यह संक्रमित टिक्स के माध्यम से प्रेषित होने वाला एक जीवाणु संक्रमण होता है। यह जीवाणु स्तनधारियों पर छोटे कीड़े के माध्यम से खाते वक्त उसके खून में चला जाता है। यह परजीवी चेहरे के अस्थायी पक्षाघात के लिए अग्रणी तंत्रिका क्षति का कारण बनता है।

कैंसर
आमतौर पर कई मामलों में देखा गया है कि उच्च ग्रेड ब्रेन ट्यूमर (दिमाग के कैंसर) से पीड़ित किसी व्यक्ति को शरीर के एक भाग में पक्षाघात हो जाता है। इसके अलावा शरीर के किसी अन्य भाग से मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में फैले कैंसर के कारण भी पक्षाघात हो जाता है।
मोटर न्यूरॉन डिजीज
यह एक दुर्लभ न्यूरोड़िजनरेटिव रोग है (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में मौजूद तंत्रिकाओं जो समय के साथ कमजोर हो जाती है) जो स्वैच्छिक मांसपेशियों के मूवमेंट्स को नियंत्रण करने वाले मोटर न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है।
यदि किसी व्यक्ति में पक्षाघात के लक्षण दिखें और वह बेहोश हो जाए तो तुरंत उसे करवट के बल लिटा दें और जितनी जल्दी हो सके उसे अस्पताल पहुंचाएं। इलाज यदि चार घंटे के भीतर शुरू कर दिया जाए तो उनके ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
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